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New परनामी आटा चक्की Status, Photo, Video

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White घर में ना हैं दाल आटा पड़ा हैं हर डिब्बा खाली फिर भी बंदा पिछे उसके हैं जिसकी बड़ी गाड़ी बच्चा उसका लंदन में पहनता हैं महंगे जूते बेटा तेरा क्यों छुपाता हैं ? पुराने जूतों में फटे मोजे सुधर जा वरना बाहर क्या घर में भी पड़ जाएगी गाली जेबें भरने वालों के संग रह जाएगा खाली कबतक किसी और की तस्वीरों से भरा अलबम संभालेगा ? कुछ काम तो कर ऐसा की कोई आकर तेरे संग भी सेल्फी निकालेगा ! ©gaTTubaba

#शायरी #love_shayari  White घर में ना हैं दाल आटा 
पड़ा हैं हर डिब्बा खाली

फिर भी बंदा पिछे उसके 
हैं जिसकी बड़ी गाड़ी 

बच्चा उसका लंदन में 
पहनता हैं महंगे जूते

बेटा तेरा क्यों छुपाता हैं ?
पुराने जूतों में फटे मोजे 

सुधर जा वरना बाहर क्या 
घर में भी पड़ जाएगी गाली 

जेबें भरने वालों के संग
रह जाएगा खाली 

कबतक किसी और की 
तस्वीरों से भरा अलबम संभालेगा ?

कुछ काम तो कर ऐसा की कोई आकर 
तेरे संग भी सेल्फी निकालेगा  !

©gaTTubaba

#love_shayari घर में ना हैं दाल आटा पड़ा हैं हर डिब्बा खाली फिर भी बंदा पिछे उसके हैं जिसकी बड़ी गाड़ी बच्चा उसका लंदन में पहनता हैं म

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गीत :- आजादी का दिवस मनाऊँ ,भूखा अपना लाल सुलाऊँ । कर्ज बैंक का सर के ऊपर, खून बेचकर उसे चुकाऊँ ।। आजादी का दिवस मनाऊँ.... सरकारें करती मनमानी ,  पीने का भी छीने पानी । कैसे जीते हैं हम निर्धन ,  कैसे तुमको व्यथा सुनाऊँ ।। आजादी का दिवस मनाऊँ... मैं ही एक नहीं हूँ निर्धन ,  आटा दाल न होता ईर्धन । जन-जन का मैं हाल सुनाऊँ ,  आओ चल कर तुम्हें दिखाऊँ ।। आजादी का दिवस मनाऊँ... शिक्षा भी व्यापार हुई है ,  महँगी सब्जी दाल हुई है आमद हो गई है आज चव्न्नी,  कैसे घर का खर्च चलाऊँ । आजादी का दिवस मनाऊँ... सभी स्वस्थ सेवाएं महँगी , जीवन की घटनाएं महँगी । आती मौत न जीवन को, फंदा अपने गले लगाऊँ ।। आजादी का दिवस मनाऊँ... ज्यादा हुआ दूध उत्पादन, बिन पशु के आ जाता आँगन । किसको दर्पण आज दिखाऊँ  दिल कहता शामिल हो जाऊँ ।। आजादी का दिवस मनाऊँ..... आजादी का दिवस मनाऊँ ,भूखा अपना लाल सुलाऊँ । महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  गीत :-
आजादी का दिवस मनाऊँ ,भूखा अपना लाल सुलाऊँ ।
कर्ज बैंक का सर के ऊपर, खून बेचकर उसे चुकाऊँ ।।
आजादी का दिवस मनाऊँ....

सरकारें करती मनमानी , 
पीने का भी छीने पानी ।
कैसे जीते हैं हम निर्धन ,
 कैसे तुमको व्यथा सुनाऊँ ।। आजादी का दिवस मनाऊँ...

मैं ही एक नहीं हूँ निर्धन , 
आटा दाल न होता ईर्धन ।
जन-जन का मैं हाल सुनाऊँ , 
आओ चल कर तुम्हें दिखाऊँ ।। आजादी का दिवस मनाऊँ...

शिक्षा भी व्यापार हुई है , 
महँगी सब्जी दाल हुई है
आमद हो गई है आज चव्न्नी, 
कैसे घर का खर्च चलाऊँ । आजादी का दिवस मनाऊँ...

सभी स्वस्थ सेवाएं महँगी ,
जीवन की घटनाएं महँगी ।
आती मौत न जीवन को,
फंदा अपने गले लगाऊँ ।। आजादी का दिवस मनाऊँ...

ज्यादा हुआ दूध उत्पादन,
बिन पशु के आ जाता आँगन ।
किसको दर्पण आज दिखाऊँ 
दिल कहता शामिल हो जाऊँ ।। आजादी का दिवस मनाऊँ.....
आजादी का दिवस मनाऊँ ,भूखा अपना लाल सुलाऊँ ।
महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

गीत :- आजादी का दिवस मनाऊँ ,  भूखा अपना लाल सुलाऊँ । कर्ज बैंक का सर के ऊपर,

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White घर में ना हैं दाल आटा पड़ा हैं हर डिब्बा खाली फिर भी बंदा पिछे उसके हैं जिसकी बड़ी गाड़ी बच्चा उसका लंदन में पहनता हैं महंगे जूते बेटा तेरा क्यों छुपाता हैं ? पुराने जूतों में फटे मोजे सुधर जा वरना बाहर क्या घर में भी पड़ जाएगी गाली जेबें भरने वालों के संग रह जाएगा खाली कबतक किसी और की तस्वीरों से भरा अलबम संभालेगा ? कुछ काम तो कर ऐसा की कोई आकर तेरे संग भी सेल्फी निकालेगा ! ©gaTTubaba

#शायरी #love_shayari  White घर में ना हैं दाल आटा 
पड़ा हैं हर डिब्बा खाली

फिर भी बंदा पिछे उसके 
हैं जिसकी बड़ी गाड़ी 

बच्चा उसका लंदन में 
पहनता हैं महंगे जूते

बेटा तेरा क्यों छुपाता हैं ?
पुराने जूतों में फटे मोजे 

सुधर जा वरना बाहर क्या 
घर में भी पड़ जाएगी गाली 

जेबें भरने वालों के संग
रह जाएगा खाली 

कबतक किसी और की 
तस्वीरों से भरा अलबम संभालेगा ?

कुछ काम तो कर ऐसा की कोई आकर 
तेरे संग भी सेल्फी निकालेगा  !

©gaTTubaba

#love_shayari घर में ना हैं दाल आटा पड़ा हैं हर डिब्बा खाली फिर भी बंदा पिछे उसके हैं जिसकी बड़ी गाड़ी बच्चा उसका लंदन में पहनता हैं म

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गीत :- आजादी का दिवस मनाऊँ ,भूखा अपना लाल सुलाऊँ । कर्ज बैंक का सर के ऊपर, खून बेचकर उसे चुकाऊँ ।। आजादी का दिवस मनाऊँ.... सरकारें करती मनमानी ,  पीने का भी छीने पानी । कैसे जीते हैं हम निर्धन ,  कैसे तुमको व्यथा सुनाऊँ ।। आजादी का दिवस मनाऊँ... मैं ही एक नहीं हूँ निर्धन ,  आटा दाल न होता ईर्धन । जन-जन का मैं हाल सुनाऊँ ,  आओ चल कर तुम्हें दिखाऊँ ।। आजादी का दिवस मनाऊँ... शिक्षा भी व्यापार हुई है ,  महँगी सब्जी दाल हुई है आमद हो गई है आज चव्न्नी,  कैसे घर का खर्च चलाऊँ । आजादी का दिवस मनाऊँ... सभी स्वस्थ सेवाएं महँगी , जीवन की घटनाएं महँगी । आती मौत न जीवन को, फंदा अपने गले लगाऊँ ।। आजादी का दिवस मनाऊँ... ज्यादा हुआ दूध उत्पादन, बिन पशु के आ जाता आँगन । किसको दर्पण आज दिखाऊँ  दिल कहता शामिल हो जाऊँ ।। आजादी का दिवस मनाऊँ..... आजादी का दिवस मनाऊँ ,भूखा अपना लाल सुलाऊँ । महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  गीत :-
आजादी का दिवस मनाऊँ ,भूखा अपना लाल सुलाऊँ ।
कर्ज बैंक का सर के ऊपर, खून बेचकर उसे चुकाऊँ ।।
आजादी का दिवस मनाऊँ....

सरकारें करती मनमानी , 
पीने का भी छीने पानी ।
कैसे जीते हैं हम निर्धन ,
 कैसे तुमको व्यथा सुनाऊँ ।। आजादी का दिवस मनाऊँ...

मैं ही एक नहीं हूँ निर्धन , 
आटा दाल न होता ईर्धन ।
जन-जन का मैं हाल सुनाऊँ , 
आओ चल कर तुम्हें दिखाऊँ ।। आजादी का दिवस मनाऊँ...

शिक्षा भी व्यापार हुई है , 
महँगी सब्जी दाल हुई है
आमद हो गई है आज चव्न्नी, 
कैसे घर का खर्च चलाऊँ । आजादी का दिवस मनाऊँ...

सभी स्वस्थ सेवाएं महँगी ,
जीवन की घटनाएं महँगी ।
आती मौत न जीवन को,
फंदा अपने गले लगाऊँ ।। आजादी का दिवस मनाऊँ...

ज्यादा हुआ दूध उत्पादन,
बिन पशु के आ जाता आँगन ।
किसको दर्पण आज दिखाऊँ 
दिल कहता शामिल हो जाऊँ ।। आजादी का दिवस मनाऊँ.....
आजादी का दिवस मनाऊँ ,भूखा अपना लाल सुलाऊँ ।
महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

गीत :- आजादी का दिवस मनाऊँ ,  भूखा अपना लाल सुलाऊँ । कर्ज बैंक का सर के ऊपर,

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