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#भक्ति

🙏💐💐🎂🍰🌹🥁🙏 बचपन में बड़े नटखट, जो चुराए मिश्री और माखन, ऐसे भगवान् को मेरे सच्चे दिल से नमन. जय श्री कृष्णा 🙏💐💐🎂🍰🌹🥁🙏🙏

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White लोग सिर्फ वही सुनते हैं जो उनकी मर्ज़ी हो, सच हो या झूठ, फर्क किसे पड़ता है, बस अपनी बात सही हो। अपनी गलती हो तो उसे हंसी में उड़ा देते हैं, और अगर दूसरों की हो, तो बिना देर किए गिरेबान पकड़ लेते हैं। कभी-कभी ऐसा लगता है कि लोग बहस में चाय की चुस्की की तरह होते हैं, बस गर्मा-गर्म मुद्दे चाहिए, सही या गलत से उन्हें क्या वास्ता? अपनी बुराई पर ऐसे चुप्पी साध लेते हैं, जैसे मुंह में मिश्री रख ली हो, और दूसरों की गलती को ऐसा नमक लगाते हैं, कि अगले की जुबान जल जाए। तो जनाब, लोग वही सुनते हैं जो उन्हें सुहाता है, सच का क्या है, वो तो अपनी सहूलियत से बदलता रहता है। इसलिए ध्यान रखें, दूसरों की सुनें, मगर अपनी भी सुनाएं, वरना लोग आपको ही अपनी कहानी का विलेन बना जाएंगे! ©#Mr.India

#mrindiapoetry #doublecollab #Sad_shayri #Zindagi #Jindagi  White लोग सिर्फ वही सुनते हैं जो उनकी मर्ज़ी हो,  
सच हो या झूठ, फर्क किसे पड़ता है, बस अपनी बात सही हो।  
अपनी गलती हो तो उसे हंसी में उड़ा देते हैं,  
और अगर दूसरों की हो, तो बिना देर किए गिरेबान पकड़ लेते हैं।  

कभी-कभी ऐसा लगता है कि लोग बहस में चाय की चुस्की की तरह होते हैं,  
बस गर्मा-गर्म मुद्दे चाहिए, सही या गलत से उन्हें क्या वास्ता?  
अपनी बुराई पर ऐसे चुप्पी साध लेते हैं,  
जैसे मुंह में मिश्री रख ली हो,  
और दूसरों की गलती को ऐसा नमक लगाते हैं,  
कि अगले की जुबान जल जाए।  

तो जनाब, लोग वही सुनते हैं जो उन्हें सुहाता है,  
सच का क्या है, वो तो अपनी सहूलियत से बदलता रहता है।  
इसलिए ध्यान रखें, दूसरों की सुनें, मगर अपनी भी सुनाएं,  
वरना लोग आपको ही अपनी कहानी का विलेन बना जाएंगे!

©#Mr.India

लोग सिर्फ वही सुनते हैं जो उनकी मर्ज़ी हो, सच हो या झूठ, फर्क किसे पड़ता है, बस अपनी बात सही हो। अपनी गलती हो तो उसे हंसी में उड़ा देते

15 Love

मुक्तक :- काँवड लेकर देख , कहें हम बम-बम भोले । कष्ट मिटे इस बार , द्वार हम तेरे डोले । कर दो अब उपकार , भक्त बन करते विनती- मुख में तो शिवराम , नाम की मिश्री घोले ।। निकट सरोवर था वही , जहाँ मिले थे आप । कुछ मत पूछो देखकर , मिटे सकल संताप । बुझी नयन की प्यास तो, हृदय उठा उल्लास- अब बातें याद कर , हमें दे पश्चाताप ।। कुछ कँवाड़िया आज , यहाँ पर करते दंगे । फिर भी मुख से देख , कहे वह हर हर गंगे । कहे प्रखर अब नाथ , उन्हें तो तुम ही देखो- मन के कितना साफ़ , और हैं कितने चंगे ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  मुक्तक :-
काँवड लेकर देख , कहें हम बम-बम भोले ।
कष्ट मिटे इस बार , द्वार हम तेरे डोले ।
कर दो अब उपकार , भक्त बन करते विनती-
मुख में तो शिवराम , नाम की मिश्री घोले ।।

निकट सरोवर था वही , जहाँ मिले थे आप ।
कुछ मत पूछो देखकर , मिटे सकल संताप ।
बुझी नयन की प्यास तो, हृदय उठा उल्लास-
अब बातें याद कर , हमें दे पश्चाताप ।।

कुछ कँवाड़िया आज , यहाँ पर करते दंगे ।
फिर भी मुख से देख , कहे वह हर हर गंगे ।
कहे प्रखर अब नाथ , उन्हें तो तुम ही देखो-
मन के कितना साफ़ , और हैं कितने चंगे ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

मुक्तक :- काँवड लेकर देख , कहें हम बम-बम भोले । कष्ट मिटे इस बार , द्वार हम तेरे डोले । कर दो अब उपकार , भक्त बन करते विनती- मुख में तो शिवर

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#भक्ति

🙏💐💐🎂🍰🌹🥁🙏 बचपन में बड़े नटखट, जो चुराए मिश्री और माखन, ऐसे भगवान् को मेरे सच्चे दिल से नमन. जय श्री कृष्णा 🙏💐💐🎂🍰🌹🥁🙏🙏

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White लोग सिर्फ वही सुनते हैं जो उनकी मर्ज़ी हो, सच हो या झूठ, फर्क किसे पड़ता है, बस अपनी बात सही हो। अपनी गलती हो तो उसे हंसी में उड़ा देते हैं, और अगर दूसरों की हो, तो बिना देर किए गिरेबान पकड़ लेते हैं। कभी-कभी ऐसा लगता है कि लोग बहस में चाय की चुस्की की तरह होते हैं, बस गर्मा-गर्म मुद्दे चाहिए, सही या गलत से उन्हें क्या वास्ता? अपनी बुराई पर ऐसे चुप्पी साध लेते हैं, जैसे मुंह में मिश्री रख ली हो, और दूसरों की गलती को ऐसा नमक लगाते हैं, कि अगले की जुबान जल जाए। तो जनाब, लोग वही सुनते हैं जो उन्हें सुहाता है, सच का क्या है, वो तो अपनी सहूलियत से बदलता रहता है। इसलिए ध्यान रखें, दूसरों की सुनें, मगर अपनी भी सुनाएं, वरना लोग आपको ही अपनी कहानी का विलेन बना जाएंगे! ©#Mr.India

#mrindiapoetry #doublecollab #Sad_shayri #Zindagi #Jindagi  White लोग सिर्फ वही सुनते हैं जो उनकी मर्ज़ी हो,  
सच हो या झूठ, फर्क किसे पड़ता है, बस अपनी बात सही हो।  
अपनी गलती हो तो उसे हंसी में उड़ा देते हैं,  
और अगर दूसरों की हो, तो बिना देर किए गिरेबान पकड़ लेते हैं।  

कभी-कभी ऐसा लगता है कि लोग बहस में चाय की चुस्की की तरह होते हैं,  
बस गर्मा-गर्म मुद्दे चाहिए, सही या गलत से उन्हें क्या वास्ता?  
अपनी बुराई पर ऐसे चुप्पी साध लेते हैं,  
जैसे मुंह में मिश्री रख ली हो,  
और दूसरों की गलती को ऐसा नमक लगाते हैं,  
कि अगले की जुबान जल जाए।  

तो जनाब, लोग वही सुनते हैं जो उन्हें सुहाता है,  
सच का क्या है, वो तो अपनी सहूलियत से बदलता रहता है।  
इसलिए ध्यान रखें, दूसरों की सुनें, मगर अपनी भी सुनाएं,  
वरना लोग आपको ही अपनी कहानी का विलेन बना जाएंगे!

©#Mr.India

लोग सिर्फ वही सुनते हैं जो उनकी मर्ज़ी हो, सच हो या झूठ, फर्क किसे पड़ता है, बस अपनी बात सही हो। अपनी गलती हो तो उसे हंसी में उड़ा देते

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मुक्तक :- काँवड लेकर देख , कहें हम बम-बम भोले । कष्ट मिटे इस बार , द्वार हम तेरे डोले । कर दो अब उपकार , भक्त बन करते विनती- मुख में तो शिवराम , नाम की मिश्री घोले ।। निकट सरोवर था वही , जहाँ मिले थे आप । कुछ मत पूछो देखकर , मिटे सकल संताप । बुझी नयन की प्यास तो, हृदय उठा उल्लास- अब बातें याद कर , हमें दे पश्चाताप ।। कुछ कँवाड़िया आज , यहाँ पर करते दंगे । फिर भी मुख से देख , कहे वह हर हर गंगे । कहे प्रखर अब नाथ , उन्हें तो तुम ही देखो- मन के कितना साफ़ , और हैं कितने चंगे ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  मुक्तक :-
काँवड लेकर देख , कहें हम बम-बम भोले ।
कष्ट मिटे इस बार , द्वार हम तेरे डोले ।
कर दो अब उपकार , भक्त बन करते विनती-
मुख में तो शिवराम , नाम की मिश्री घोले ।।

निकट सरोवर था वही , जहाँ मिले थे आप ।
कुछ मत पूछो देखकर , मिटे सकल संताप ।
बुझी नयन की प्यास तो, हृदय उठा उल्लास-
अब बातें याद कर , हमें दे पश्चाताप ।।

कुछ कँवाड़िया आज , यहाँ पर करते दंगे ।
फिर भी मुख से देख , कहे वह हर हर गंगे ।
कहे प्रखर अब नाथ , उन्हें तो तुम ही देखो-
मन के कितना साफ़ , और हैं कितने चंगे ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

मुक्तक :- काँवड लेकर देख , कहें हम बम-बम भोले । कष्ट मिटे इस बार , द्वार हम तेरे डोले । कर दो अब उपकार , भक्त बन करते विनती- मुख में तो शिवर

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