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#HeartTouching #Motivational #Motivation #TrueWords

इस रोग का कोई ईलाज नहीं है।#HeartTouching #Motivation #poetry #TrueWords

162 View

#विचार  💃

उदरी रोग प्रशमन

153 View

#BrokenHeartStatus #AnjaliSinghal #Quotes #ehsaas

"यादें हैं थकी हुईं और एहसास पड़ा निढाल है, टूट रहा मुझमें कुछ आज दिल उदास है। साँसों का बिखरना लाज़िमी और दर्द का रुकना मुहाल है, दिल के इ

171 View

#कविता #टीका  टीका बन गया रोग

©kavi Dinesh kumar

#टीका बन गया रोग कविता

144 View

#कविता #Buddha_purnima #nojotohindi  White पल्लव की डायरी
मन के संचित भावो ने ही
आवरण भव भवो के ओड़े है
आकुल व्याकुल हर्ष विषाद में
अनजाने पापो के पाप आत्मा में जोड़े है
करो चिकित्सा इनकी अब दस दिन
दसधर्म को प्रगटाओ
एक एक धर्म का सार समझो
बोधिसत्व चेतना तक पहुँचायो
कैम्प समझो आत्मशुद्धि का दस दिन
विकारों को दूर भगाये
सत्य शौच संयम त्याग तपस्या
और व्रतों से मुक्तिपथ अपनाकर
जन्म मरण का रोग भगाये
                                       प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"

#Buddha_purnima जन्म मरण के रोग भगाये #nojotohindi

288 View

रोग ऐसा रोग लगा मुझे की, अब नहीं दिखता कोई अपना, जकड़ा मुझको इसने ऐसे की, रहा न कोई अपना। छाया अब घनघोर अंधेरा, कैसी दुविधा है आई, चारो ओर उदासी है लाई, इंतजार जीवन भर पाया। चेहरे पर खुशी नहीं अब, ऐसा साल आया अब, पैसे रहा न अपने रहे,रहा न कोई अपना। शुरुआत में लगा मुझे भी, सलामत घर को लौट जाऊंगा, सब कुछ ठीक फिर हो जायेगा,पहले जैसा बन जायेगा। लेकिन फिर अचानक से, इस बीमारी ने अपना रंग दिखाई, दिखाया मुझको फिर आइना, मुझसे मेरी पहचान कराई। अब पूछते है एक दूसरे से, कब होगा सब पहले जैसा, कब तक रहेगा सब ऐसा, हर सुबह करते है अब सब, सवाल नए एक दूसरे से। कही ऐसा न हो जाए, उड़ जाए पंछी अकेला, रह जाए बस खाली पिंजरा, समझ आया जब रोग ये लगा, रहा न कोई अपना। Alfazii 🖊️💙 ©Heer

#रोग  रोग 

ऐसा रोग लगा मुझे की, अब नहीं दिखता कोई अपना,
जकड़ा मुझको इसने ऐसे की, रहा न कोई अपना। 

छाया अब घनघोर अंधेरा, कैसी दुविधा है आई, 
चारो ओर उदासी है लाई, इंतजार जीवन भर पाया। 

चेहरे पर खुशी नहीं अब, ऐसा साल आया अब, 
पैसे रहा न अपने रहे,रहा न कोई अपना। 

शुरुआत में लगा मुझे भी, सलामत घर को लौट जाऊंगा,
सब कुछ ठीक फिर हो जायेगा,पहले जैसा बन जायेगा। 

लेकिन फिर अचानक से,  इस बीमारी ने अपना रंग दिखाई, 
दिखाया मुझको फिर आइना, मुझसे मेरी पहचान कराई। 

अब पूछते है एक दूसरे से, कब होगा सब पहले जैसा, 
कब तक रहेगा सब ऐसा, 
हर सुबह करते है अब सब, सवाल नए एक दूसरे से। 

कही ऐसा न हो जाए, उड़ जाए पंछी अकेला, 
रह जाए बस खाली पिंजरा, 
समझ आया जब रोग ये लगा, रहा न कोई अपना। 

Alfazii 🖊️💙

©Heer

#रोग

23 Love

#HeartTouching #Motivational #Motivation #TrueWords

इस रोग का कोई ईलाज नहीं है।#HeartTouching #Motivation #poetry #TrueWords

162 View

#विचार  💃

उदरी रोग प्रशमन

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#BrokenHeartStatus #AnjaliSinghal #Quotes #ehsaas

"यादें हैं थकी हुईं और एहसास पड़ा निढाल है, टूट रहा मुझमें कुछ आज दिल उदास है। साँसों का बिखरना लाज़िमी और दर्द का रुकना मुहाल है, दिल के इ

171 View

#कविता #टीका  टीका बन गया रोग

©kavi Dinesh kumar

#टीका बन गया रोग कविता

144 View

#कविता #Buddha_purnima #nojotohindi  White पल्लव की डायरी
मन के संचित भावो ने ही
आवरण भव भवो के ओड़े है
आकुल व्याकुल हर्ष विषाद में
अनजाने पापो के पाप आत्मा में जोड़े है
करो चिकित्सा इनकी अब दस दिन
दसधर्म को प्रगटाओ
एक एक धर्म का सार समझो
बोधिसत्व चेतना तक पहुँचायो
कैम्प समझो आत्मशुद्धि का दस दिन
विकारों को दूर भगाये
सत्य शौच संयम त्याग तपस्या
और व्रतों से मुक्तिपथ अपनाकर
जन्म मरण का रोग भगाये
                                       प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"

#Buddha_purnima जन्म मरण के रोग भगाये #nojotohindi

288 View

रोग ऐसा रोग लगा मुझे की, अब नहीं दिखता कोई अपना, जकड़ा मुझको इसने ऐसे की, रहा न कोई अपना। छाया अब घनघोर अंधेरा, कैसी दुविधा है आई, चारो ओर उदासी है लाई, इंतजार जीवन भर पाया। चेहरे पर खुशी नहीं अब, ऐसा साल आया अब, पैसे रहा न अपने रहे,रहा न कोई अपना। शुरुआत में लगा मुझे भी, सलामत घर को लौट जाऊंगा, सब कुछ ठीक फिर हो जायेगा,पहले जैसा बन जायेगा। लेकिन फिर अचानक से, इस बीमारी ने अपना रंग दिखाई, दिखाया मुझको फिर आइना, मुझसे मेरी पहचान कराई। अब पूछते है एक दूसरे से, कब होगा सब पहले जैसा, कब तक रहेगा सब ऐसा, हर सुबह करते है अब सब, सवाल नए एक दूसरे से। कही ऐसा न हो जाए, उड़ जाए पंछी अकेला, रह जाए बस खाली पिंजरा, समझ आया जब रोग ये लगा, रहा न कोई अपना। Alfazii 🖊️💙 ©Heer

#रोग  रोग 

ऐसा रोग लगा मुझे की, अब नहीं दिखता कोई अपना,
जकड़ा मुझको इसने ऐसे की, रहा न कोई अपना। 

छाया अब घनघोर अंधेरा, कैसी दुविधा है आई, 
चारो ओर उदासी है लाई, इंतजार जीवन भर पाया। 

चेहरे पर खुशी नहीं अब, ऐसा साल आया अब, 
पैसे रहा न अपने रहे,रहा न कोई अपना। 

शुरुआत में लगा मुझे भी, सलामत घर को लौट जाऊंगा,
सब कुछ ठीक फिर हो जायेगा,पहले जैसा बन जायेगा। 

लेकिन फिर अचानक से,  इस बीमारी ने अपना रंग दिखाई, 
दिखाया मुझको फिर आइना, मुझसे मेरी पहचान कराई। 

अब पूछते है एक दूसरे से, कब होगा सब पहले जैसा, 
कब तक रहेगा सब ऐसा, 
हर सुबह करते है अब सब, सवाल नए एक दूसरे से। 

कही ऐसा न हो जाए, उड़ जाए पंछी अकेला, 
रह जाए बस खाली पिंजरा, 
समझ आया जब रोग ये लगा, रहा न कोई अपना। 

Alfazii 🖊️💙

©Heer

#रोग

23 Love

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