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New कमल का पर्यायवाची Status, Photo, Video

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White शीर्षक : ऐसे ही अब जीना है.... खुशहाल रहे जीवन, ये अहसास हर कोई करता प्रश्न गहन, फुर्सत में कौन जिंदगी से ये बात करता ! दौड़ रही राहें, पांवों का रुकना अब मुश्किल लगता अगर भूल से गिर गये तो आजकल कौन किसे उठाता ! हसरतों भरे आशियाने सज कर भी वीराने से लगते दुनियादारी निभाने कभी मुस्कुराते चेहरे संग दिख जाते रिश्तों के संसार में मजबूरी की आह रोज सुनाई देती राजनीति की बीमारी जग बंधनों में भी अब नजर आती उम्र की कोई कद्र न हो तो रिश्तों में मिठास नहीं रहती किसे समझाएं ! टूटे सूखे पत्तों से महक कम ही आती फलसफा जीने का, आज में ही अब सब कुछ पाना है धोखा दे रही सांसे, उन पर भी अब विश्वास का रोना है "कमल", सुख अब संसार का सुंदर टूटा सा खिलौना है कल्पना में ही सब कुछ पाना, ऐसा ही अब ये जमाना है ✍️ कमल भंसाली ©Kamal bhansali

#कविता  White 
शीर्षक : ऐसे ही अब जीना है....

खुशहाल रहे जीवन, ये अहसास हर कोई करता
प्रश्न गहन, फुर्सत में कौन जिंदगी से ये बात करता !

दौड़ रही राहें, पांवों का रुकना अब मुश्किल लगता
अगर भूल से गिर गये तो आजकल कौन किसे उठाता !

हसरतों भरे आशियाने सज कर भी वीराने से लगते
दुनियादारी निभाने कभी मुस्कुराते चेहरे संग दिख जाते 

रिश्तों के संसार में मजबूरी की आह रोज सुनाई देती
राजनीति की बीमारी जग बंधनों में भी अब नजर आती

उम्र की कोई कद्र न हो तो रिश्तों में मिठास नहीं रहती
किसे समझाएं !  टूटे सूखे पत्तों से महक कम ही आती

फलसफा जीने का, आज में ही अब सब कुछ पाना है
धोखा दे रही सांसे, उन पर भी अब विश्वास का रोना है

"कमल", सुख अब संसार का सुंदर टूटा सा खिलौना है
कल्पना में ही सब कुछ पाना, ऐसा ही अब ये जमाना है
✍️ कमल भंसाली

©Kamal bhansali

# ऐसे ही अब जीना है#कमल भंसाली

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#वीडियो

मेरे कमल

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फिक्र.... " हाल बेहाल हुई जिंदगी अब समझा रही अपनों से ज्यादा गैरों को तेरी फिक्र रही " ✍️ कमल भंसाली ©Kamal bhansali

 फिक्र....

" हाल बेहाल हुई जिंदगी अब समझा रही
अपनों से ज्यादा गैरों को तेरी फिक्र रही "
✍️ कमल भंसाली

©Kamal bhansali

# फिक्र # गैर # कमल भंसाली

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#Videos

दियरा का राजा का महल

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#वीडियो #कमल

#कमल सिंह प्रधान ने मांगे कॉमरेड ओमप्रकाश के लिए वोट

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White शीर्षक: सफर का अंत जीवन सहज नहीं रहा अब मेरा सांसों पर छा रहा काल का अंधेरा अनमना सा रहता अब तन मेरा दिल की गलियों में सन्नाटा गहरा चाह नहीं कुछ, मन भी अब बहरा कुछ नहीं किया हासिल, सब बिखरा जजर्र होती काया पर अब मृत्यु का ही पहेरा अस्त होता सूर्य भूल जाता दिया हुआ सवेरा बोझिल होती आंखों में दर्द का नहीं रहता कतरा सत्य की धुरी पर मूल्यांकित होता प्राणी का चेहरा समय विदा का जब आता, मौन मुखर होता गहरा "कमल" चिंतन के हर दरवाजे पर प्रभु नाम ही उभरा ✍️ कमल भंसाली ©Kamal bhansali

 White शीर्षक: सफर का अंत

जीवन सहज नहीं रहा अब मेरा
सांसों पर छा रहा काल का अंधेरा

अनमना सा रहता अब तन मेरा
दिल की गलियों में सन्नाटा गहरा

चाह नहीं कुछ, मन भी अब बहरा
कुछ नहीं किया हासिल, सब बिखरा

जजर्र होती काया पर अब मृत्यु का ही पहेरा 
अस्त होता सूर्य भूल जाता दिया हुआ सवेरा

बोझिल होती आंखों में दर्द का नहीं रहता कतरा
सत्य की धुरी पर मूल्यांकित होता प्राणी का चेहरा

समय विदा का जब आता, मौन मुखर होता गहरा
"कमल" चिंतन के हर दरवाजे पर प्रभु नाम ही उभरा
✍️ कमल भंसाली

©Kamal bhansali

# सफर का अंत # कमल

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White शीर्षक : ऐसे ही अब जीना है.... खुशहाल रहे जीवन, ये अहसास हर कोई करता प्रश्न गहन, फुर्सत में कौन जिंदगी से ये बात करता ! दौड़ रही राहें, पांवों का रुकना अब मुश्किल लगता अगर भूल से गिर गये तो आजकल कौन किसे उठाता ! हसरतों भरे आशियाने सज कर भी वीराने से लगते दुनियादारी निभाने कभी मुस्कुराते चेहरे संग दिख जाते रिश्तों के संसार में मजबूरी की आह रोज सुनाई देती राजनीति की बीमारी जग बंधनों में भी अब नजर आती उम्र की कोई कद्र न हो तो रिश्तों में मिठास नहीं रहती किसे समझाएं ! टूटे सूखे पत्तों से महक कम ही आती फलसफा जीने का, आज में ही अब सब कुछ पाना है धोखा दे रही सांसे, उन पर भी अब विश्वास का रोना है "कमल", सुख अब संसार का सुंदर टूटा सा खिलौना है कल्पना में ही सब कुछ पाना, ऐसा ही अब ये जमाना है ✍️ कमल भंसाली ©Kamal bhansali

#कविता  White 
शीर्षक : ऐसे ही अब जीना है....

खुशहाल रहे जीवन, ये अहसास हर कोई करता
प्रश्न गहन, फुर्सत में कौन जिंदगी से ये बात करता !

दौड़ रही राहें, पांवों का रुकना अब मुश्किल लगता
अगर भूल से गिर गये तो आजकल कौन किसे उठाता !

हसरतों भरे आशियाने सज कर भी वीराने से लगते
दुनियादारी निभाने कभी मुस्कुराते चेहरे संग दिख जाते 

रिश्तों के संसार में मजबूरी की आह रोज सुनाई देती
राजनीति की बीमारी जग बंधनों में भी अब नजर आती

उम्र की कोई कद्र न हो तो रिश्तों में मिठास नहीं रहती
किसे समझाएं !  टूटे सूखे पत्तों से महक कम ही आती

फलसफा जीने का, आज में ही अब सब कुछ पाना है
धोखा दे रही सांसे, उन पर भी अब विश्वास का रोना है

"कमल", सुख अब संसार का सुंदर टूटा सा खिलौना है
कल्पना में ही सब कुछ पाना, ऐसा ही अब ये जमाना है
✍️ कमल भंसाली

©Kamal bhansali

# ऐसे ही अब जीना है#कमल भंसाली

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मेरे कमल

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फिक्र.... " हाल बेहाल हुई जिंदगी अब समझा रही अपनों से ज्यादा गैरों को तेरी फिक्र रही " ✍️ कमल भंसाली ©Kamal bhansali

 फिक्र....

" हाल बेहाल हुई जिंदगी अब समझा रही
अपनों से ज्यादा गैरों को तेरी फिक्र रही "
✍️ कमल भंसाली

©Kamal bhansali

# फिक्र # गैर # कमल भंसाली

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दियरा का राजा का महल

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#वीडियो #कमल

#कमल सिंह प्रधान ने मांगे कॉमरेड ओमप्रकाश के लिए वोट

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White शीर्षक: सफर का अंत जीवन सहज नहीं रहा अब मेरा सांसों पर छा रहा काल का अंधेरा अनमना सा रहता अब तन मेरा दिल की गलियों में सन्नाटा गहरा चाह नहीं कुछ, मन भी अब बहरा कुछ नहीं किया हासिल, सब बिखरा जजर्र होती काया पर अब मृत्यु का ही पहेरा अस्त होता सूर्य भूल जाता दिया हुआ सवेरा बोझिल होती आंखों में दर्द का नहीं रहता कतरा सत्य की धुरी पर मूल्यांकित होता प्राणी का चेहरा समय विदा का जब आता, मौन मुखर होता गहरा "कमल" चिंतन के हर दरवाजे पर प्रभु नाम ही उभरा ✍️ कमल भंसाली ©Kamal bhansali

 White शीर्षक: सफर का अंत

जीवन सहज नहीं रहा अब मेरा
सांसों पर छा रहा काल का अंधेरा

अनमना सा रहता अब तन मेरा
दिल की गलियों में सन्नाटा गहरा

चाह नहीं कुछ, मन भी अब बहरा
कुछ नहीं किया हासिल, सब बिखरा

जजर्र होती काया पर अब मृत्यु का ही पहेरा 
अस्त होता सूर्य भूल जाता दिया हुआ सवेरा

बोझिल होती आंखों में दर्द का नहीं रहता कतरा
सत्य की धुरी पर मूल्यांकित होता प्राणी का चेहरा

समय विदा का जब आता, मौन मुखर होता गहरा
"कमल" चिंतन के हर दरवाजे पर प्रभु नाम ही उभरा
✍️ कमल भंसाली

©Kamal bhansali

# सफर का अंत # कमल

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