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#शायरी  ग़म के दरिया से मिलकर बना है यह सागर,
तुम क्यों इसमें समाने की कोशिश करते हो,
कुछ नहीं है और इस जीवन में दर्द के सिवा,
क्यों मेरी ज़िंदगी में आने की कोशिश करते हो।

©Vic@tory

जीवन में दर्द के सिवा,

117 View

#लव

हेलो जी

99 View

#लव  White विजई विश्व तिरंगा प्यारा झंडा ऊंचा रहे हमारा हम हैं  देशवासी

©Shippu Kumar

हेलो जी

72 View

#फ़िल्म

राधे कृष्णा जी

99 View

#Quotes  इक चादर ओढ़ रक्खी है मैंने,
इस पहर की ठण्ड में...

वो दिन भी क्या खूब गुज़रे,
जब कुनकुनी धूप की तमस 
हुआ करती थी,
तुम्हारे पहलु में...

©Ramesh Sharma

तुम जी...

99 View

शांत चित बैठा एक बालक चारों ओर से काम क्रोध मद लोभ जैसी चल रही थी उसके इर्द-गिर्द आंधी। मुख पर उनके अविरल तेज था हवाओं में मंद मंद सुगंध इससे भी बढ़कर सर पर चढ़कर बोल रही थी उनकी समाधि।। ©Abhishek tripathi#chgr@c

#मोटिवेशनल  शांत चित बैठा एक बालक चारों ओर से
 काम क्रोध मद लोभ जैसी 
चल रही थी उसके इर्द-गिर्द आंधी।

मुख पर उनके अविरल तेज था हवाओं में मंद मंद
 सुगंध इससे भी बढ़कर 
सर पर चढ़कर बोल रही थी उनकी समाधि।।

©Abhishek tripathi#chgr@c

#"भगवान वेदव्यास जी"...

10 Love

#शायरी  ग़म के दरिया से मिलकर बना है यह सागर,
तुम क्यों इसमें समाने की कोशिश करते हो,
कुछ नहीं है और इस जीवन में दर्द के सिवा,
क्यों मेरी ज़िंदगी में आने की कोशिश करते हो।

©Vic@tory

जीवन में दर्द के सिवा,

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#लव

हेलो जी

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#लव  White विजई विश्व तिरंगा प्यारा झंडा ऊंचा रहे हमारा हम हैं  देशवासी

©Shippu Kumar

हेलो जी

72 View

#फ़िल्म

राधे कृष्णा जी

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#Quotes  इक चादर ओढ़ रक्खी है मैंने,
इस पहर की ठण्ड में...

वो दिन भी क्या खूब गुज़रे,
जब कुनकुनी धूप की तमस 
हुआ करती थी,
तुम्हारे पहलु में...

©Ramesh Sharma

तुम जी...

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शांत चित बैठा एक बालक चारों ओर से काम क्रोध मद लोभ जैसी चल रही थी उसके इर्द-गिर्द आंधी। मुख पर उनके अविरल तेज था हवाओं में मंद मंद सुगंध इससे भी बढ़कर सर पर चढ़कर बोल रही थी उनकी समाधि।। ©Abhishek tripathi#chgr@c

#मोटिवेशनल  शांत चित बैठा एक बालक चारों ओर से
 काम क्रोध मद लोभ जैसी 
चल रही थी उसके इर्द-गिर्द आंधी।

मुख पर उनके अविरल तेज था हवाओं में मंद मंद
 सुगंध इससे भी बढ़कर 
सर पर चढ़कर बोल रही थी उनकी समाधि।।

©Abhishek tripathi#chgr@c

#"भगवान वेदव्यास जी"...

10 Love

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