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White पल्लव की डायरी ज्वलंत समस्या के बादल,जब घिर जाते है सरकारों के सरोकार जनता से हट जाते है संसाधनों पर कुंडली मार नॉकरशाही बैठ जाती है हालातो के कारण जनता त्राहि त्राहि करती है ध्यान समस्याओं से भटकाने के लिये दंगा बलबा साम्प्रदायिक जहर उगलती है खूब विश्व संगठन शांती शांती करता हो यूक्रेन के विनाश में दम अमेरिका भरता हो डॉलर की चमक बढ़ाने खाड़ी देशों को निशाने पर लेता हो आधुनिक हथियारों की खेप खपाने युद्धों का संचालन खुद करता हो मानवता वादी चेहरा,शातिराना हरकते करता हो विश्वशांति का तमगा लेकर,कितने राष्ट्रों को निगलता है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव"

#nojotohindipoetry #कविता #Sad_Status  White पल्लव की डायरी
ज्वलंत समस्या के बादल,जब घिर जाते है
सरकारों के सरोकार जनता से हट जाते है
संसाधनों पर कुंडली मार 
नॉकरशाही बैठ जाती है
हालातो के कारण जनता त्राहि त्राहि करती है
ध्यान समस्याओं से भटकाने के लिये
दंगा बलबा साम्प्रदायिक जहर उगलती है
खूब विश्व संगठन शांती शांती करता हो
यूक्रेन के विनाश में दम अमेरिका भरता हो
डॉलर की चमक बढ़ाने
खाड़ी देशों को निशाने पर लेता हो
आधुनिक हथियारों की खेप खपाने
युद्धों का संचालन खुद करता हो
मानवता वादी चेहरा,शातिराना हरकते करता हो
विश्वशांति का तमगा लेकर,कितने राष्ट्रों को निगलता है
                                              प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"

#Sad_Status विश्वशांति का तमगा लेकर,कितने देशों को निगलता हो #nojotohindipoetry

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#Motivational

गुरुकुल का फेमस शब्द शैली awesome 👍

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White दोहा :- विषय  हिंदी  हिंदी भाषा का हमें , दोगे कब अधिकार । हम भी तो हैं चाहतें , हो इसका विस्तार ।। जो कहते थे मंच पर , हम हिंदी परिवार । अब कहते बच्चे पढ़े , अंग्रेजी अख़बार ।। गुरुकुल के उस ज्ञान से , विस्तृत थे संस्कार । हिंदी का भी मान था , संस्कृति थी आधार ।। वन टू थ्री अब याद है, भूले दो दो चार । बदल रहे दिन-दिन यहाँ , सबके आज विचार ।। कब हिंदी दुश्मन हुई , और रुका व्यापार । तब भी तो द चली , सत्ता पक्ष सरकार ।। हिंदी को दो मान्यता , तब आये आनंद । गीत ग़ज़ल दोहा लिखे , लिखें मधुर सब छन्द । हिंदी हिंदी कर रहे , हिंदी का गुणगान । हिंदी चाहे हिंद से , फिर अपना अभिमान ।। सुबह-शाम जो पढ़ रहे , थे गीता का सार । आज उन्हें अब चाहिए , अंग्रेजी अख़बार ।। हिंदी नंबर प्लेट पर , कट जाते चालान । ऐसे हिंदुस्तान में , हिंदी का गुणगान ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  White दोहा :- विषय  हिंदी 
हिंदी भाषा का हमें , दोगे कब अधिकार ।
हम भी तो हैं चाहतें , हो इसका विस्तार ।।
जो कहते थे मंच पर , हम हिंदी परिवार ।
अब कहते बच्चे पढ़े , अंग्रेजी अख़बार ।।
गुरुकुल के उस ज्ञान से , विस्तृत थे संस्कार ।
हिंदी का भी मान था , संस्कृति थी आधार ।।
वन टू थ्री अब याद है, भूले दो दो चार ।
बदल रहे दिन-दिन यहाँ , सबके आज विचार ।।
कब हिंदी दुश्मन हुई , और रुका व्यापार ।
तब भी तो द चली , सत्ता पक्ष सरकार ।।
हिंदी को दो मान्यता , तब आये आनंद ।
गीत ग़ज़ल दोहा लिखे , लिखें मधुर सब छन्द ।
हिंदी हिंदी कर रहे , हिंदी का गुणगान ।
हिंदी चाहे हिंद से , फिर अपना अभिमान ।।
सुबह-शाम जो पढ़ रहे , थे गीता का सार ।
आज उन्हें अब चाहिए , अंग्रेजी अख़बार ।।
हिंदी नंबर प्लेट पर , कट जाते चालान ।
ऐसे हिंदुस्तान में , हिंदी का गुणगान ।।
महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

दोहा :- विषय  हिंदी  हिंदी भाषा का हमें , दोगे कब अधिकार । हम भी तो हैं चाहतें , हो इसका विस्तार ।। जो कहते थे मंच पर , हम हिंदी परिवार । अब

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White पल्लव की डायरी ज्वलंत समस्या के बादल,जब घिर जाते है सरकारों के सरोकार जनता से हट जाते है संसाधनों पर कुंडली मार नॉकरशाही बैठ जाती है हालातो के कारण जनता त्राहि त्राहि करती है ध्यान समस्याओं से भटकाने के लिये दंगा बलबा साम्प्रदायिक जहर उगलती है खूब विश्व संगठन शांती शांती करता हो यूक्रेन के विनाश में दम अमेरिका भरता हो डॉलर की चमक बढ़ाने खाड़ी देशों को निशाने पर लेता हो आधुनिक हथियारों की खेप खपाने युद्धों का संचालन खुद करता हो मानवता वादी चेहरा,शातिराना हरकते करता हो विश्वशांति का तमगा लेकर,कितने राष्ट्रों को निगलता है प्रवीण जैन पल्लव ©Praveen Jain "पल्लव"

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ज्वलंत समस्या के बादल,जब घिर जाते है
सरकारों के सरोकार जनता से हट जाते है
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ध्यान समस्याओं से भटकाने के लिये
दंगा बलबा साम्प्रदायिक जहर उगलती है
खूब विश्व संगठन शांती शांती करता हो
यूक्रेन के विनाश में दम अमेरिका भरता हो
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खाड़ी देशों को निशाने पर लेता हो
आधुनिक हथियारों की खेप खपाने
युद्धों का संचालन खुद करता हो
मानवता वादी चेहरा,शातिराना हरकते करता हो
विश्वशांति का तमगा लेकर,कितने राष्ट्रों को निगलता है
                                              प्रवीण जैन पल्लव

©Praveen Jain "पल्लव"

#Sad_Status विश्वशांति का तमगा लेकर,कितने देशों को निगलता हो #nojotohindipoetry

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White दोहा :- विषय  हिंदी  हिंदी भाषा का हमें , दोगे कब अधिकार । हम भी तो हैं चाहतें , हो इसका विस्तार ।। जो कहते थे मंच पर , हम हिंदी परिवार । अब कहते बच्चे पढ़े , अंग्रेजी अख़बार ।। गुरुकुल के उस ज्ञान से , विस्तृत थे संस्कार । हिंदी का भी मान था , संस्कृति थी आधार ।। वन टू थ्री अब याद है, भूले दो दो चार । बदल रहे दिन-दिन यहाँ , सबके आज विचार ।। कब हिंदी दुश्मन हुई , और रुका व्यापार । तब भी तो द चली , सत्ता पक्ष सरकार ।। हिंदी को दो मान्यता , तब आये आनंद । गीत ग़ज़ल दोहा लिखे , लिखें मधुर सब छन्द । हिंदी हिंदी कर रहे , हिंदी का गुणगान । हिंदी चाहे हिंद से , फिर अपना अभिमान ।। सुबह-शाम जो पढ़ रहे , थे गीता का सार । आज उन्हें अब चाहिए , अंग्रेजी अख़बार ।। हिंदी नंबर प्लेट पर , कट जाते चालान । ऐसे हिंदुस्तान में , हिंदी का गुणगान ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  White दोहा :- विषय  हिंदी 
हिंदी भाषा का हमें , दोगे कब अधिकार ।
हम भी तो हैं चाहतें , हो इसका विस्तार ।।
जो कहते थे मंच पर , हम हिंदी परिवार ।
अब कहते बच्चे पढ़े , अंग्रेजी अख़बार ।।
गुरुकुल के उस ज्ञान से , विस्तृत थे संस्कार ।
हिंदी का भी मान था , संस्कृति थी आधार ।।
वन टू थ्री अब याद है, भूले दो दो चार ।
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कब हिंदी दुश्मन हुई , और रुका व्यापार ।
तब भी तो द चली , सत्ता पक्ष सरकार ।।
हिंदी को दो मान्यता , तब आये आनंद ।
गीत ग़ज़ल दोहा लिखे , लिखें मधुर सब छन्द ।
हिंदी हिंदी कर रहे , हिंदी का गुणगान ।
हिंदी चाहे हिंद से , फिर अपना अभिमान ।।
सुबह-शाम जो पढ़ रहे , थे गीता का सार ।
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महेन्द्र सिंह प्रखर

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