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New मानविकी वर्ग के विषय Status, Photo, Video

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#Quotes

सुविचार- विषय: मौन

162 View

#SAD

दिल के अरमान आंसुओं में बह के

144 View

#Motivational #ganesha

📚 विषय नाही हार्ड 📚 🔴 VIJUDADA 🔴 #ganesha

135 View

खुशियों के पल जिंदगी में कभी-कभी खुशियों के पल आते ही रहते हैं ज़ब नाज करे दुनियाँ वह पल आ ही जाते हैं | ©DR. LAVKESH GANDHI

 खुशियों के पल 

जिंदगी में कभी-कभी 
खुशियों के पल आते ही रहते हैं
ज़ब नाज करे दुनियाँ 
वह पल आ ही जाते हैं |

©DR. LAVKESH GANDHI

#खुशियों के पल # #जिंदगी के हसीन पल #

17 Love

जय माता दी ©M R Mehata(रानिसीगं )

#लव  जय माता दी

©M R Mehata(रानिसीगं )

नसीब के.....

15 Love

#कविता  White तृप्ति की कलम से
मुक्तक
विषय-गाँव और शहर
***************************************
गाँव को छोड़ शहर आया सुख की तलाश में।
शहर में निजी घर बसाया सुख की तलाश में।
रह गयी बस सुबह-शाम भागम-भाग जिंदगी-
शान्ति,अपनापन गवाया सुख की तलाश में।
*************************************
रह गयी अब बस सुखद यादें मेरे गांव की
खो गयी ठंडी हवा उन पेड़ों की छांव की।
शहर आकर क्या-क्या खोया हमने अब जाना-
जब घिसी चप्पलों को देखा अपने पांव की।
***************************************
स्वरचित
तृप्ति अग्निहोत्री
लखीमपुर खीरी(उ०प्र०)

©tripti agnihotri

विषय -गाँव और शहर

108 View

#Quotes

सुविचार- विषय: मौन

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#SAD

दिल के अरमान आंसुओं में बह के

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#Motivational #ganesha

📚 विषय नाही हार्ड 📚 🔴 VIJUDADA 🔴 #ganesha

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खुशियों के पल जिंदगी में कभी-कभी खुशियों के पल आते ही रहते हैं ज़ब नाज करे दुनियाँ वह पल आ ही जाते हैं | ©DR. LAVKESH GANDHI

 खुशियों के पल 

जिंदगी में कभी-कभी 
खुशियों के पल आते ही रहते हैं
ज़ब नाज करे दुनियाँ 
वह पल आ ही जाते हैं |

©DR. LAVKESH GANDHI

#खुशियों के पल # #जिंदगी के हसीन पल #

17 Love

जय माता दी ©M R Mehata(रानिसीगं )

#लव  जय माता दी

©M R Mehata(रानिसीगं )

नसीब के.....

15 Love

#कविता  White तृप्ति की कलम से
मुक्तक
विषय-गाँव और शहर
***************************************
गाँव को छोड़ शहर आया सुख की तलाश में।
शहर में निजी घर बसाया सुख की तलाश में।
रह गयी बस सुबह-शाम भागम-भाग जिंदगी-
शान्ति,अपनापन गवाया सुख की तलाश में।
*************************************
रह गयी अब बस सुखद यादें मेरे गांव की
खो गयी ठंडी हवा उन पेड़ों की छांव की।
शहर आकर क्या-क्या खोया हमने अब जाना-
जब घिसी चप्पलों को देखा अपने पांव की।
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स्वरचित
तृप्ति अग्निहोत्री
लखीमपुर खीरी(उ०प्र०)

©tripti agnihotri

विषय -गाँव और शहर

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