White मिश्री के जैसी मीठी हूँ मैं
मिर्ची के जैसी तीखी हूँ मैं
कुछ भी कर सकती हूँ मैं
थोड़ी ज़िद्दी हूँ मै, हाँ स्त्री हूँ मैं
सबकी सुनती हूँ, सब कुछ करती हूँ
मुश्किलों से मै कभी ना डरती हूँ
सह लेती हूँ बीस हड्डियों के टूटने का दर्द
इस स्रष्टि का सृजन भी मै ही करती हूँ
रिश्तों की सलवटो पर
एक उम्दा इस्तरी हूँ मै
थोड़ी ज़िद्दी हूँ मै, हाँ स्त्री हूँ मै
सब्र मेरा कब्र से भी गहरा है
ये वक़्त सिर्फ स्त्रियों के लिए ही ठहरा है
ख्वाहिशें तो है चाँद को छूने की
मेरी उम्मीदों पर समाज का पहरा है
सुधार दे जो ज़िंदगी की गाड़ी को
एक ऐसी बेहतर मिस्त्री हूँ मैं
थोड़ी ज़िद्दी हूँ मैं, हाँ स्त्री हूँ मैं
©Vinay Mishra
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