White *सामर्थ्यवान*
अगर समझते हो खुद को दानी धर्मात्मा तो कृपापात्र आसपास ही मिल जायेंगे । बस मानसिकता होना चाहिए अपनों की मदद करने की वो भी बिना एहसान दारी जताये हुए.... असली सहयोग वही होता है जो गिरने वाले को गिरने न दे उसे थोड़ा सा सहारा देकर उठा दे .... अब आपके सामने कोई गिर गया तो आपके सामर्थ्य वान होने का क्या औचित्य है? आप तो उससे भी गए गुजरे हैं। *हमारी कमाई हमारे ही लिए होगी ये कोई जरूरी नहीं है ऊपर वाले के खेल निराले हैं।* हो सकता है आपने पिछले जन्म में किसी का खाया हो इसलिए इस जन्म में आपको किसी को देना पड़ रहा हो । *आप देने वालों में गिने जाते हैं यही खुशकिस्मती समझिए* और अपना फर्ज निभाइए, क्योंकि ऊपर वाला बेहतर जानता है किसे बिठाकर खिलाना है किसे कोलू का बैल बनाना है , आप सामर्थ्यवान हैं तो अपने आप को भगवान मत समझने लगिए । देखते ही देखते कितने रोड पति करोड़ पति बन जाते हैं और कितने करोड़ पति सड़क पर आ जाते हैं। शुक्र मनाइए आपको भगवान ने सामर्थ्य वान बनाया है । इसलिए बड़े होकर गिरने वाली हरकतें मत कीजिए, बड़े ही बने रहिए सबको साथ लेकर चलते रहिए , वैसे भी झुकने वाला ही बड़ा होता है अकड़ने वाला नहीं ।
*एक बात और सब अपने नसीब का खाते हैं कोई किसी के लिए कुछ नहीं करता , जब आपको किसी ने कुछ नहीं किया तो आप किसी के लिए क्या कर लेंगे। क्या आप मानते हैं कि आपके पास जो है वो किसी की मेहरबानी है, आपकी मेहनत उसमें नहीं लगी ? यदि नहीं तो आप कैसे अपने आप को किसी का मसीहा समझते हैं??
*हमेशा याद रखो सरकार हम नहीं सरकार तो कोई और ही है, वही है सही सामर्थ्य वान ।*
✍️प्रतिभा द्विवेदी मुस्कान©
सागर मध्यप्रदेश भारत (17 अक्टूबर 2024)
©Pratibha Dwivedi urf muskan
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