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New सावन जैसा भी हो Status, Photo, Video

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White कहाँ से लाऊँ जो हो तुझ जैसा.. हु-ब-हु तुझसा कोई है ही नहीं.. यूसुफ़ आर खान.... ©F M POETRY

#कहाँ  White कहाँ से लाऊँ जो हो तुझ जैसा..

हु-ब-हु तुझसा कोई है ही नहीं..


यूसुफ़ आर खान....

©F M POETRY

#कहाँ से लाऊँ जो हो तुझ जैसा...

13 Love

#कविता #love_shayari

#love_shayari जहां सावन की कजली ना हो

207 View

#शायरी

✍🏿🥀तुम तो कहते हो सावन चला गया😊🍂🍂

90 View

सावन डमरू घनाक्षरी (अमात्रिक छन्द) सरसत उपवन , हरषत जन जन , बरसत जब घन , गरज गरज कर । लख कर जलधर , हरषत हलधर , हरषत जलचर , नभचर थलचर । परत चरन जब , बहनन तब तब , बरसत नवरस , मनहर घर घर। सकल जगत जय , जय जय उचरत ,जपत कहत सब , बम बम हर हर। ©अखिलेश त्रिपाठी 'केतन'

#रक्षाबंधन #भक्ति #शिवजी #सावन  सावन
डमरू घनाक्षरी (अमात्रिक छन्द)

सरसत उपवन , हरषत जन जन , बरसत जब घन , गरज गरज कर ।
लख कर जलधर  , हरषत हलधर , हरषत जलचर , नभचर थलचर ।
परत चरन जब , बहनन तब तब , बरसत नवरस , मनहर घर घर।
सकल जगत जय , जय जय उचरत ,जपत कहत सब , बम बम हर हर।

©अखिलेश त्रिपाठी 'केतन'
 कंहा गया
वो सावन। 
पेड़ की टहनी पर डाल कर झूला
अकेले ही झूला, झूला हमने
न डर, न खोफ़ था, बेफिक्री थी। 
आज डर है, 
मेरी पैदाईश, मेरे पालन का, 
क्या झूलूं, कंहा झूलू
अब, कौन से सावन मे, 
अब, हर नज़र ललचाई, 
हर मन, हवस समाई, 
मुझे सिर्फ 'सामान' जानता है
हवस मिटाने का मकान मानता है

©arvind bhanwra ambala. India

कंहा गया वो सावन

144 View

#सावन #लव #Videos #Savan

White कहाँ से लाऊँ जो हो तुझ जैसा.. हु-ब-हु तुझसा कोई है ही नहीं.. यूसुफ़ आर खान.... ©F M POETRY

#कहाँ  White कहाँ से लाऊँ जो हो तुझ जैसा..

हु-ब-हु तुझसा कोई है ही नहीं..


यूसुफ़ आर खान....

©F M POETRY

#कहाँ से लाऊँ जो हो तुझ जैसा...

13 Love

#कविता #love_shayari

#love_shayari जहां सावन की कजली ना हो

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#शायरी

✍🏿🥀तुम तो कहते हो सावन चला गया😊🍂🍂

90 View

सावन डमरू घनाक्षरी (अमात्रिक छन्द) सरसत उपवन , हरषत जन जन , बरसत जब घन , गरज गरज कर । लख कर जलधर , हरषत हलधर , हरषत जलचर , नभचर थलचर । परत चरन जब , बहनन तब तब , बरसत नवरस , मनहर घर घर। सकल जगत जय , जय जय उचरत ,जपत कहत सब , बम बम हर हर। ©अखिलेश त्रिपाठी 'केतन'

#रक्षाबंधन #भक्ति #शिवजी #सावन  सावन
डमरू घनाक्षरी (अमात्रिक छन्द)

सरसत उपवन , हरषत जन जन , बरसत जब घन , गरज गरज कर ।
लख कर जलधर  , हरषत हलधर , हरषत जलचर , नभचर थलचर ।
परत चरन जब , बहनन तब तब , बरसत नवरस , मनहर घर घर।
सकल जगत जय , जय जय उचरत ,जपत कहत सब , बम बम हर हर।

©अखिलेश त्रिपाठी 'केतन'
 कंहा गया
वो सावन। 
पेड़ की टहनी पर डाल कर झूला
अकेले ही झूला, झूला हमने
न डर, न खोफ़ था, बेफिक्री थी। 
आज डर है, 
मेरी पैदाईश, मेरे पालन का, 
क्या झूलूं, कंहा झूलू
अब, कौन से सावन मे, 
अब, हर नज़र ललचाई, 
हर मन, हवस समाई, 
मुझे सिर्फ 'सामान' जानता है
हवस मिटाने का मकान मानता है

©arvind bhanwra ambala. India

कंहा गया वो सावन

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#सावन #लव #Videos #Savan
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