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आज का पसीना और परिश्रम कल के भार को हल्का नहीं करेगा, लेकिन यह आपको और भी कठिन चुनौतियों का सामना करने की ताकत और सहनशक्ति प्रदान करेगा। ©Srinivas

#कोट्स  आज का पसीना और परिश्रम कल के भार को हल्का नहीं करेगा, लेकिन यह आपको और भी कठिन चुनौतियों का सामना करने की ताकत और सहनशक्ति प्रदान करेगा।

©Srinivas

आज का पसीना और परिश्रम कल के भार को हल्का नहीं करेगा, लेकिन यह आपको और भी कठिन चुनौतियों का सामना करने की ताकत और सहनशक्ति प्रदान करेगा।

13 Love

सपनों को हकीकत बनाने का रास्ता सिर्फ मेहनत ही दिखाती है। जो लोग परिश्रम करते हैं, वही इसके असली हकदार बनते हैं ©Srinivas

#कोट्स  सपनों को हकीकत बनाने का रास्ता सिर्फ मेहनत ही दिखाती है। जो लोग परिश्रम करते हैं, वही इसके असली हकदार बनते हैं

©Srinivas

सपनों को हकीकत बनाने का रास्ता सिर्फ मेहनत ही दिखाती है। जो लोग परिश्रम करते हैं, वही इसके असली हकदार बनते

16 Love

White ।। " मैं सही फैसले लेने में विश्वास नहीं करता बल्कि फैसले लेकर उन्हें सही साबित कर देता हूँ ! " ।। संसार में ऐसे व्यक्तित्व कम करिश्माई जन्म लेते हैं अपनी विराट विरासतको शिखर पर ले जाने वाले हैं संबंधों को बड़े प्रेम शिद्दत सलाहियत से निभाते है व्यापार को परिश्रम ईमानदारी शिखर पे पहुंचाते हैं रतन टाटा से रतन संसार में बिरले ही जन्म लेते हैं बड़ी खामोशी से वे अपना कर्तव्य निभाया करते है और खामोशी से हीअसार संसार से विदा लेते हैं सादगी का दिव्य स्वरूप मिलनसार जिनका था रूप दानशीलता में अग्रणी ऐसे दिव्य विभूतियां भारती बिरले ही कभी कभी इस संसार में जन्म लेते हैं करुणा की मूर्ति संसार में कम जन्म लिया करते हैं मानव रूप में करुणा की प्रतिमूर्ति विभूती अतुल्य रतन टाटा गए व्यापारीगण पारिवारिक जगत में सन्नाटा छोड़ गए उमेश चंद्र श्रीवास्तव नवांकुर मौलिक स्वरचित 10/10/2021 ©बेजुबान शायर shivkumar

#व्यक्तित्व #ईमानदारी #विश्वास #कर्तव्य #फैसले #संसार  White ।। " मैं सही फैसले लेने में विश्वास नहीं करता
 बल्कि फैसले लेकर उन्हें सही साबित कर देता हूँ ! " ।।



संसार में ऐसे व्यक्तित्व कम करिश्माई जन्म लेते हैं 
अपनी विराट विरासतको शिखर पर ले जाने वाले हैं 

संबंधों को बड़े प्रेम शिद्दत सलाहियत से निभाते है 
व्यापार को परिश्रम ईमानदारी शिखर पे पहुंचाते हैं  

रतन टाटा से रतन संसार में बिरले ही जन्म लेते हैं 
बड़ी खामोशी से वे अपना कर्तव्य निभाया करते है 

और खामोशी से हीअसार संसार से विदा लेते हैं 
सादगी का दिव्य स्वरूप मिलनसार जिनका था रूप 

दानशीलता में अग्रणी ऐसे दिव्य विभूतियां भारती
बिरले ही कभी कभी इस संसार में जन्म लेते हैं

करुणा की मूर्ति संसार में कम जन्म लिया करते हैं 
मानव रूप में करुणा की 

प्रतिमूर्ति विभूती अतुल्य रतन टाटा गए
 व्यापारीगण पारिवारिक जगत में सन्नाटा छोड़ गए 


उमेश चंद्र श्रीवास्तव नवांकुर मौलिक स्वरचित 10/10/2021

©बेजुबान शायर shivkumar

#Ratan_Tata #ratantata #RIP फिल्मी दुनिया हिंदी फिल्म ।। " मैं सही #फैसले लेने में #विश्वास नहीं करता बल्कि फैसले लेकर उन्हें सही #सा

13 Love

मधुर वाणी श्रोताओं को आकर्षित कर सकती है, लेकिन केवल परिश्रम ही विश्वास को जन्म देता है। ©Srinivas

#कोट्स  मधुर वाणी श्रोताओं को आकर्षित कर सकती है, लेकिन केवल परिश्रम ही विश्वास को जन्म देता है।

©Srinivas

मधुर वाणी श्रोताओं को आकर्षित कर सकती है, लेकिन केवल परिश्रम ही विश्वास को जन्म देता है।

14 Love

गीता के अनुसार मनुष्य के दुःख का कारण क्या है? यदि भगवद गीता को देखें तो हम पाते हैं कि संसार के दुखों का प्रमुख कारण आत्मा के स्वरूप के विषय में हमारा अज्ञान है। हम स्वजनों की मृत्यु की आशंका से ही भयभीत हो जाते हैं। हमने जो भी अर्जित किया या पाया है, उसकी हानि की शंका भी हमारी चेतना को कभी पूर्णतया स्वछंद नहीं होने देती। भगवद गीता के मुताबिक, मनुष्य के दुखों का प्रमुख कारण आत्मा के स्वरूप के बारे में अज्ञानता है. इसके अलावा, मनुष्य के दुखों के कुछ और कारण ये हैं: हमने जो भी अर्जित किया या पाया है, उसकी हानि की शंका हमारी चेतना को कभी पूर्णतया स्वच्छंद नहीं होने देती. मनुष्य में श्रेष्ठ गुणों का अभाव होता है. मनुष्य का शत्रुतापूर्ण और अमानवीय स्वभाव दुनिया को उदास और निराशाजनक बना देता है. अधिकांश मनुष्य इस बात का परिप्रेक्ष्य खो चुके हैं कि यह जीवन क्या है. उनकी मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया अस्तित्वगत प्रक्रिया से कहीं अधिक बड़ी हो गई है. भगवद गीता के मुताबिक, मनुष्य को अपने विवेक, परिश्रम, बुद्धि और उद्यम पर संदेह नहीं करना चाहिए. उसे सदैव सत्य और स्वधर्म के पक्ष में रहना चाहिए. ©person

 गीता के अनुसार मनुष्य के दुःख का कारण क्या है?


यदि भगवद गीता को देखें तो हम पाते हैं कि संसार के दुखों का प्रमुख कारण आत्मा के स्वरूप के विषय में हमारा अज्ञान है। हम स्वजनों की मृत्यु की आशंका से ही भयभीत हो जाते हैं। हमने जो भी अर्जित किया या पाया है, उसकी हानि की शंका भी हमारी चेतना को कभी पूर्णतया स्वछंद नहीं होने देती।

भगवद गीता के मुताबिक, मनुष्य के दुखों का प्रमुख कारण आत्मा के स्वरूप के बारे में अज्ञानता है. इसके अलावा, मनुष्य के दुखों के कुछ और कारण ये हैं: 
 
हमने जो भी अर्जित किया या पाया है, उसकी हानि की शंका हमारी चेतना को कभी पूर्णतया स्वच्छंद नहीं होने देती. 
 
मनुष्य में श्रेष्ठ गुणों का अभाव होता है. 
 
मनुष्य का शत्रुतापूर्ण और अमानवीय स्वभाव दुनिया को उदास और निराशाजनक बना देता है. 
 
अधिकांश मनुष्य इस बात का परिप्रेक्ष्य खो चुके हैं कि यह जीवन क्या है. 
 
उनकी मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया अस्तित्वगत प्रक्रिया से कहीं अधिक बड़ी हो गई है. 
 
भगवद गीता के मुताबिक, मनुष्य को अपने विवेक, परिश्रम, बुद्धि और उद्यम पर संदेह नहीं करना चाहिए. उसे सदैव सत्य और स्वधर्म के पक्ष में रहना चाहिए.

©person

गीता के अनुसार मनुष्य के दुःख का कारण क्या है? यदि भगवद गीता को देखें तो हम पाते हैं कि संसार के दुखों का प्रमुख कारण आत्मा के स्वरूप के वि

18 Love

भक्ति के लिए कोई आयु सीमा नहीं होती। बचपन से ही प्रभु सिमरन करना चाहिए। जिससे संकट में भक्तों की नैया परमात्मा पार लगा दें। यह सब हमें भागवत सत्संग सुनने से प्राप्त होता है। देखिए भक्ति मार्ग पर चलने के लिए कोई निश्चित आयु-सीमा नहीं होती। जब भी किसी व्यक्ति को आध्यात्मिक ज्ञान समझ आ जाता है तब ही तुरंत सच्चे संत से नाम दीक्षा ले लेनी चाहिए क्योंकि मानव जीवन का कोई भरोसा नहीं इसलिए इस मनुष्य जीवन के अवसर का लाभ उठाना चाहिए। मनुष्य में कौन से 5 गुण होने आवश्यक हैं? मनुष्य के 5 सबसे आवश्यक गुण है। कर्तव्यनिष्ठा, विनम्रता, चरित्रवान, उदारता, परिश्रमी ©person

#Bhakti  भक्ति के लिए कोई आयु सीमा नहीं होती। बचपन से ही प्रभु सिमरन करना चाहिए। जिससे संकट में भक्तों की नैया परमात्मा पार लगा दें। यह सब हमें भागवत सत्संग सुनने से प्राप्त होता है। 

देखिए भक्ति मार्ग पर चलने के लिए कोई निश्चित आयु-सीमा नहीं होती। जब भी किसी व्यक्ति को आध्यात्मिक ज्ञान समझ आ जाता है तब ही तुरंत सच्चे संत से नाम दीक्षा ले लेनी चाहिए क्योंकि मानव जीवन का कोई भरोसा नहीं इसलिए इस मनुष्य जीवन के अवसर का लाभ उठाना चाहिए।

मनुष्य में कौन से 5 गुण होने आवश्यक हैं? मनुष्य के 5 सबसे आवश्यक गुण है। कर्तव्यनिष्ठा, विनम्रता, चरित्रवान, उदारता, परिश्रमी

©person

भक्ति में हैं शक्ति 🙏 ✝️🕉️☪️🪯☯️☮️☸️🕎 सकारात्मक सोच और गुण सही मार्ग पर ले जाता हैं मनुष्य में कौन से 5 गुण होने आवश्यक हैं? मनुष्य के 5 सब

14 Love

आज का पसीना और परिश्रम कल के भार को हल्का नहीं करेगा, लेकिन यह आपको और भी कठिन चुनौतियों का सामना करने की ताकत और सहनशक्ति प्रदान करेगा। ©Srinivas

#कोट्स  आज का पसीना और परिश्रम कल के भार को हल्का नहीं करेगा, लेकिन यह आपको और भी कठिन चुनौतियों का सामना करने की ताकत और सहनशक्ति प्रदान करेगा।

©Srinivas

आज का पसीना और परिश्रम कल के भार को हल्का नहीं करेगा, लेकिन यह आपको और भी कठिन चुनौतियों का सामना करने की ताकत और सहनशक्ति प्रदान करेगा।

13 Love

सपनों को हकीकत बनाने का रास्ता सिर्फ मेहनत ही दिखाती है। जो लोग परिश्रम करते हैं, वही इसके असली हकदार बनते हैं ©Srinivas

#कोट्स  सपनों को हकीकत बनाने का रास्ता सिर्फ मेहनत ही दिखाती है। जो लोग परिश्रम करते हैं, वही इसके असली हकदार बनते हैं

©Srinivas

सपनों को हकीकत बनाने का रास्ता सिर्फ मेहनत ही दिखाती है। जो लोग परिश्रम करते हैं, वही इसके असली हकदार बनते

16 Love

White ।। " मैं सही फैसले लेने में विश्वास नहीं करता बल्कि फैसले लेकर उन्हें सही साबित कर देता हूँ ! " ।। संसार में ऐसे व्यक्तित्व कम करिश्माई जन्म लेते हैं अपनी विराट विरासतको शिखर पर ले जाने वाले हैं संबंधों को बड़े प्रेम शिद्दत सलाहियत से निभाते है व्यापार को परिश्रम ईमानदारी शिखर पे पहुंचाते हैं रतन टाटा से रतन संसार में बिरले ही जन्म लेते हैं बड़ी खामोशी से वे अपना कर्तव्य निभाया करते है और खामोशी से हीअसार संसार से विदा लेते हैं सादगी का दिव्य स्वरूप मिलनसार जिनका था रूप दानशीलता में अग्रणी ऐसे दिव्य विभूतियां भारती बिरले ही कभी कभी इस संसार में जन्म लेते हैं करुणा की मूर्ति संसार में कम जन्म लिया करते हैं मानव रूप में करुणा की प्रतिमूर्ति विभूती अतुल्य रतन टाटा गए व्यापारीगण पारिवारिक जगत में सन्नाटा छोड़ गए उमेश चंद्र श्रीवास्तव नवांकुर मौलिक स्वरचित 10/10/2021 ©बेजुबान शायर shivkumar

#व्यक्तित्व #ईमानदारी #विश्वास #कर्तव्य #फैसले #संसार  White ।। " मैं सही फैसले लेने में विश्वास नहीं करता
 बल्कि फैसले लेकर उन्हें सही साबित कर देता हूँ ! " ।।



संसार में ऐसे व्यक्तित्व कम करिश्माई जन्म लेते हैं 
अपनी विराट विरासतको शिखर पर ले जाने वाले हैं 

संबंधों को बड़े प्रेम शिद्दत सलाहियत से निभाते है 
व्यापार को परिश्रम ईमानदारी शिखर पे पहुंचाते हैं  

रतन टाटा से रतन संसार में बिरले ही जन्म लेते हैं 
बड़ी खामोशी से वे अपना कर्तव्य निभाया करते है 

और खामोशी से हीअसार संसार से विदा लेते हैं 
सादगी का दिव्य स्वरूप मिलनसार जिनका था रूप 

दानशीलता में अग्रणी ऐसे दिव्य विभूतियां भारती
बिरले ही कभी कभी इस संसार में जन्म लेते हैं

करुणा की मूर्ति संसार में कम जन्म लिया करते हैं 
मानव रूप में करुणा की 

प्रतिमूर्ति विभूती अतुल्य रतन टाटा गए
 व्यापारीगण पारिवारिक जगत में सन्नाटा छोड़ गए 


उमेश चंद्र श्रीवास्तव नवांकुर मौलिक स्वरचित 10/10/2021

©बेजुबान शायर shivkumar

#Ratan_Tata #ratantata #RIP फिल्मी दुनिया हिंदी फिल्म ।। " मैं सही #फैसले लेने में #विश्वास नहीं करता बल्कि फैसले लेकर उन्हें सही #सा

13 Love

मधुर वाणी श्रोताओं को आकर्षित कर सकती है, लेकिन केवल परिश्रम ही विश्वास को जन्म देता है। ©Srinivas

#कोट्स  मधुर वाणी श्रोताओं को आकर्षित कर सकती है, लेकिन केवल परिश्रम ही विश्वास को जन्म देता है।

©Srinivas

मधुर वाणी श्रोताओं को आकर्षित कर सकती है, लेकिन केवल परिश्रम ही विश्वास को जन्म देता है।

14 Love

गीता के अनुसार मनुष्य के दुःख का कारण क्या है? यदि भगवद गीता को देखें तो हम पाते हैं कि संसार के दुखों का प्रमुख कारण आत्मा के स्वरूप के विषय में हमारा अज्ञान है। हम स्वजनों की मृत्यु की आशंका से ही भयभीत हो जाते हैं। हमने जो भी अर्जित किया या पाया है, उसकी हानि की शंका भी हमारी चेतना को कभी पूर्णतया स्वछंद नहीं होने देती। भगवद गीता के मुताबिक, मनुष्य के दुखों का प्रमुख कारण आत्मा के स्वरूप के बारे में अज्ञानता है. इसके अलावा, मनुष्य के दुखों के कुछ और कारण ये हैं: हमने जो भी अर्जित किया या पाया है, उसकी हानि की शंका हमारी चेतना को कभी पूर्णतया स्वच्छंद नहीं होने देती. मनुष्य में श्रेष्ठ गुणों का अभाव होता है. मनुष्य का शत्रुतापूर्ण और अमानवीय स्वभाव दुनिया को उदास और निराशाजनक बना देता है. अधिकांश मनुष्य इस बात का परिप्रेक्ष्य खो चुके हैं कि यह जीवन क्या है. उनकी मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया अस्तित्वगत प्रक्रिया से कहीं अधिक बड़ी हो गई है. भगवद गीता के मुताबिक, मनुष्य को अपने विवेक, परिश्रम, बुद्धि और उद्यम पर संदेह नहीं करना चाहिए. उसे सदैव सत्य और स्वधर्म के पक्ष में रहना चाहिए. ©person

 गीता के अनुसार मनुष्य के दुःख का कारण क्या है?


यदि भगवद गीता को देखें तो हम पाते हैं कि संसार के दुखों का प्रमुख कारण आत्मा के स्वरूप के विषय में हमारा अज्ञान है। हम स्वजनों की मृत्यु की आशंका से ही भयभीत हो जाते हैं। हमने जो भी अर्जित किया या पाया है, उसकी हानि की शंका भी हमारी चेतना को कभी पूर्णतया स्वछंद नहीं होने देती।

भगवद गीता के मुताबिक, मनुष्य के दुखों का प्रमुख कारण आत्मा के स्वरूप के बारे में अज्ञानता है. इसके अलावा, मनुष्य के दुखों के कुछ और कारण ये हैं: 
 
हमने जो भी अर्जित किया या पाया है, उसकी हानि की शंका हमारी चेतना को कभी पूर्णतया स्वच्छंद नहीं होने देती. 
 
मनुष्य में श्रेष्ठ गुणों का अभाव होता है. 
 
मनुष्य का शत्रुतापूर्ण और अमानवीय स्वभाव दुनिया को उदास और निराशाजनक बना देता है. 
 
अधिकांश मनुष्य इस बात का परिप्रेक्ष्य खो चुके हैं कि यह जीवन क्या है. 
 
उनकी मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया अस्तित्वगत प्रक्रिया से कहीं अधिक बड़ी हो गई है. 
 
भगवद गीता के मुताबिक, मनुष्य को अपने विवेक, परिश्रम, बुद्धि और उद्यम पर संदेह नहीं करना चाहिए. उसे सदैव सत्य और स्वधर्म के पक्ष में रहना चाहिए.

©person

गीता के अनुसार मनुष्य के दुःख का कारण क्या है? यदि भगवद गीता को देखें तो हम पाते हैं कि संसार के दुखों का प्रमुख कारण आत्मा के स्वरूप के वि

18 Love

भक्ति के लिए कोई आयु सीमा नहीं होती। बचपन से ही प्रभु सिमरन करना चाहिए। जिससे संकट में भक्तों की नैया परमात्मा पार लगा दें। यह सब हमें भागवत सत्संग सुनने से प्राप्त होता है। देखिए भक्ति मार्ग पर चलने के लिए कोई निश्चित आयु-सीमा नहीं होती। जब भी किसी व्यक्ति को आध्यात्मिक ज्ञान समझ आ जाता है तब ही तुरंत सच्चे संत से नाम दीक्षा ले लेनी चाहिए क्योंकि मानव जीवन का कोई भरोसा नहीं इसलिए इस मनुष्य जीवन के अवसर का लाभ उठाना चाहिए। मनुष्य में कौन से 5 गुण होने आवश्यक हैं? मनुष्य के 5 सबसे आवश्यक गुण है। कर्तव्यनिष्ठा, विनम्रता, चरित्रवान, उदारता, परिश्रमी ©person

#Bhakti  भक्ति के लिए कोई आयु सीमा नहीं होती। बचपन से ही प्रभु सिमरन करना चाहिए। जिससे संकट में भक्तों की नैया परमात्मा पार लगा दें। यह सब हमें भागवत सत्संग सुनने से प्राप्त होता है। 

देखिए भक्ति मार्ग पर चलने के लिए कोई निश्चित आयु-सीमा नहीं होती। जब भी किसी व्यक्ति को आध्यात्मिक ज्ञान समझ आ जाता है तब ही तुरंत सच्चे संत से नाम दीक्षा ले लेनी चाहिए क्योंकि मानव जीवन का कोई भरोसा नहीं इसलिए इस मनुष्य जीवन के अवसर का लाभ उठाना चाहिए।

मनुष्य में कौन से 5 गुण होने आवश्यक हैं? मनुष्य के 5 सबसे आवश्यक गुण है। कर्तव्यनिष्ठा, विनम्रता, चरित्रवान, उदारता, परिश्रमी

©person

भक्ति में हैं शक्ति 🙏 ✝️🕉️☪️🪯☯️☮️☸️🕎 सकारात्मक सोच और गुण सही मार्ग पर ले जाता हैं मनुष्य में कौन से 5 गुण होने आवश्यक हैं? मनुष्य के 5 सब

14 Love

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