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New सांझ ढले गगन तले Status, Photo, Video

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#कविता

मैं पवन जैन अपने एक गीत के साथ..गीत के बोल हैं........ "प्रिय कभी तो आकर देखो.. उस मोलसरी के पेड़ तले!"

99 View

#कविता  White साँझ उतरी है ज़मीं पर, सुबह की लाली लिए,
खुशबुएँ फैलीं पहर में, पूजा की थाली लिए।

कुछ रीती सी है ज़िन्दगी, कुछ गुनगुनाते स्वप्न हैं,
चाँदनी बिखरी ज़मीं पर, रात मतवाली लिए।

मशरूफ़ हैं वो फिर कहीं, झूठा बहाना ओढ़कर,
जज़्बात फिर ढलने लगे हैं, ऑंखों में पानी लिए।

दहलीज पर फुर्सत से हम, थककर खड़े थे रात भर,
तुम सुबह बिखरे आ गए, फिर हाथ को खाली लिए।

गुजरेगा फिर ये वक्त भी, आएँगी शामें गुनगुनी,
गालों को मेरे चूमेगा, फिर हाथों में बाली लिए।

ओढूँगी तेरी प्रीत को, आगोश में छुप जाऊँगी,
फिर दिन सुहाने आएँगे, साथ खुशहाली लिए।

और बनके मेरा तू मुकद्दर, साथ मेरे चल पड़ा,
नज़रें झुकी हैं फिर हया से, गालों पर लाली लिए।।

🍁🍁🍁

©Neel

सांझ 🍁

279 View

#कविता

काव्य महारथी संध्या श्रीवास्तव "सांझ", छतरपुर, मध्यप्रदेश हिंदी कविता कविता कविता कोश प्रेरणादायी कविता हिंदी हिंदी दिवस पर कविता

153 View

#Indian_flag  White सबने वंदेमातरम् गाया है 
हिम्मत नहीं कि आँख 
उठा के देख ले कोई 
जुर्रत जिसने भी की
मिट गया वहीं का वही
गगन में तिरंगा लहराया है 
सबने वंदेमातरम् गाया है
             मिट्टी का तिलक लगाने वाले
             धरती के पाँव छूते है
              जिस जमीन तिरंगा लगे
              उसके सजदे करते हैं 
             भगत आजाद झांसी की रानी जैसा
               सब पर देश भक्ति का जुनून छाया है 
 गगन में तिरंगा लहराया है 
सबने वंदेमातरम् गाया है
 गगन में तिरंगा लहराया है 
सबने वंदेमातरम् गाया है

©Parul Sharma

गगन में तिरंगा लहराया है  सबने वंदेमातरम् गाया है  हिम्मत नहीं कि आँख  उठा के देख ले कोई  जुर्रत जिसने भी की मिट गया वहीं का वही गगन में तिर

126 View

#GoldenHour  सांझ के आंचल में, जब सूरज ढलता है, 
धरती पर सोने की चादर सा फैलता है। 
आसमान के रंगों में, सुनहरी लहरें खिलती हैं, 
प्रकृति की गोद में, मानो स्वर्णधारा बहती है।

©Nirankar Trivedi

सांझ के आंचल में, जब सूरज ढलता है, धरती पर सोने की चादर सा फैलता है। आसमान के रंगों में, सुनहरी लहरें खिलती हैं, प्रकृति की गोद में, मानो स्

207 View

कुण्डलिया :- नीले अम्बर के तले , जपते राधा नाम । बारिश की हर बूँद से , बचा रहे घनश्याम ।। बचा रहे घनश्याम , भीग मत जाये राधा । होगा जब संताप , कष्ट मुझको भी आधा ।। छाता लूँ मैं तान , दूर हैं काफी टीले । छाये हैं अब मेघ , न दिखते अम्बर नीले ।। नीले अम्बर के तले , दोनों अन्तर ध्यान । दिव्य शक्ति दोनो यहाँ, कहते सभी सुजान । कहते सभी सुजान, इन्हीं की महिमा न्यारी । सबके दुख संताप , हरे हैं नित बनवारी ।। रिमझिम पड़ी फुहार , हो गये दोनो गीले । छाता ले अब अब तान , नहीं अब अम्बर नीले ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  कुण्डलिया :-
नीले अम्बर के तले , जपते राधा नाम ।
बारिश की हर बूँद से , बचा रहे घनश्याम ।।
बचा रहे घनश्याम , भीग मत जाये राधा ।
होगा जब संताप , कष्ट मुझको भी आधा ।।
छाता लूँ मैं तान , दूर हैं काफी टीले ।
छाये हैं अब मेघ , न दिखते अम्बर नीले ।।

नीले अम्बर के तले , दोनों अन्तर ध्यान ।
दिव्य शक्ति दोनो यहाँ, कहते सभी सुजान ।
कहते सभी सुजान, इन्हीं की महिमा न्यारी ।
सबके दुख संताप , हरे हैं नित बनवारी ।।
रिमझिम पड़ी फुहार , हो गये दोनो गीले ।
छाता ले अब अब तान , नहीं अब अम्बर नीले ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

कुण्डलिया :- नीले अम्बर के तले , जपते राधा नाम । बारिश की हर बूँद से , बचा रहे घनश्याम ।। बचा रहे घनश्याम , भीग मत जाये राधा । होगा जब संताप

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#कविता

मैं पवन जैन अपने एक गीत के साथ..गीत के बोल हैं........ "प्रिय कभी तो आकर देखो.. उस मोलसरी के पेड़ तले!"

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#कविता  White साँझ उतरी है ज़मीं पर, सुबह की लाली लिए,
खुशबुएँ फैलीं पहर में, पूजा की थाली लिए।

कुछ रीती सी है ज़िन्दगी, कुछ गुनगुनाते स्वप्न हैं,
चाँदनी बिखरी ज़मीं पर, रात मतवाली लिए।

मशरूफ़ हैं वो फिर कहीं, झूठा बहाना ओढ़कर,
जज़्बात फिर ढलने लगे हैं, ऑंखों में पानी लिए।

दहलीज पर फुर्सत से हम, थककर खड़े थे रात भर,
तुम सुबह बिखरे आ गए, फिर हाथ को खाली लिए।

गुजरेगा फिर ये वक्त भी, आएँगी शामें गुनगुनी,
गालों को मेरे चूमेगा, फिर हाथों में बाली लिए।

ओढूँगी तेरी प्रीत को, आगोश में छुप जाऊँगी,
फिर दिन सुहाने आएँगे, साथ खुशहाली लिए।

और बनके मेरा तू मुकद्दर, साथ मेरे चल पड़ा,
नज़रें झुकी हैं फिर हया से, गालों पर लाली लिए।।

🍁🍁🍁

©Neel

सांझ 🍁

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#कविता

काव्य महारथी संध्या श्रीवास्तव "सांझ", छतरपुर, मध्यप्रदेश हिंदी कविता कविता कविता कोश प्रेरणादायी कविता हिंदी हिंदी दिवस पर कविता

153 View

#Indian_flag  White सबने वंदेमातरम् गाया है 
हिम्मत नहीं कि आँख 
उठा के देख ले कोई 
जुर्रत जिसने भी की
मिट गया वहीं का वही
गगन में तिरंगा लहराया है 
सबने वंदेमातरम् गाया है
             मिट्टी का तिलक लगाने वाले
             धरती के पाँव छूते है
              जिस जमीन तिरंगा लगे
              उसके सजदे करते हैं 
             भगत आजाद झांसी की रानी जैसा
               सब पर देश भक्ति का जुनून छाया है 
 गगन में तिरंगा लहराया है 
सबने वंदेमातरम् गाया है
 गगन में तिरंगा लहराया है 
सबने वंदेमातरम् गाया है

©Parul Sharma

गगन में तिरंगा लहराया है  सबने वंदेमातरम् गाया है  हिम्मत नहीं कि आँख  उठा के देख ले कोई  जुर्रत जिसने भी की मिट गया वहीं का वही गगन में तिर

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#GoldenHour  सांझ के आंचल में, जब सूरज ढलता है, 
धरती पर सोने की चादर सा फैलता है। 
आसमान के रंगों में, सुनहरी लहरें खिलती हैं, 
प्रकृति की गोद में, मानो स्वर्णधारा बहती है।

©Nirankar Trivedi

सांझ के आंचल में, जब सूरज ढलता है, धरती पर सोने की चादर सा फैलता है। आसमान के रंगों में, सुनहरी लहरें खिलती हैं, प्रकृति की गोद में, मानो स्

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कुण्डलिया :- नीले अम्बर के तले , जपते राधा नाम । बारिश की हर बूँद से , बचा रहे घनश्याम ।। बचा रहे घनश्याम , भीग मत जाये राधा । होगा जब संताप , कष्ट मुझको भी आधा ।। छाता लूँ मैं तान , दूर हैं काफी टीले । छाये हैं अब मेघ , न दिखते अम्बर नीले ।। नीले अम्बर के तले , दोनों अन्तर ध्यान । दिव्य शक्ति दोनो यहाँ, कहते सभी सुजान । कहते सभी सुजान, इन्हीं की महिमा न्यारी । सबके दुख संताप , हरे हैं नित बनवारी ।। रिमझिम पड़ी फुहार , हो गये दोनो गीले । छाता ले अब अब तान , नहीं अब अम्बर नीले ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  कुण्डलिया :-
नीले अम्बर के तले , जपते राधा नाम ।
बारिश की हर बूँद से , बचा रहे घनश्याम ।।
बचा रहे घनश्याम , भीग मत जाये राधा ।
होगा जब संताप , कष्ट मुझको भी आधा ।।
छाता लूँ मैं तान , दूर हैं काफी टीले ।
छाये हैं अब मेघ , न दिखते अम्बर नीले ।।

नीले अम्बर के तले , दोनों अन्तर ध्यान ।
दिव्य शक्ति दोनो यहाँ, कहते सभी सुजान ।
कहते सभी सुजान, इन्हीं की महिमा न्यारी ।
सबके दुख संताप , हरे हैं नित बनवारी ।।
रिमझिम पड़ी फुहार , हो गये दोनो गीले ।
छाता ले अब अब तान , नहीं अब अम्बर नीले ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

कुण्डलिया :- नीले अम्बर के तले , जपते राधा नाम । बारिश की हर बूँद से , बचा रहे घनश्याम ।। बचा रहे घनश्याम , भीग मत जाये राधा । होगा जब संताप

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