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#वीडियो

"रानी आदिति की वीरता: गौरवमयी विजय" - एक ऐसे देश में जहां वीरता और नियति का मिलन होता है, रानी आदिति अपने लोगों के लिए आशा की किरण बनकर खड़ी

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गीत :-  धरती माँ के सीने पर अब , नहीं लगाओ फिर से घाव । नही लौट वो फिर आयेंगे , करने धरती पर बदलाव ।। धरती माँ के सीने पर अब... यहीं तो जन्में वीर अनेक, आल्हा उदल और मलखान । भूल गये हो तुम सब शायद, वीर शिवा जी औ चौहान ।। धर्म और धरती माँ पर जो, दिए प्राण का है बलिदान । देख रहा मैं क्रूर काल को , जिसका होता बुरा प्रभाव ।। धरती माँ के सीने पर अब.... वही डगर फिर से चुन लो सब , जो दिखलाये थे रसखान । जिसको जी कर मीरा जी ने , पाया जग में था सम्मान ।। इसी धरा पर राम नाम का , हनुमत करते थे गुणगान । नहीं हुई है अब भी देरी , जला हृदय में प्रेम अलाव ।। धरती माँ के सीने पर अब.... निर्मल पावन गंगा कहती , यह है परशुराम का धाम । रूष्ट नहीं कर देना उनको , झुककर कर लो उन्हें प्रणाम ।। अधिक बिलंब उचित क्यों करना , बढ़कर लो अब तुम संज्ञान । ईर्ष्या द्वेष मिटाओ जग से , पनपे हृदय प्रेम के भाव ।। धरती माँ के सीने पर अब..... नीर नदी का सूख रहा है , आज जमा ले अपना पाँव । गली-गली कन्या है पीडित, भूखे ग्वाले घूमें गाँव ।। झुलस रहें हैं राही पथ के , बता मिले कब शीतल छाँव । धीरे-धीरे प्रकृति सौन्दर्य  , में दिखता क्यों हमें अभाव ।। धरती माँ के सीने पर अब.... धरती माँ के सीने पर अब , नहीं लगाओ फिर से घाव । नही लौट वो फिर आयेंगे , करने धरती पर बदलाव ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  गीत :- 
धरती माँ के सीने पर अब , नहीं लगाओ फिर से घाव ।
नही लौट वो फिर आयेंगे , करने धरती पर बदलाव ।।
धरती माँ के सीने पर अब...

यहीं तो जन्में वीर अनेक, आल्हा उदल और मलखान ।
भूल गये हो तुम सब शायद, वीर शिवा जी औ चौहान ।।
धर्म और धरती माँ पर जो, दिए प्राण का है बलिदान ।
देख रहा मैं क्रूर काल को , जिसका होता बुरा प्रभाव ।।
धरती माँ के सीने पर अब....

वही डगर फिर से चुन लो सब , जो दिखलाये थे रसखान ।
जिसको जी कर मीरा जी ने , पाया जग में था सम्मान ।।
इसी धरा पर राम नाम का , हनुमत करते थे गुणगान ।
नहीं हुई है अब भी देरी , जला हृदय में प्रेम अलाव ।।
धरती माँ के सीने पर अब....

निर्मल पावन गंगा कहती , यह है परशुराम का धाम ।
रूष्ट नहीं कर देना उनको , झुककर कर लो उन्हें प्रणाम ।।
अधिक बिलंब उचित क्यों करना , बढ़कर लो अब तुम संज्ञान ।
ईर्ष्या द्वेष मिटाओ जग से , पनपे हृदय प्रेम के भाव ।।
धरती माँ के सीने पर अब.....

नीर नदी का सूख रहा है , आज जमा ले अपना पाँव ।
गली-गली कन्या है पीडित, भूखे ग्वाले घूमें गाँव ।।
झुलस रहें हैं राही पथ के , बता मिले कब शीतल छाँव ।
धीरे-धीरे प्रकृति सौन्दर्य  , में दिखता क्यों हमें अभाव ।।
धरती माँ के सीने पर अब....

धरती माँ के सीने पर अब , नहीं लगाओ फिर से घाव ।
नही लौट वो फिर आयेंगे , करने धरती पर बदलाव ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

गीत :-  धरती माँ के सीने पर अब , नहीं लगाओ फिर से घाव । नही लौट वो फिर आयेंगे , करने धरती पर बदलाव ।। धरती माँ के सीने पर अब... यहीं तो जन्

17 Love

White वो जज्बा कहाँ लाते हैं जो, रगों में आग भर जाते हैं। कारगिल के उन वीरों को सलाम, जो दुश्मनों को मात दे जाते हैं। हर मुश्किल को उन्होंने आसान किया, देश की खातिर अपना जान दिया। हमें भी उनसे प्रेरणा लेनी है, हर मंजिल को अपने कदमों में झुकाना है। हिम्मत और हौसले से आगे बढ़ते रहें, जीवन की हर जंग को जीतते रहें। कारगिल के शहीदों को याद रखें, उनके जैसा जज्बा हम भी अपनाएं। जय हिंद! ©Sandeep Lucky Singh

#kargil_vijay_diwas #Motivational #sandeeplguru #viral  White वो जज्बा कहाँ लाते हैं जो,
रगों में आग भर जाते हैं।
कारगिल के उन वीरों को सलाम,
जो दुश्मनों को मात दे जाते हैं।

हर मुश्किल को उन्होंने आसान किया,
देश की खातिर अपना जान दिया।
हमें भी उनसे प्रेरणा लेनी है,
हर मंजिल को अपने कदमों में झुकाना है।

हिम्मत और हौसले से आगे बढ़ते रहें,
जीवन की हर जंग को जीतते रहें।
कारगिल के शहीदों को याद रखें,
उनके जैसा जज्बा हम भी अपनाएं।

जय हिंद!

©Sandeep Lucky Singh

हम सब मिलकर उनकी वीरता और बलिदान को सलाम करें और अपने जीवन में भी वही जज्बा और समर्पण लाएं। जय हिंद! #kargil_vijay_diwas #viral #Nojoto #sa

93 Love

#वीडियो

"रानी आदिति की वीरता: गौरवमयी विजय" - एक ऐसे देश में जहां वीरता और नियति का मिलन होता है, रानी आदिति अपने लोगों के लिए आशा की किरण बनकर खड़ी

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गीत :-  धरती माँ के सीने पर अब , नहीं लगाओ फिर से घाव । नही लौट वो फिर आयेंगे , करने धरती पर बदलाव ।। धरती माँ के सीने पर अब... यहीं तो जन्में वीर अनेक, आल्हा उदल और मलखान । भूल गये हो तुम सब शायद, वीर शिवा जी औ चौहान ।। धर्म और धरती माँ पर जो, दिए प्राण का है बलिदान । देख रहा मैं क्रूर काल को , जिसका होता बुरा प्रभाव ।। धरती माँ के सीने पर अब.... वही डगर फिर से चुन लो सब , जो दिखलाये थे रसखान । जिसको जी कर मीरा जी ने , पाया जग में था सम्मान ।। इसी धरा पर राम नाम का , हनुमत करते थे गुणगान । नहीं हुई है अब भी देरी , जला हृदय में प्रेम अलाव ।। धरती माँ के सीने पर अब.... निर्मल पावन गंगा कहती , यह है परशुराम का धाम । रूष्ट नहीं कर देना उनको , झुककर कर लो उन्हें प्रणाम ।। अधिक बिलंब उचित क्यों करना , बढ़कर लो अब तुम संज्ञान । ईर्ष्या द्वेष मिटाओ जग से , पनपे हृदय प्रेम के भाव ।। धरती माँ के सीने पर अब..... नीर नदी का सूख रहा है , आज जमा ले अपना पाँव । गली-गली कन्या है पीडित, भूखे ग्वाले घूमें गाँव ।। झुलस रहें हैं राही पथ के , बता मिले कब शीतल छाँव । धीरे-धीरे प्रकृति सौन्दर्य  , में दिखता क्यों हमें अभाव ।। धरती माँ के सीने पर अब.... धरती माँ के सीने पर अब , नहीं लगाओ फिर से घाव । नही लौट वो फिर आयेंगे , करने धरती पर बदलाव ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  गीत :- 
धरती माँ के सीने पर अब , नहीं लगाओ फिर से घाव ।
नही लौट वो फिर आयेंगे , करने धरती पर बदलाव ।।
धरती माँ के सीने पर अब...

यहीं तो जन्में वीर अनेक, आल्हा उदल और मलखान ।
भूल गये हो तुम सब शायद, वीर शिवा जी औ चौहान ।।
धर्म और धरती माँ पर जो, दिए प्राण का है बलिदान ।
देख रहा मैं क्रूर काल को , जिसका होता बुरा प्रभाव ।।
धरती माँ के सीने पर अब....

वही डगर फिर से चुन लो सब , जो दिखलाये थे रसखान ।
जिसको जी कर मीरा जी ने , पाया जग में था सम्मान ।।
इसी धरा पर राम नाम का , हनुमत करते थे गुणगान ।
नहीं हुई है अब भी देरी , जला हृदय में प्रेम अलाव ।।
धरती माँ के सीने पर अब....

निर्मल पावन गंगा कहती , यह है परशुराम का धाम ।
रूष्ट नहीं कर देना उनको , झुककर कर लो उन्हें प्रणाम ।।
अधिक बिलंब उचित क्यों करना , बढ़कर लो अब तुम संज्ञान ।
ईर्ष्या द्वेष मिटाओ जग से , पनपे हृदय प्रेम के भाव ।।
धरती माँ के सीने पर अब.....

नीर नदी का सूख रहा है , आज जमा ले अपना पाँव ।
गली-गली कन्या है पीडित, भूखे ग्वाले घूमें गाँव ।।
झुलस रहें हैं राही पथ के , बता मिले कब शीतल छाँव ।
धीरे-धीरे प्रकृति सौन्दर्य  , में दिखता क्यों हमें अभाव ।।
धरती माँ के सीने पर अब....

धरती माँ के सीने पर अब , नहीं लगाओ फिर से घाव ।
नही लौट वो फिर आयेंगे , करने धरती पर बदलाव ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

गीत :-  धरती माँ के सीने पर अब , नहीं लगाओ फिर से घाव । नही लौट वो फिर आयेंगे , करने धरती पर बदलाव ।। धरती माँ के सीने पर अब... यहीं तो जन्

17 Love

White वो जज्बा कहाँ लाते हैं जो, रगों में आग भर जाते हैं। कारगिल के उन वीरों को सलाम, जो दुश्मनों को मात दे जाते हैं। हर मुश्किल को उन्होंने आसान किया, देश की खातिर अपना जान दिया। हमें भी उनसे प्रेरणा लेनी है, हर मंजिल को अपने कदमों में झुकाना है। हिम्मत और हौसले से आगे बढ़ते रहें, जीवन की हर जंग को जीतते रहें। कारगिल के शहीदों को याद रखें, उनके जैसा जज्बा हम भी अपनाएं। जय हिंद! ©Sandeep Lucky Singh

#kargil_vijay_diwas #Motivational #sandeeplguru #viral  White वो जज्बा कहाँ लाते हैं जो,
रगों में आग भर जाते हैं।
कारगिल के उन वीरों को सलाम,
जो दुश्मनों को मात दे जाते हैं।

हर मुश्किल को उन्होंने आसान किया,
देश की खातिर अपना जान दिया।
हमें भी उनसे प्रेरणा लेनी है,
हर मंजिल को अपने कदमों में झुकाना है।

हिम्मत और हौसले से आगे बढ़ते रहें,
जीवन की हर जंग को जीतते रहें।
कारगिल के शहीदों को याद रखें,
उनके जैसा जज्बा हम भी अपनाएं।

जय हिंद!

©Sandeep Lucky Singh

हम सब मिलकर उनकी वीरता और बलिदान को सलाम करें और अपने जीवन में भी वही जज्बा और समर्पण लाएं। जय हिंद! #kargil_vijay_diwas #viral #Nojoto #sa

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