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#शायरी

दस्तूर ही निराला...ll शायरी लव शायरी हिंदी में शायरी दर्द शेरो शायरी खूबसूरत दो लाइन शायरी

126 View

White वह तोड़ती पत्थर; देखा उसे मैं इलाहाबाद के पथ पर - वह तोड़ती पत्थर कोई ना छायादार पेड़ वह जिसके तले बैठी हुई स्वीकार ; श्याम तन, भर बंधा यौवन, नत नयन ,प्रिय- कर्म -रत मन, गुरु हथोड़ा हाथ , करती बार-बार प्रहार ;- सामने तरु -मालिका अट्टालिका ,प्राकार । चढ़ रही थी धूप; गर्मियों के दिन दिवा का तमतमाता रूप; उठी झुंझलाते हुए लू रूई - ज्यों जलती हुई भू गर्द चिनगी छा गई, प्राय: हुई दुपहर :- वह तोड़ती पत्थर ! देखे देखा मुझे तो एक बार उस भवन की ओर देखा, छिन्नतार; देखकर कोई नहीं, देखा मुझे इस दृष्टि से जो मार खा गई रोई नहीं, सजा सहज सीतार , सुनी मैंने वह नहीं जो थी सुनी झंकार; एक क्षण के बाद वह काँपी सुघर, ढोलक माथे से गिरे सीकर, लीन होते कर्म में फिर जो कहा - मैं तोड़ती पत्थर 'मैं तोड़ती पत्थर।' - सूर्यकांत त्रिपाठी निराला ©gudiya

#nojotoenglish #love_shayari #nojotohindi #SAD  White वह तोड़ती पत्थर;
 देखा उसे मैं इलाहाबाद के पथ पर -
वह तोड़ती पत्थर 
कोई ना छायादार 
पेड़ वह जिसके तले बैठी हुई स्वीकार ;
श्याम तन, भर बंधा यौवन,
 नत नयन ,प्रिय-  कर्म -रत मन,
 गुरु हथोड़ा हाथ ,
करती बार-बार प्रहार ;- 
सामने तरु -मालिका अट्टालिका ,प्राकार ।

चढ़ रही थी धूप;
 गर्मियों के दिन 
दिवा का तमतमाता रूप; उठी झुंझलाते हुए लू 

रूई - ज्यों जलती हुई भू
गर्द   चिनगी छा गई,
 प्राय: हुई दुपहर :- 
वह तोड़ती पत्थर !
देखे देखा मुझे तो एक बार 
उस भवन की ओर देखा,  छिन्नतार;
 देखकर कोई नहीं,
 देखा मुझे इस दृष्टि से 
जो मार खा गई रोई नहीं,
 सजा सहज सीतार ,
सुनी मैंने वह नहीं जो थी सुनी झंकार;
 एक क्षण के बाद वह काँपी सुघर,
ढोलक माथे से गिरे  सीकर, लीन होते कर्म में फिर जो कहा -
मैं तोड़ती पत्थर 
                'मैं तोड़ती पत्थर।'
- सूर्यकांत त्रिपाठी निराला

©gudiya

#love_shayari #Nojoto #nojotophoto #nojotohindi #nojotoenglish वह तोड़ती पत्थर; देखा उसे मैं इलाहाबाद के पथ पर - वह तोड़ती प

21 Love

#कविता #वह

#वह तोड़ती पत्थर (सूर्यकांत त्रिपाठी निराला)

117 View

White प्रात: सूर्य का तेज निराला, भाता मन को खूब। ज्यों समय का पहर बदलता, देने लगता वो धूप। हौले-हौले दिन जब ढलता, सूर्य अस्त हो जाता। तत्पश्चात चॉंद उदय हो, चॉंदनी फैलाता। ©Rinku Mogare

#rinkumogarewrites #mogarekealfaz #sad_shayari #ktunsalv  White प्रात: सूर्य का तेज निराला, भाता मन को खूब।
ज्यों समय का पहर बदलता, देने लगता वो धूप।
हौले-हौले दिन जब ढलता, सूर्य अस्त हो जाता।
तत्पश्चात चॉंद उदय हो, चॉंदनी फैलाता।

©Rinku Mogare

#sad_shayari प्रात: सूर्य का तेज निराला, भाता मन को खूब। ज्यों समय का पहर बदलता, देने लगता वो धूप। हौले-हौले दिन जब ढलता, सूर्य अस्त हो जाता

17 Love

माँ मुझे वरदान दो की रूप निराला अम्बे माँ का,भक्तों आओ दरस करो। हे दुष्टों को दलने वाली,हे कल्याणी त्राण हरो।। चहुँओर ही दनुज हैं फैले,भीत मनुज हैं चीत्कारे। पापी पलड़ा ऐसा भारी,यहाँ पुण्य को फटकारे।। भूखे निर्धन बिलक रहे हैं,भोजन धनिक यहाँ फेंके। जिनके घर वस्त्रों की धारा,वे चीथड़ों को न क्यों देखे।। ©Bharat Bhushan pathak

#Bhakti  माँ  मुझे  वरदान  दो  की  रूप निराला अम्बे माँ का,भक्तों आओ दरस करो।
हे दुष्टों को दलने वाली,हे कल्याणी त्राण हरो।।
चहुँओर ही दनुज हैं फैले,भीत मनुज हैं चीत्कारे।
पापी पलड़ा ऐसा भारी,यहाँ पुण्य को फटकारे।।
 भूखे निर्धन बिलक रहे हैं,भोजन धनिक यहाँ फेंके।
जिनके घर वस्त्रों की धारा,वे चीथड़ों को न क्यों देखे।।

©Bharat Bhushan pathak

रूप निराला अम्बे माँ का,भक्तों आओ दरस करो। हे दुष्टों को दलने वाली,हे कल्याणी त्राण हरो।। चहुँओर ही दनुज हैं फैले,भीत मनुज हैं चीत्कारे। पाप

14 Love

#हिंदी_हमारी_शान #हिंदी_कविता #निराला #कविता  हिंदी दिवस की सुभकामनाएं

#हिंदी_कविता #हिंदी_हमारी_शान #निराला हिंदी दिवस पर कविता हिंदी कविता @Kshitija ईsha roज़ी @Gudiya***** काव्य महारथी Heer Satish

720 View

#शायरी

दस्तूर ही निराला...ll शायरी लव शायरी हिंदी में शायरी दर्द शेरो शायरी खूबसूरत दो लाइन शायरी

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White वह तोड़ती पत्थर; देखा उसे मैं इलाहाबाद के पथ पर - वह तोड़ती पत्थर कोई ना छायादार पेड़ वह जिसके तले बैठी हुई स्वीकार ; श्याम तन, भर बंधा यौवन, नत नयन ,प्रिय- कर्म -रत मन, गुरु हथोड़ा हाथ , करती बार-बार प्रहार ;- सामने तरु -मालिका अट्टालिका ,प्राकार । चढ़ रही थी धूप; गर्मियों के दिन दिवा का तमतमाता रूप; उठी झुंझलाते हुए लू रूई - ज्यों जलती हुई भू गर्द चिनगी छा गई, प्राय: हुई दुपहर :- वह तोड़ती पत्थर ! देखे देखा मुझे तो एक बार उस भवन की ओर देखा, छिन्नतार; देखकर कोई नहीं, देखा मुझे इस दृष्टि से जो मार खा गई रोई नहीं, सजा सहज सीतार , सुनी मैंने वह नहीं जो थी सुनी झंकार; एक क्षण के बाद वह काँपी सुघर, ढोलक माथे से गिरे सीकर, लीन होते कर्म में फिर जो कहा - मैं तोड़ती पत्थर 'मैं तोड़ती पत्थर।' - सूर्यकांत त्रिपाठी निराला ©gudiya

#nojotoenglish #love_shayari #nojotohindi #SAD  White वह तोड़ती पत्थर;
 देखा उसे मैं इलाहाबाद के पथ पर -
वह तोड़ती पत्थर 
कोई ना छायादार 
पेड़ वह जिसके तले बैठी हुई स्वीकार ;
श्याम तन, भर बंधा यौवन,
 नत नयन ,प्रिय-  कर्म -रत मन,
 गुरु हथोड़ा हाथ ,
करती बार-बार प्रहार ;- 
सामने तरु -मालिका अट्टालिका ,प्राकार ।

चढ़ रही थी धूप;
 गर्मियों के दिन 
दिवा का तमतमाता रूप; उठी झुंझलाते हुए लू 

रूई - ज्यों जलती हुई भू
गर्द   चिनगी छा गई,
 प्राय: हुई दुपहर :- 
वह तोड़ती पत्थर !
देखे देखा मुझे तो एक बार 
उस भवन की ओर देखा,  छिन्नतार;
 देखकर कोई नहीं,
 देखा मुझे इस दृष्टि से 
जो मार खा गई रोई नहीं,
 सजा सहज सीतार ,
सुनी मैंने वह नहीं जो थी सुनी झंकार;
 एक क्षण के बाद वह काँपी सुघर,
ढोलक माथे से गिरे  सीकर, लीन होते कर्म में फिर जो कहा -
मैं तोड़ती पत्थर 
                'मैं तोड़ती पत्थर।'
- सूर्यकांत त्रिपाठी निराला

©gudiya

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#कविता #वह

#वह तोड़ती पत्थर (सूर्यकांत त्रिपाठी निराला)

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White प्रात: सूर्य का तेज निराला, भाता मन को खूब। ज्यों समय का पहर बदलता, देने लगता वो धूप। हौले-हौले दिन जब ढलता, सूर्य अस्त हो जाता। तत्पश्चात चॉंद उदय हो, चॉंदनी फैलाता। ©Rinku Mogare

#rinkumogarewrites #mogarekealfaz #sad_shayari #ktunsalv  White प्रात: सूर्य का तेज निराला, भाता मन को खूब।
ज्यों समय का पहर बदलता, देने लगता वो धूप।
हौले-हौले दिन जब ढलता, सूर्य अस्त हो जाता।
तत्पश्चात चॉंद उदय हो, चॉंदनी फैलाता।

©Rinku Mogare

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17 Love

माँ मुझे वरदान दो की रूप निराला अम्बे माँ का,भक्तों आओ दरस करो। हे दुष्टों को दलने वाली,हे कल्याणी त्राण हरो।। चहुँओर ही दनुज हैं फैले,भीत मनुज हैं चीत्कारे। पापी पलड़ा ऐसा भारी,यहाँ पुण्य को फटकारे।। भूखे निर्धन बिलक रहे हैं,भोजन धनिक यहाँ फेंके। जिनके घर वस्त्रों की धारा,वे चीथड़ों को न क्यों देखे।। ©Bharat Bhushan pathak

#Bhakti  माँ  मुझे  वरदान  दो  की  रूप निराला अम्बे माँ का,भक्तों आओ दरस करो।
हे दुष्टों को दलने वाली,हे कल्याणी त्राण हरो।।
चहुँओर ही दनुज हैं फैले,भीत मनुज हैं चीत्कारे।
पापी पलड़ा ऐसा भारी,यहाँ पुण्य को फटकारे।।
 भूखे निर्धन बिलक रहे हैं,भोजन धनिक यहाँ फेंके।
जिनके घर वस्त्रों की धारा,वे चीथड़ों को न क्यों देखे।।

©Bharat Bhushan pathak

रूप निराला अम्बे माँ का,भक्तों आओ दरस करो। हे दुष्टों को दलने वाली,हे कल्याणी त्राण हरो।। चहुँओर ही दनुज हैं फैले,भीत मनुज हैं चीत्कारे। पाप

14 Love

#हिंदी_हमारी_शान #हिंदी_कविता #निराला #कविता  हिंदी दिवस की सुभकामनाएं

#हिंदी_कविता #हिंदी_हमारी_शान #निराला हिंदी दिवस पर कविता हिंदी कविता @Kshitija ईsha roज़ी @Gudiya***** काव्य महारथी Heer Satish

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