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New autobiography of a pen Status, Photo, Video

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#Motivational

it's a period of struggle

99 View

#HeartfeltMessage  😊 Life of a Teacher  ☺

#HeartfeltMessage Life of a Teacher

144 View

The beauty of life isn't in avoiding problems but in facing them with a heart full of courage and a smile full of hope. ©Srinivas

#Quotes  The beauty of life isn't in avoiding problems but in facing them with a heart full of courage and a smile full of hope.

©Srinivas

The beauty of life isn't in avoiding problems but in facing them with a heart full of courage and a smile full of hope.

14 Love

#Bhakti

what a architecture of bhart 🚩

126 View

(मनुज कवि बन जाता है) जब अम्बर पिघल धरा पर आ न सके अधरों पे मुसकान रूक जाये आँखों से अश्क बन बह जाये और जब कलपित उर रो जाये तो समझो मनुज कवि बन जाता है व्यथा जब अपना न किसी से कह सके लज्जा से मन भर जाये काली रातों की अंधियारी में जब सारा भुवन सो जाये तो समझो मनुज कवि बन जाता है जब मन भयभीत हो कुछ कहन सके पीड़ित हो अपनो से जब हाथों में कलम उठा लेते हैं शब्दों के सरिता में रम जाते हैं तो समझो मनुज कवि बन जाता है जब सामने अंधेरा छा जाये अकेला बेसहारा मन होने लगे तब नैनो के नीर स्याही से निज व्यथा को लिख डाले तो समझो मनुज कवि बन जाता है संघर्ष भरा जब जीवन हो लोगों के बीच समर्पण हो तब साहित्य में खो जाता है अपनी भावना उकेर डालता है तो समझो मनुज कवि बन जाता है जब भुलेबिसरे याद आये उर में दर्द की कसक उठे वेदना से मन काँप जाये तब हाथो में कलम उठाता है तो समझो मनुज कवि बन जाता है जब अपने प्रिय से न मिल सके यादों की व्यथा में खो जाये साहित्य की सरिता में बह जाये एक लेखनी लिख डाले तो समझो मनुज कवि बन जाता है जब जीवन मे मनचाहा सफलता मिल न सके मन गगन की उड़ान तो भरता है अक्षर शब्द मिल कविताओ में परिणित हो जाता है मन की भावना खूबसूरती से निखारता है तो समझो मनुज कवि बन जाता है ©संगीत कुमार

#कविता #pen  (मनुज कवि बन जाता है) 
जब अम्बर पिघल धरा पर आ न सके
अधरों पे मुसकान रूक जाये 
आँखों से अश्क बन बह जाये
और जब कलपित उर रो जाये
तो समझो मनुज कवि बन जाता है 

व्यथा जब अपना न किसी से कह सके
लज्जा से मन भर जाये 
काली रातों की अंधियारी में 
जब सारा भुवन सो जाये
तो समझो मनुज कवि बन जाता है 

जब मन भयभीत हो कुछ कहन सके
पीड़ित हो अपनो से जब
हाथों में कलम उठा लेते हैं 
शब्दों के सरिता में रम जाते हैं 
तो समझो मनुज कवि बन जाता है

जब सामने अंधेरा छा जाये
अकेला बेसहारा मन होने लगे
तब नैनो के नीर स्याही से 
निज व्यथा को लिख डाले
तो समझो मनुज कवि बन जाता है

संघर्ष भरा जब जीवन हो
लोगों के बीच समर्पण हो
तब साहित्य में खो जाता है
अपनी भावना उकेर डालता है
तो समझो मनुज कवि बन जाता है 

जब भुलेबिसरे याद आये
उर में दर्द की कसक उठे
वेदना से मन काँप जाये
तब हाथो में कलम उठाता है
तो समझो मनुज कवि बन जाता है 

जब अपने प्रिय से न मिल सके 
यादों की व्यथा में खो जाये
साहित्य की सरिता में बह जाये
एक लेखनी लिख डाले
तो समझो मनुज कवि बन जाता है 

जब जीवन मे मनचाहा सफलता मिल न सके
मन गगन की उड़ान तो भरता है
अक्षर शब्द मिल कविताओ में परिणित हो जाता है 
मन की भावना खूबसूरती से निखारता है
		तो समझो मनुज कवि बन जाता है

©संगीत कुमार

#pen

12 Love

#a  White "A Life story of a Bipin Chandra Pal"

Bipin Chandra Pal, was an Indian nationalist, freedom fighter, journalist, teacher, and social reformer who played a significant role in the Indian independence movement. He was one of the prominent leaders of the *Lal-Bal-Pal* trio, which also included Lala Lajpat Rai and Bal Gangadhar Tilak, and was instrumental in popularizing the Swadeshi movement.
Early Life and Education
Bipin Chandra Pal was born on November 7, 1858, in the village of Poil, in the Sylhet district (now in Bangladesh) of British India. He hailed from a well-to-do Hindu Bengali family. His father, Ramchandra Pal, was a Persian scholar and a small zamindar (landowner). Bipin was a brilliant student and developed an early interest in religious and philosophical studies. He attended the Presidency College in Calcutta (now Kolkata) but did not complete his degree. Instead, he pursued a career in teaching and journalism, which allowed him to engage with the socio-political issues of the time.
Involvement in the Independence Movement
Pal's political journey began with his involvement in the Indian National Congress (INC), where he became one of the earliest leaders to advocate for complete independence from British rule. He was deeply influenced by the works of Bankim Chandra Chatterjee and Swami Vivekananda, which shaped his nationalist views.
Bipin Chandra Pal was a key architect of the Swadeshi movement, which emerged in response to the partition of Bengal in 1905. He encouraged Indians to boycott British goods and services and to promote indigenous industries. He believed that economic self-reliance was crucial for India's independence. Pal's fiery speeches and writings made him a popular figure among the masses, and he became known for his uncompromising stand against British rule.

(to be continued)

©Sanjoy Khuman

#a life story of Bipin Chandra Pal

90 View

#Motivational

it's a period of struggle

99 View

#HeartfeltMessage  😊 Life of a Teacher  ☺

#HeartfeltMessage Life of a Teacher

144 View

The beauty of life isn't in avoiding problems but in facing them with a heart full of courage and a smile full of hope. ©Srinivas

#Quotes  The beauty of life isn't in avoiding problems but in facing them with a heart full of courage and a smile full of hope.

©Srinivas

The beauty of life isn't in avoiding problems but in facing them with a heart full of courage and a smile full of hope.

14 Love

#Bhakti

what a architecture of bhart 🚩

126 View

(मनुज कवि बन जाता है) जब अम्बर पिघल धरा पर आ न सके अधरों पे मुसकान रूक जाये आँखों से अश्क बन बह जाये और जब कलपित उर रो जाये तो समझो मनुज कवि बन जाता है व्यथा जब अपना न किसी से कह सके लज्जा से मन भर जाये काली रातों की अंधियारी में जब सारा भुवन सो जाये तो समझो मनुज कवि बन जाता है जब मन भयभीत हो कुछ कहन सके पीड़ित हो अपनो से जब हाथों में कलम उठा लेते हैं शब्दों के सरिता में रम जाते हैं तो समझो मनुज कवि बन जाता है जब सामने अंधेरा छा जाये अकेला बेसहारा मन होने लगे तब नैनो के नीर स्याही से निज व्यथा को लिख डाले तो समझो मनुज कवि बन जाता है संघर्ष भरा जब जीवन हो लोगों के बीच समर्पण हो तब साहित्य में खो जाता है अपनी भावना उकेर डालता है तो समझो मनुज कवि बन जाता है जब भुलेबिसरे याद आये उर में दर्द की कसक उठे वेदना से मन काँप जाये तब हाथो में कलम उठाता है तो समझो मनुज कवि बन जाता है जब अपने प्रिय से न मिल सके यादों की व्यथा में खो जाये साहित्य की सरिता में बह जाये एक लेखनी लिख डाले तो समझो मनुज कवि बन जाता है जब जीवन मे मनचाहा सफलता मिल न सके मन गगन की उड़ान तो भरता है अक्षर शब्द मिल कविताओ में परिणित हो जाता है मन की भावना खूबसूरती से निखारता है तो समझो मनुज कवि बन जाता है ©संगीत कुमार

#कविता #pen  (मनुज कवि बन जाता है) 
जब अम्बर पिघल धरा पर आ न सके
अधरों पे मुसकान रूक जाये 
आँखों से अश्क बन बह जाये
और जब कलपित उर रो जाये
तो समझो मनुज कवि बन जाता है 

व्यथा जब अपना न किसी से कह सके
लज्जा से मन भर जाये 
काली रातों की अंधियारी में 
जब सारा भुवन सो जाये
तो समझो मनुज कवि बन जाता है 

जब मन भयभीत हो कुछ कहन सके
पीड़ित हो अपनो से जब
हाथों में कलम उठा लेते हैं 
शब्दों के सरिता में रम जाते हैं 
तो समझो मनुज कवि बन जाता है

जब सामने अंधेरा छा जाये
अकेला बेसहारा मन होने लगे
तब नैनो के नीर स्याही से 
निज व्यथा को लिख डाले
तो समझो मनुज कवि बन जाता है

संघर्ष भरा जब जीवन हो
लोगों के बीच समर्पण हो
तब साहित्य में खो जाता है
अपनी भावना उकेर डालता है
तो समझो मनुज कवि बन जाता है 

जब भुलेबिसरे याद आये
उर में दर्द की कसक उठे
वेदना से मन काँप जाये
तब हाथो में कलम उठाता है
तो समझो मनुज कवि बन जाता है 

जब अपने प्रिय से न मिल सके 
यादों की व्यथा में खो जाये
साहित्य की सरिता में बह जाये
एक लेखनी लिख डाले
तो समझो मनुज कवि बन जाता है 

जब जीवन मे मनचाहा सफलता मिल न सके
मन गगन की उड़ान तो भरता है
अक्षर शब्द मिल कविताओ में परिणित हो जाता है 
मन की भावना खूबसूरती से निखारता है
		तो समझो मनुज कवि बन जाता है

©संगीत कुमार

#pen

12 Love

#a  White "A Life story of a Bipin Chandra Pal"

Bipin Chandra Pal, was an Indian nationalist, freedom fighter, journalist, teacher, and social reformer who played a significant role in the Indian independence movement. He was one of the prominent leaders of the *Lal-Bal-Pal* trio, which also included Lala Lajpat Rai and Bal Gangadhar Tilak, and was instrumental in popularizing the Swadeshi movement.
Early Life and Education
Bipin Chandra Pal was born on November 7, 1858, in the village of Poil, in the Sylhet district (now in Bangladesh) of British India. He hailed from a well-to-do Hindu Bengali family. His father, Ramchandra Pal, was a Persian scholar and a small zamindar (landowner). Bipin was a brilliant student and developed an early interest in religious and philosophical studies. He attended the Presidency College in Calcutta (now Kolkata) but did not complete his degree. Instead, he pursued a career in teaching and journalism, which allowed him to engage with the socio-political issues of the time.
Involvement in the Independence Movement
Pal's political journey began with his involvement in the Indian National Congress (INC), where he became one of the earliest leaders to advocate for complete independence from British rule. He was deeply influenced by the works of Bankim Chandra Chatterjee and Swami Vivekananda, which shaped his nationalist views.
Bipin Chandra Pal was a key architect of the Swadeshi movement, which emerged in response to the partition of Bengal in 1905. He encouraged Indians to boycott British goods and services and to promote indigenous industries. He believed that economic self-reliance was crucial for India's independence. Pal's fiery speeches and writings made him a popular figure among the masses, and he became known for his uncompromising stand against British rule.

(to be continued)

©Sanjoy Khuman

#a life story of Bipin Chandra Pal

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