White दफ़्तर कि राजनीति से निराश होकर
जो घर लौटो तुम तो तुम्हारे
अधरों पे सुकून कि एक मुस्कान लाना चाहती हूँ ।
तुम निसंकोच कर सको ज़हन कि हर बात मुझसे
तुम्हारे हृदय में बस इतनी सी एक स्थान पाना चाहती हूँ।
कभी जीवन कि आपा धापी से बेचैन
किसी के साथ कि आस लगाओगे,
तो यकीनन हालात जो भी हो तुम मुझे पास पाओगे।
बस समाज कि फब्तियों से तुम मत घबराना,
जो थक जाओ बीच सफ़र में चलते चलते
तो मेरी आँचल कि छांव में सर रखकर सो जाना ।
जो कभी छूटे न, मैं तुम्हारी वो आदत बनना चाहती हूँ
बदलते परिस्थितियों मे भी मै तुम्हारी ताकत बनना चाहती हूँ।
तुम्हारी हर पसंद नापसंद का ध्यान रखूंगी,
थोड़ी नोक झोक हो भी जाए भले
पर हमारे इस रिश्ते का मैं हमेशा मान रखूंगी।
तुम साथ रहो तो मैं वक़्त कि हर मार झेल जाऊंगी
पर कभी प्रचंड लहरों मे रिश्ते कि ये नाव गर डूबती दिखे
तो तुम मांझी बन जाना, मै तुम्हारी पतवार बन जाऊंगी
और कुछ यूँ तुम्हारे साथ मै सोमवार से इतवार बिताऊंगी।।
©Naina
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