White चमचागिरी।।
ऊँचे ओहदों की बस लगाते हैं ये ही जय-जयकार,
जो बैठे हैं कुर्सी पर, करते हैं उनका हर पल सत्कार।
चमचागिरी इनकी सच्ची कला है, काबिलों के लिए इक सजा है,
चालाकी की चिंगारी आँखों में, होठों पर झूठी मुस्कान,
दूसरों के राज़ उगलवा लें, जैसे हों बड़े विद्वान।।
कभी साथ देते हैं, कभी आँखें फेर लेते हैं,
फायदा जब न हो तो, ये आसानी से मुंह मोड़ लेते हैं।
इनकी असलियत को समझें, ये सब हैं फरेब के साए,
जो झुके हैं कुर्सी के पाए, अपनी इन हरकतों से खुद की पहचान खोते जाएं।
चमचागिरी इनकी सच्ची कला है, काबिलों के लिए इक सजा है।
©Navneet Thakur
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