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New कलेला अंत नाही Status, Photo, Video

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White क्योंकि. मै ही इस जगत का नियंता हू जगत का आदि और जगत का अंत भी हू इसलिए हर प्रान्नी के अधिकार और कर्तव्य मै ही नियंत्रित करता हू मै ही तय करता हू ©Parasram Arora

 White क्योंकि. मै ही इस 
जगत का नियंता हू 
जगत का आदि और 
जगत का अंत भी हू

इसलिए हर प्रान्नी के  
अधिकार और कर्तव्य 
 मै ही नियंत्रित करता 
हू  मै ही तय करता हू

©Parasram Arora

मै ही आदि मै ही अंत

14 Love

White ग्रीष्म में झुलसी नायिका ढूंढे वर्षा का संग वर्षा में मदहोश, फिर, शरद शिशिर के संग कभी रुचे हेमन्त किन्तु मिलते नहीं हैं कंत कंत बसंत मिलैं तभी हो अहंकार का अंत ©Shiv Narayan Saxena

#GoodMorning  White ग्रीष्म में झुलसी नायिका ढूंढे वर्षा का संग
वर्षा में मदहोश, फिर, शरद शिशिर के संग
कभी रुचे हेमन्त किन्तु मिलते नहीं हैं कंत
कंत बसंत मिलैं तभी हो अहंकार का अंत

©Shiv Narayan Saxena

#GoodMorning अहंकार का अंत.....

14 Love

#शायरी #अंत #पाप #का

White शीर्षक: सफर का अंत जीवन सहज नहीं रहा अब मेरा सांसों पर छा रहा काल का अंधेरा अनमना सा रहता अब तन मेरा दिल की गलियों में सन्नाटा गहरा चाह नहीं कुछ, मन भी अब बहरा कुछ नहीं किया हासिल, सब बिखरा जजर्र होती काया पर अब मृत्यु का ही पहेरा अस्त होता सूर्य भूल जाता दिया हुआ सवेरा बोझिल होती आंखों में दर्द का नहीं रहता कतरा सत्य की धुरी पर मूल्यांकित होता प्राणी का चेहरा समय विदा का जब आता, मौन मुखर होता गहरा "कमल" चिंतन के हर दरवाजे पर प्रभु नाम ही उभरा ✍️ कमल भंसाली ©Kamal bhansali

 White शीर्षक: सफर का अंत

जीवन सहज नहीं रहा अब मेरा
सांसों पर छा रहा काल का अंधेरा

अनमना सा रहता अब तन मेरा
दिल की गलियों में सन्नाटा गहरा

चाह नहीं कुछ, मन भी अब बहरा
कुछ नहीं किया हासिल, सब बिखरा

जजर्र होती काया पर अब मृत्यु का ही पहेरा 
अस्त होता सूर्य भूल जाता दिया हुआ सवेरा

बोझिल होती आंखों में दर्द का नहीं रहता कतरा
सत्य की धुरी पर मूल्यांकित होता प्राणी का चेहरा

समय विदा का जब आता, मौन मुखर होता गहरा
"कमल" चिंतन के हर दरवाजे पर प्रभु नाम ही उभरा
✍️ कमल भंसाली

©Kamal bhansali

# सफर का अंत # कमल

13 Love

#मराठीकविता  White स्वप्ना मागे पळताना 
माझ्यात मी हरवलो..
हरवताना जगात या 
स्वतःच मी  दुरावलो..

जबाबदारीच्या ओझ्याने 
अगदीच मी भारावलो..
भारावलेल्या आयुष्याला
जगायलाच मी विसरलो ..

 उगाच का बरं पळतोय 
अजूनहि नाही समजलो..
एकवेळ समजलं गेलं मला 
पण तरीही नाही थांबलो..?

पण तरीही नाही थांबलो..?

©गोरक्ष अशोक उंबरकर

तरीहि नाही थांबलो

135 View

#मराठीकविता #युवाकवी

आसवांची साद ऐकूण का सखे तू येत नाही, कोण म्हणतो काळजाला बोलता ग येतं नाही.. #युवाकवी

135 View

White क्योंकि. मै ही इस जगत का नियंता हू जगत का आदि और जगत का अंत भी हू इसलिए हर प्रान्नी के अधिकार और कर्तव्य मै ही नियंत्रित करता हू मै ही तय करता हू ©Parasram Arora

 White क्योंकि. मै ही इस 
जगत का नियंता हू 
जगत का आदि और 
जगत का अंत भी हू

इसलिए हर प्रान्नी के  
अधिकार और कर्तव्य 
 मै ही नियंत्रित करता 
हू  मै ही तय करता हू

©Parasram Arora

मै ही आदि मै ही अंत

14 Love

White ग्रीष्म में झुलसी नायिका ढूंढे वर्षा का संग वर्षा में मदहोश, फिर, शरद शिशिर के संग कभी रुचे हेमन्त किन्तु मिलते नहीं हैं कंत कंत बसंत मिलैं तभी हो अहंकार का अंत ©Shiv Narayan Saxena

#GoodMorning  White ग्रीष्म में झुलसी नायिका ढूंढे वर्षा का संग
वर्षा में मदहोश, फिर, शरद शिशिर के संग
कभी रुचे हेमन्त किन्तु मिलते नहीं हैं कंत
कंत बसंत मिलैं तभी हो अहंकार का अंत

©Shiv Narayan Saxena

#GoodMorning अहंकार का अंत.....

14 Love

#शायरी #अंत #पाप #का

White शीर्षक: सफर का अंत जीवन सहज नहीं रहा अब मेरा सांसों पर छा रहा काल का अंधेरा अनमना सा रहता अब तन मेरा दिल की गलियों में सन्नाटा गहरा चाह नहीं कुछ, मन भी अब बहरा कुछ नहीं किया हासिल, सब बिखरा जजर्र होती काया पर अब मृत्यु का ही पहेरा अस्त होता सूर्य भूल जाता दिया हुआ सवेरा बोझिल होती आंखों में दर्द का नहीं रहता कतरा सत्य की धुरी पर मूल्यांकित होता प्राणी का चेहरा समय विदा का जब आता, मौन मुखर होता गहरा "कमल" चिंतन के हर दरवाजे पर प्रभु नाम ही उभरा ✍️ कमल भंसाली ©Kamal bhansali

 White शीर्षक: सफर का अंत

जीवन सहज नहीं रहा अब मेरा
सांसों पर छा रहा काल का अंधेरा

अनमना सा रहता अब तन मेरा
दिल की गलियों में सन्नाटा गहरा

चाह नहीं कुछ, मन भी अब बहरा
कुछ नहीं किया हासिल, सब बिखरा

जजर्र होती काया पर अब मृत्यु का ही पहेरा 
अस्त होता सूर्य भूल जाता दिया हुआ सवेरा

बोझिल होती आंखों में दर्द का नहीं रहता कतरा
सत्य की धुरी पर मूल्यांकित होता प्राणी का चेहरा

समय विदा का जब आता, मौन मुखर होता गहरा
"कमल" चिंतन के हर दरवाजे पर प्रभु नाम ही उभरा
✍️ कमल भंसाली

©Kamal bhansali

# सफर का अंत # कमल

13 Love

#मराठीकविता  White स्वप्ना मागे पळताना 
माझ्यात मी हरवलो..
हरवताना जगात या 
स्वतःच मी  दुरावलो..

जबाबदारीच्या ओझ्याने 
अगदीच मी भारावलो..
भारावलेल्या आयुष्याला
जगायलाच मी विसरलो ..

 उगाच का बरं पळतोय 
अजूनहि नाही समजलो..
एकवेळ समजलं गेलं मला 
पण तरीही नाही थांबलो..?

पण तरीही नाही थांबलो..?

©गोरक्ष अशोक उंबरकर

तरीहि नाही थांबलो

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#मराठीकविता #युवाकवी

आसवांची साद ऐकूण का सखे तू येत नाही, कोण म्हणतो काळजाला बोलता ग येतं नाही.. #युवाकवी

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