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#गणपतिबप्पामोरया #अनंतचतुर्थी #devotionally_spiritually_taru #कवितावाचक #संस्कृत #कविता

तरु व क्रिशु पक्षतः सर्वदेशवासिनाम् अनन्त चतुर्थी हेतु शुभकामना विश्व को शुभकामनाएं! ⚜️⚜️⚜️⚜️⚜️⚜️⚜️⚜️⚜️⚜️⚜️⚜️⚜️⚜️ समस्त देशवासियों को तरु

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#चक्रव्युह #सर्वस्व #कोट्स #धोखे  हार जीत से पड़े हैं मेरी जिंदगी 
मैं किसी युद्ध की हिस्सा नहीं।  
अनभिज्ञ मैं चक्रव्युह कि संरचना से 
छल और बल की शिकार मेरी काया हुई ।
गैरो के धोखे से नहीं आहत मेरा मन
हैं अपनो से विदीर्ण मेरा सर्वस्व

©Prerna Singh

हार जीत से पड़े हैं मेरी जिंदगी मैं किसी युद्ध की हिस्सा नहीं। अनभिज्ञ मैं #चक्रव्युह कि संरचना से छल और बल की शिकार मेरी काया हुई ।गैरो

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मुक्तक :- जीवन भर अब नाथ , तुम्हारा बनकर रहना । जैसे राखो आप , यहाँ पर हमको रहना । नही लोभ औ मोह , कभी जीवन में आये- यही कृपा अब नाथ , बनाये हम पर रहना ।। मातु-पिता है बृद्ध , तनिक सेवा तो कर लो । और तनय का धर्म , निभाकर झोली भर लो । ऐसे अवसर नित्य , नही जीवन में आते - मिले परम पद आप , तनिक धीरज तो धर लो ।। बनकर हरि का दास , भक्ति का पहनूँ गहना । हर क्षण मुख पे राम , बोल फिर क्या है कहना । जगे हमारे भाग्य , शरण जो उनकी पाया - अब तो उनका नाम , हमें सुमिरन है करना ।। यह तन मिट्टी जान , जलायी हमने काया । हृदय बिठाकर राम , राम को हमने पाया । अब तो आठों याम , उन्हीं का सुमिरन होता - यह मन उनका धाम , उन्ही की सारी माया ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  मुक्तक :-
जीवन भर अब नाथ , तुम्हारा बनकर रहना ।
जैसे राखो आप , यहाँ पर हमको रहना ।
नही लोभ औ मोह , कभी जीवन में आये-
यही कृपा अब नाथ , बनाये हम पर रहना ।।

मातु-पिता है बृद्ध , तनिक सेवा तो कर लो ।
और तनय का धर्म , निभाकर झोली भर लो ।
ऐसे अवसर नित्य , नही जीवन में आते -
मिले परम पद आप , तनिक धीरज तो धर लो ।।

बनकर हरि का दास , भक्ति का पहनूँ गहना ।
हर क्षण मुख पे राम , बोल फिर क्या है कहना ।
जगे हमारे भाग्य , शरण जो उनकी पाया -
अब तो उनका नाम , हमें सुमिरन है करना ।।

यह तन मिट्टी जान , जलायी हमने काया ।
हृदय बिठाकर राम , राम को हमने पाया ।
अब तो आठों याम , उन्हीं का सुमिरन होता -
यह मन उनका धाम , उन्ही की सारी माया ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

मुक्तक :- जीवन भर अब नाथ , तुम्हारा बनकर रहना । जैसे राखो आप , यहाँ पर हमको रहना । नही लोभ औ मोह , कभी जीवन में आये- यही कृपा अब नाथ , बनाये

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मरहटा छन्द :- ओ रघुकुल नंदन , माथे चंदन , महिमा बड़ी अपार । सब तेरी लीला , अम्बर नीला , शीतल पवन बयार ।। सब सुनकर आये , ढ़ोल बजाये , करते सब मनुहार। अब अँखियाँ दे दो , दर्शन दे दो , जीवन सफल हमार ।। अब जपते-जपते , रटते-रटते , राधा-राधा नाम । हैं पहुँचे द्वारे , आज तुम्हारे , देखो राधेश्याम ।। अब बाहर आओ , दरस दिखाओ, दे दो कुछ परिणाम । कहती सब सखियां , प्यासी अँखियाँ , दर्शन दो अभिराम ।। हैं पर सुनेहरे  , कहीं न ठहरें , तितली रानी राज । फूलों की बगिया , चूमें कलियाँ , दिन भर का है काज ।। अपनी ही काया , लगती माया , करती हर पल नाज । सबको वह मोहित , करके रोहित , इठलाती है आज ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  मरहटा छन्द :-
ओ रघुकुल नंदन , माथे चंदन , महिमा बड़ी अपार ।
सब तेरी लीला , अम्बर नीला , शीतल पवन बयार ।।
सब सुनकर आये , ढ़ोल बजाये , करते सब मनुहार।
अब अँखियाँ दे दो , दर्शन दे दो , जीवन सफल हमार ।।

अब जपते-जपते , रटते-रटते , राधा-राधा नाम ।
हैं पहुँचे द्वारे , आज तुम्हारे , देखो राधेश्याम ।।
अब बाहर आओ , दरस दिखाओ, दे दो कुछ परिणाम ।
कहती सब सखियां , प्यासी अँखियाँ , दर्शन दो अभिराम ।।

हैं पर सुनेहरे  , कहीं न ठहरें , तितली रानी राज ।
फूलों की बगिया , चूमें कलियाँ , दिन भर का है काज ।।
अपनी ही काया , लगती माया , करती हर पल नाज ।
सबको वह मोहित , करके रोहित , इठलाती है आज ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

मरहटा छन्द :- ओ रघुकुल नंदन , माथे चंदन , महिमा बड़ी अपार । सब तेरी लीला , अम्बर नीला , शीतल पवन बयार ।। सब सुनकर आये , ढ़ोल बजाये , करते सब म

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#गणपतिबप्पामोरया #अनंतचतुर्थी #devotionally_spiritually_taru #कवितावाचक #संस्कृत #कविता

तरु व क्रिशु पक्षतः सर्वदेशवासिनाम् अनन्त चतुर्थी हेतु शुभकामना विश्व को शुभकामनाएं! ⚜️⚜️⚜️⚜️⚜️⚜️⚜️⚜️⚜️⚜️⚜️⚜️⚜️⚜️ समस्त देशवासियों को तरु

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#चक्रव्युह #सर्वस्व #कोट्स #धोखे  हार जीत से पड़े हैं मेरी जिंदगी 
मैं किसी युद्ध की हिस्सा नहीं।  
अनभिज्ञ मैं चक्रव्युह कि संरचना से 
छल और बल की शिकार मेरी काया हुई ।
गैरो के धोखे से नहीं आहत मेरा मन
हैं अपनो से विदीर्ण मेरा सर्वस्व

©Prerna Singh

हार जीत से पड़े हैं मेरी जिंदगी मैं किसी युद्ध की हिस्सा नहीं। अनभिज्ञ मैं #चक्रव्युह कि संरचना से छल और बल की शिकार मेरी काया हुई ।गैरो

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मुक्तक :- जीवन भर अब नाथ , तुम्हारा बनकर रहना । जैसे राखो आप , यहाँ पर हमको रहना । नही लोभ औ मोह , कभी जीवन में आये- यही कृपा अब नाथ , बनाये हम पर रहना ।। मातु-पिता है बृद्ध , तनिक सेवा तो कर लो । और तनय का धर्म , निभाकर झोली भर लो । ऐसे अवसर नित्य , नही जीवन में आते - मिले परम पद आप , तनिक धीरज तो धर लो ।। बनकर हरि का दास , भक्ति का पहनूँ गहना । हर क्षण मुख पे राम , बोल फिर क्या है कहना । जगे हमारे भाग्य , शरण जो उनकी पाया - अब तो उनका नाम , हमें सुमिरन है करना ।। यह तन मिट्टी जान , जलायी हमने काया । हृदय बिठाकर राम , राम को हमने पाया । अब तो आठों याम , उन्हीं का सुमिरन होता - यह मन उनका धाम , उन्ही की सारी माया ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  मुक्तक :-
जीवन भर अब नाथ , तुम्हारा बनकर रहना ।
जैसे राखो आप , यहाँ पर हमको रहना ।
नही लोभ औ मोह , कभी जीवन में आये-
यही कृपा अब नाथ , बनाये हम पर रहना ।।

मातु-पिता है बृद्ध , तनिक सेवा तो कर लो ।
और तनय का धर्म , निभाकर झोली भर लो ।
ऐसे अवसर नित्य , नही जीवन में आते -
मिले परम पद आप , तनिक धीरज तो धर लो ।।

बनकर हरि का दास , भक्ति का पहनूँ गहना ।
हर क्षण मुख पे राम , बोल फिर क्या है कहना ।
जगे हमारे भाग्य , शरण जो उनकी पाया -
अब तो उनका नाम , हमें सुमिरन है करना ।।

यह तन मिट्टी जान , जलायी हमने काया ।
हृदय बिठाकर राम , राम को हमने पाया ।
अब तो आठों याम , उन्हीं का सुमिरन होता -
यह मन उनका धाम , उन्ही की सारी माया ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

मुक्तक :- जीवन भर अब नाथ , तुम्हारा बनकर रहना । जैसे राखो आप , यहाँ पर हमको रहना । नही लोभ औ मोह , कभी जीवन में आये- यही कृपा अब नाथ , बनाये

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मरहटा छन्द :- ओ रघुकुल नंदन , माथे चंदन , महिमा बड़ी अपार । सब तेरी लीला , अम्बर नीला , शीतल पवन बयार ।। सब सुनकर आये , ढ़ोल बजाये , करते सब मनुहार। अब अँखियाँ दे दो , दर्शन दे दो , जीवन सफल हमार ।। अब जपते-जपते , रटते-रटते , राधा-राधा नाम । हैं पहुँचे द्वारे , आज तुम्हारे , देखो राधेश्याम ।। अब बाहर आओ , दरस दिखाओ, दे दो कुछ परिणाम । कहती सब सखियां , प्यासी अँखियाँ , दर्शन दो अभिराम ।। हैं पर सुनेहरे  , कहीं न ठहरें , तितली रानी राज । फूलों की बगिया , चूमें कलियाँ , दिन भर का है काज ।। अपनी ही काया , लगती माया , करती हर पल नाज । सबको वह मोहित , करके रोहित , इठलाती है आज ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  मरहटा छन्द :-
ओ रघुकुल नंदन , माथे चंदन , महिमा बड़ी अपार ।
सब तेरी लीला , अम्बर नीला , शीतल पवन बयार ।।
सब सुनकर आये , ढ़ोल बजाये , करते सब मनुहार।
अब अँखियाँ दे दो , दर्शन दे दो , जीवन सफल हमार ।।

अब जपते-जपते , रटते-रटते , राधा-राधा नाम ।
हैं पहुँचे द्वारे , आज तुम्हारे , देखो राधेश्याम ।।
अब बाहर आओ , दरस दिखाओ, दे दो कुछ परिणाम ।
कहती सब सखियां , प्यासी अँखियाँ , दर्शन दो अभिराम ।।

हैं पर सुनेहरे  , कहीं न ठहरें , तितली रानी राज ।
फूलों की बगिया , चूमें कलियाँ , दिन भर का है काज ।।
अपनी ही काया , लगती माया , करती हर पल नाज ।
सबको वह मोहित , करके रोहित , इठलाती है आज ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

मरहटा छन्द :- ओ रघुकुल नंदन , माथे चंदन , महिमा बड़ी अपार । सब तेरी लीला , अम्बर नीला , शीतल पवन बयार ।। सब सुनकर आये , ढ़ोल बजाये , करते सब म

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