White इस सफर-ए-हयात में क्या- क्या न दिखा,अपने
ही घर मे हर अफराद जुदा-जुदा सा मुझे दिखा//१
खल्क की सदा को नक्कारा-ए-खुदा न समझा,उमीदे-अदल
थी जिनसे,वो बाप विरासत देने मे गूंगा-बहरा सा मुझे दिखा//२
जो दबाते है सरमाया अपने हमशीरी का,वो बरोजे
मह्शर अल्लाह-रसूल् से शर्मिंदा सा मुझे दिखा//३
वो एहसासे कमतरी का शिकार न दिखा,हाँ आज
उसके मन मे जहरीला गुबार उड़ता सा मुझे दिखा//४
नफरत की अफीम बोई है,जिस हासिद ने,अब ईद दिवाली
स्नेह मिलन पर,वो नफरते फसल काटता सा मुझे दिखा//५
हाशिये पर पसमन्दो को निशाना बनाए देखा,इस
मानिंद नशेमन रिआया का गिरता सा मुझे दिखा//६
जो अना और किना परस्त बड़े लोग है,मुझको तो
ऐसे लोगो का किरदार अदना सा मुझे दिखा//६
जाइए मत आप"शमा"की बेबाकी पर,मै खामखाह,
सुर्ख़रू हुआ देखा जो ये हयात शनासा सा मुझे दिखा//७
#shamawritesbebaak
©shamawritesBebaak_शमीम अख्तर
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