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White अफ़सोस इतना गहरा नहीं कि सब कुछ मिटा देने को मन करे ना ही दुख इतना गहरा कि ख़ुद को ख़त्म कर लूँ बस निष्प्रभ हूँ, डगमगाता , लड़खड़ाता सा कितने फ़ैसले जो मैंने लेना चाहे उन्हें लेने और ना लेने का खामियाजा भुगतता हुआ कभी सोचता हूँ अपने अकेलेपन में अगर ऐसा होता तो क्या होता अगर ये कर लिया होता तो क्या होता क्या ये होता.. या फिर..... इन्हीं सवालों में अक्सर उलझ जाता हूँ ©हिमांशु Kulshreshtha

 White अफ़सोस इतना गहरा नहीं 
कि सब कुछ मिटा देने को मन करे 
ना ही दुख इतना गहरा 
कि ख़ुद को ख़त्म कर लूँ 
बस निष्प्रभ हूँ, 
डगमगाता , लड़खड़ाता सा 
कितने फ़ैसले जो मैंने लेना चाहे 
उन्हें लेने और ना लेने का 
खामियाजा भुगतता हुआ 
कभी सोचता हूँ अपने अकेलेपन में 
अगर ऐसा होता तो क्या होता 
अगर ये कर लिया होता तो क्या होता
क्या ये होता.. या फिर..... 
इन्हीं सवालों में अक्सर उलझ जाता हूँ

©हिमांशु Kulshreshtha

अक्सर...

13 Love

#वीडियो

आपके प्यार में हम संवारने लगे

153 View

मुझे नही पता था किसी की यादे इतनी रुलाती हैं एक याद बनकर ज़िंदगी को उलझाती जाती हैं ज़िंदगी से जाने के बाद भी पीछा नहीं छोड़ती क्यों याद बन कर ज़िंदगी को सताती हैं क्यु ज़िंदगी इस मोड़ पर आती हैं 🩷🩷🩷 ©manshisingh@gmail.com

#लव  मुझे नही पता था किसी की यादे इतनी रुलाती हैं
एक याद बनकर ज़िंदगी को उलझाती जाती हैं 
ज़िंदगी से जाने के बाद भी पीछा नहीं छोड़ती
क्यों याद बन कर ज़िंदगी को सताती हैं 
क्यु ज़िंदगी इस मोड़ पर आती हैं
🩷🩷🩷

©manshisingh@gmail.com

zindgi में याद बनकर अक्सर कोई रहे ही जाता है

10 Love

White अक्सर…. इन भीगी शामों में पुराने ख्याल उमड़ आते हैं बादलों की गरज से, आसमानी बिजली की चमक से हौले हौले गहरे स्याह होते हुए विगत को देखता हूँ तो अब न कोई अफसोस… न कुछ खोने का दुख, न कुछ हासिल न कर पाने का कुछ देर के लिए क्षितिज के एक छोर पर बादलों से बनती धुंधली सी आकृति को देखता हूँ मैं… जानता हूँ क्षणिक है… पर कुछ देर ही सही निहारना चाहता हूँ उसे यूँ ही अपलक, तब तक खो न जाए वो दूसरे छोर पर ©हिमांशु Kulshreshtha

#कविता  White अक्सर….
इन भीगी शामों में
पुराने ख्याल उमड़ आते हैं
बादलों की गरज से,
आसमानी बिजली की चमक से
हौले हौले गहरे स्याह होते हुए
विगत को देखता हूँ
तो अब न कोई अफसोस…
न कुछ खोने का दुख,
न कुछ हासिल न कर पाने का
कुछ देर के लिए
क्षितिज के एक छोर पर
बादलों से बनती
धुंधली सी आकृति
को देखता हूँ मैं…
जानता हूँ क्षणिक है…
पर कुछ देर ही सही
निहारना चाहता हूँ उसे
यूँ ही अपलक, तब तक
खो न जाए वो दूसरे छोर पर

©हिमांशु Kulshreshtha

अक्सर...

19 Love

#वीडियो  स्वरचित गजल
गम मिले तो छुपाना बुरी बात है

स्वरचित गजल प्यार में आजमाना बुरी बात है

153 View

तेरे💕दिल में 😘 है मेरा प्यार

135 View

White अफ़सोस इतना गहरा नहीं कि सब कुछ मिटा देने को मन करे ना ही दुख इतना गहरा कि ख़ुद को ख़त्म कर लूँ बस निष्प्रभ हूँ, डगमगाता , लड़खड़ाता सा कितने फ़ैसले जो मैंने लेना चाहे उन्हें लेने और ना लेने का खामियाजा भुगतता हुआ कभी सोचता हूँ अपने अकेलेपन में अगर ऐसा होता तो क्या होता अगर ये कर लिया होता तो क्या होता क्या ये होता.. या फिर..... इन्हीं सवालों में अक्सर उलझ जाता हूँ ©हिमांशु Kulshreshtha

 White अफ़सोस इतना गहरा नहीं 
कि सब कुछ मिटा देने को मन करे 
ना ही दुख इतना गहरा 
कि ख़ुद को ख़त्म कर लूँ 
बस निष्प्रभ हूँ, 
डगमगाता , लड़खड़ाता सा 
कितने फ़ैसले जो मैंने लेना चाहे 
उन्हें लेने और ना लेने का 
खामियाजा भुगतता हुआ 
कभी सोचता हूँ अपने अकेलेपन में 
अगर ऐसा होता तो क्या होता 
अगर ये कर लिया होता तो क्या होता
क्या ये होता.. या फिर..... 
इन्हीं सवालों में अक्सर उलझ जाता हूँ

©हिमांशु Kulshreshtha

अक्सर...

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#वीडियो

आपके प्यार में हम संवारने लगे

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मुझे नही पता था किसी की यादे इतनी रुलाती हैं एक याद बनकर ज़िंदगी को उलझाती जाती हैं ज़िंदगी से जाने के बाद भी पीछा नहीं छोड़ती क्यों याद बन कर ज़िंदगी को सताती हैं क्यु ज़िंदगी इस मोड़ पर आती हैं 🩷🩷🩷 ©manshisingh@gmail.com

#लव  मुझे नही पता था किसी की यादे इतनी रुलाती हैं
एक याद बनकर ज़िंदगी को उलझाती जाती हैं 
ज़िंदगी से जाने के बाद भी पीछा नहीं छोड़ती
क्यों याद बन कर ज़िंदगी को सताती हैं 
क्यु ज़िंदगी इस मोड़ पर आती हैं
🩷🩷🩷

©manshisingh@gmail.com

zindgi में याद बनकर अक्सर कोई रहे ही जाता है

10 Love

White अक्सर…. इन भीगी शामों में पुराने ख्याल उमड़ आते हैं बादलों की गरज से, आसमानी बिजली की चमक से हौले हौले गहरे स्याह होते हुए विगत को देखता हूँ तो अब न कोई अफसोस… न कुछ खोने का दुख, न कुछ हासिल न कर पाने का कुछ देर के लिए क्षितिज के एक छोर पर बादलों से बनती धुंधली सी आकृति को देखता हूँ मैं… जानता हूँ क्षणिक है… पर कुछ देर ही सही निहारना चाहता हूँ उसे यूँ ही अपलक, तब तक खो न जाए वो दूसरे छोर पर ©हिमांशु Kulshreshtha

#कविता  White अक्सर….
इन भीगी शामों में
पुराने ख्याल उमड़ आते हैं
बादलों की गरज से,
आसमानी बिजली की चमक से
हौले हौले गहरे स्याह होते हुए
विगत को देखता हूँ
तो अब न कोई अफसोस…
न कुछ खोने का दुख,
न कुछ हासिल न कर पाने का
कुछ देर के लिए
क्षितिज के एक छोर पर
बादलों से बनती
धुंधली सी आकृति
को देखता हूँ मैं…
जानता हूँ क्षणिक है…
पर कुछ देर ही सही
निहारना चाहता हूँ उसे
यूँ ही अपलक, तब तक
खो न जाए वो दूसरे छोर पर

©हिमांशु Kulshreshtha

अक्सर...

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स्वरचित गजल प्यार में आजमाना बुरी बात है

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