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#विचार  White खेत खलिहान आस लगाए रहते हैं बस! बादलों के झुरमुट की इसलिए तो किसान सूखी पलकों को लेकर बारिश के लिए पलक पांवड़े बिछाए रहते हैं ताकि मेहनत रंग लाए।

©Satish Kumar Meena

किसान

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#वीडियो

किसान यूनियन का ज्ञापन भारतीय किसान यूनियन टिकैत गुट

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किसान कोई तो बचाए इनको समझे कोई दर्द इनका भी, इनके हक के लिए भी तो कोई उठाए आवाज अपनी। लड़ते लड़ते हार भी जाते और फिर त्याग देते ये जीवन, फिर भी किसी के आगे फैलाते न हाथ अपने। सबका पेट ये है भरते खुद मगर भूखे ही सोते, फिर भी मुख से आह न भरते। ©Heer

#किसान #farmersprotest  किसान 

कोई तो बचाए इनको समझे कोई दर्द इनका भी,
इनके हक के लिए भी तो कोई उठाए आवाज अपनी। 

लड़ते लड़ते हार भी जाते और फिर त्याग देते ये जीवन,
फिर भी किसी के आगे फैलाते न हाथ अपने। 

सबका पेट ये है भरते खुद मगर भूखे ही सोते,
फिर भी मुख से आह न भरते।

©Heer
#किसान #shayri #farmer #India #viral  "किसान- प्रजापालक"

प्रजा पालक, भूमि का स्वामी,
दिन-रात मेहनत करता कामी।
उसके हाथों में जादू है,
ना वह अफसर ना वह बाबू।
वह सूरज के साथ उठता है,
और चाँद के साथ सोता है।
उसकी मेहनत का फल देखो,
जो खेतों में खिलखिलाता है।
वह वर्षा की बूंदों का इंतज़ार करता है,
और फसलों को पनपाता है।
उसका प्यार भूमि के लिए सच्चा है,
जो बीज बोता है, वह फसल लाता है।
उसकी मेहनत का फल सबको मिलता है,
और वह खुशी से अपना जीवन जीता है।
प्रजा पालक, कमेरा किसान है,
जो भूमि को जीवन, कर देता दान है।

©Vijay Vidrohi

||किसान_प्रजापालक|| #किसान #farmer #my #New #poem #shayri #love #India #viral urdu poetry sad poetry hindi poetry love poetry in hi

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#कविता #किसान                                                                हे हे
हज्ज्ज्

©Sunil Kumar Maurya Bekhud

White यह एक साधारण ग्रामीण दंपत्ति की कहानी है। रामू और सीता एक छोटे से गाँव में रहते थे। रामू किसान था और सीता गृहिणी। दोनों ने एक-दूसरे से बहुत प्यार किया और हर दिन एक साथ बिताया।एक बार की बात है, जब रामू की फसल अच्छी नहीं हुई, तो वह बहुत चिंतित हो गया। सीता ने उसे हिम्मत दी और कहा, "फसल का क्या है, ये तो हर साल आती जाती है। हमें मिलकर इसका सामना करना होगा।" सीता ने अपने गहने बेचकर घर के खर्चे चलाने का निर्णय लिया। रामू ने भी मेहनत करके अपनी किसानी को सुधारने की ठान ली।रामू ने नई तकनीकों का इस्तेमाल कर अगले साल बेहतर फसल उगाई। इस बार उनकी फसल बहुत अच्छी हुई और उन्होंने अपने पुराने कर्ज भी चुका दिए।इस पूरे समय में, रामू और सीता ने एक-दूसरे का साथ नहीं छोड़ा और एक-दूसरे को समर्थन देते रहे। उनकी मेहनत और आपसी समझ ने उन्हें हर कठिनाई से पार पाने में मदद की। उनके प्रेम और समर्पण की कहानी गाँव में मिसाल बन गई।इस तरह, रामू और सीता ने यह साबित कर दिया कि सच्चे प्रेम और आपसी समझ से हर कठिनाई का सामना किया जा सकता है। ©Gobind Kumar

#कविता  White यह एक साधारण ग्रामीण दंपत्ति की कहानी है। रामू और सीता एक छोटे से गाँव में रहते थे। रामू किसान था और सीता गृहिणी। दोनों ने एक-दूसरे से बहुत प्यार किया और हर दिन एक साथ बिताया।एक बार की बात है, जब रामू की फसल अच्छी नहीं हुई, तो वह बहुत चिंतित हो गया। सीता ने उसे हिम्मत दी और कहा, "फसल का क्या है, ये तो हर साल आती जाती है। हमें मिलकर इसका सामना करना होगा।" सीता ने अपने गहने बेचकर घर के खर्चे चलाने का निर्णय लिया। रामू ने भी मेहनत करके अपनी किसानी को सुधारने की ठान ली।रामू ने नई तकनीकों का इस्तेमाल कर अगले साल बेहतर फसल उगाई। इस बार उनकी फसल बहुत अच्छी हुई और उन्होंने अपने पुराने कर्ज भी चुका दिए।इस पूरे समय में, रामू और सीता ने एक-दूसरे का साथ नहीं छोड़ा और एक-दूसरे को समर्थन देते रहे। उनकी मेहनत और आपसी समझ ने उन्हें हर कठिनाई से पार पाने में मदद की। उनके प्रेम और समर्पण की कहानी गाँव में मिसाल बन गई।इस तरह, रामू और सीता ने यह साबित कर दिया कि सच्चे प्रेम और आपसी समझ से हर कठिनाई का सामना किया जा सकता है।

©Gobind Kumar

रामू किसान... हिंदी कविता

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#विचार  White खेत खलिहान आस लगाए रहते हैं बस! बादलों के झुरमुट की इसलिए तो किसान सूखी पलकों को लेकर बारिश के लिए पलक पांवड़े बिछाए रहते हैं ताकि मेहनत रंग लाए।

©Satish Kumar Meena

किसान

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#वीडियो

किसान यूनियन का ज्ञापन भारतीय किसान यूनियन टिकैत गुट

135 View

किसान कोई तो बचाए इनको समझे कोई दर्द इनका भी, इनके हक के लिए भी तो कोई उठाए आवाज अपनी। लड़ते लड़ते हार भी जाते और फिर त्याग देते ये जीवन, फिर भी किसी के आगे फैलाते न हाथ अपने। सबका पेट ये है भरते खुद मगर भूखे ही सोते, फिर भी मुख से आह न भरते। ©Heer

#किसान #farmersprotest  किसान 

कोई तो बचाए इनको समझे कोई दर्द इनका भी,
इनके हक के लिए भी तो कोई उठाए आवाज अपनी। 

लड़ते लड़ते हार भी जाते और फिर त्याग देते ये जीवन,
फिर भी किसी के आगे फैलाते न हाथ अपने। 

सबका पेट ये है भरते खुद मगर भूखे ही सोते,
फिर भी मुख से आह न भरते।

©Heer
#किसान #shayri #farmer #India #viral  "किसान- प्रजापालक"

प्रजा पालक, भूमि का स्वामी,
दिन-रात मेहनत करता कामी।
उसके हाथों में जादू है,
ना वह अफसर ना वह बाबू।
वह सूरज के साथ उठता है,
और चाँद के साथ सोता है।
उसकी मेहनत का फल देखो,
जो खेतों में खिलखिलाता है।
वह वर्षा की बूंदों का इंतज़ार करता है,
और फसलों को पनपाता है।
उसका प्यार भूमि के लिए सच्चा है,
जो बीज बोता है, वह फसल लाता है।
उसकी मेहनत का फल सबको मिलता है,
और वह खुशी से अपना जीवन जीता है।
प्रजा पालक, कमेरा किसान है,
जो भूमि को जीवन, कर देता दान है।

©Vijay Vidrohi

||किसान_प्रजापालक|| #किसान #farmer #my #New #poem #shayri #love #India #viral urdu poetry sad poetry hindi poetry love poetry in hi

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#कविता #किसान                                                                हे हे
हज्ज्ज्

©Sunil Kumar Maurya Bekhud

White यह एक साधारण ग्रामीण दंपत्ति की कहानी है। रामू और सीता एक छोटे से गाँव में रहते थे। रामू किसान था और सीता गृहिणी। दोनों ने एक-दूसरे से बहुत प्यार किया और हर दिन एक साथ बिताया।एक बार की बात है, जब रामू की फसल अच्छी नहीं हुई, तो वह बहुत चिंतित हो गया। सीता ने उसे हिम्मत दी और कहा, "फसल का क्या है, ये तो हर साल आती जाती है। हमें मिलकर इसका सामना करना होगा।" सीता ने अपने गहने बेचकर घर के खर्चे चलाने का निर्णय लिया। रामू ने भी मेहनत करके अपनी किसानी को सुधारने की ठान ली।रामू ने नई तकनीकों का इस्तेमाल कर अगले साल बेहतर फसल उगाई। इस बार उनकी फसल बहुत अच्छी हुई और उन्होंने अपने पुराने कर्ज भी चुका दिए।इस पूरे समय में, रामू और सीता ने एक-दूसरे का साथ नहीं छोड़ा और एक-दूसरे को समर्थन देते रहे। उनकी मेहनत और आपसी समझ ने उन्हें हर कठिनाई से पार पाने में मदद की। उनके प्रेम और समर्पण की कहानी गाँव में मिसाल बन गई।इस तरह, रामू और सीता ने यह साबित कर दिया कि सच्चे प्रेम और आपसी समझ से हर कठिनाई का सामना किया जा सकता है। ©Gobind Kumar

#कविता  White यह एक साधारण ग्रामीण दंपत्ति की कहानी है। रामू और सीता एक छोटे से गाँव में रहते थे। रामू किसान था और सीता गृहिणी। दोनों ने एक-दूसरे से बहुत प्यार किया और हर दिन एक साथ बिताया।एक बार की बात है, जब रामू की फसल अच्छी नहीं हुई, तो वह बहुत चिंतित हो गया। सीता ने उसे हिम्मत दी और कहा, "फसल का क्या है, ये तो हर साल आती जाती है। हमें मिलकर इसका सामना करना होगा।" सीता ने अपने गहने बेचकर घर के खर्चे चलाने का निर्णय लिया। रामू ने भी मेहनत करके अपनी किसानी को सुधारने की ठान ली।रामू ने नई तकनीकों का इस्तेमाल कर अगले साल बेहतर फसल उगाई। इस बार उनकी फसल बहुत अच्छी हुई और उन्होंने अपने पुराने कर्ज भी चुका दिए।इस पूरे समय में, रामू और सीता ने एक-दूसरे का साथ नहीं छोड़ा और एक-दूसरे को समर्थन देते रहे। उनकी मेहनत और आपसी समझ ने उन्हें हर कठिनाई से पार पाने में मदद की। उनके प्रेम और समर्पण की कहानी गाँव में मिसाल बन गई।इस तरह, रामू और सीता ने यह साबित कर दिया कि सच्चे प्रेम और आपसी समझ से हर कठिनाई का सामना किया जा सकता है।

©Gobind Kumar

रामू किसान... हिंदी कविता

9 Love

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