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New सैयां हमार पान खाए Status, Photo, Video

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White ग़ालिब गैर नहीं है ,अपनों से अपने हैं, बंगाली की बोली ही आज हमारी बोली है । नवीन आंखों में जो नवीन सपने हैं वे ग़ालिब के सपने हैं । गालिब ने खोली गांठ जटिल जीवन की, बात और वह बोली नपीतुली थी, हल्के पान का नाम नहीं था। सुख की आंखों ने दुख देखा और टिटौली की, यों जी भर बहलाया। बेशक दाम नहीं था उनकी अंटी में, दुनिया से काम नहीं था लेकिन उस को सांस सांस पर तौल रहे थे । अपना कहने को क्या था, धन-धान नहीं था सत्य बोलता था जब मुंह खोल रहे थे । ग़ालिब होकर रहे जीत कर दुनिया छोड़ी कवि थे, अक्षर में अक्षर की महिमा जोड़ी। -त्रिलोचन ©gudiya

#sad_shayari #nojotohindi #SAD  White ग़ालिब गैर नहीं है ,अपनों से अपने हैं,
बंगाली की बोली ही आज हमारी बोली है ।

नवीन आंखों में जो नवीन सपने हैं
 वे ग़ालिब  के सपने हैं ।

गालिब ने खोली गांठ जटिल जीवन की, 
बात और वह बोली नपीतुली थी, हल्के पान का नाम नहीं था।

 सुख की आंखों ने दुख देखा और टिटौली की,
 यों जी भर बहलाया।

 बेशक दाम नहीं था उनकी अंटी में, दुनिया से काम नहीं था 
लेकिन उस को सांस सांस पर तौल रहे थे ।

अपना कहने को क्या था, धन-धान नहीं था
 सत्य बोलता था जब मुंह खोल रहे थे ।

ग़ालिब होकर रहे जीत कर दुनिया छोड़ी
 कवि थे, अक्षर में अक्षर की महिमा जोड़ी।
-त्रिलोचन

©gudiya

#sad_shayari #Nojoto #nojotophoto #nojotohindi ग़ालिब गैर नहीं है ,अपनों से अपने हैं, बंगाली की बोली ही आज हमारी बोली है । नव

19 Love

#कविता #love_shayari

#love_shayari फिर अमृत पान खीर खाया है

180 View

चंद सांसों की गिरफ्त में कैद रूह रिहाई की दुआएं मांगे। अब क्या करें जब तेरे बगैर ये जिंदगी ही मुझे रास ना आए जो किया था वादा तुझसे बिछड़ के खुश रहने का अब चाहता हूं , इन सब बातों से मुकर जाएं आखिर कब तक यूं झूठी मुस्कुराहट दिखा कर सबको अपना हाल बेहतर बताएं और अंदर ही अंदर सिमट कर,बिखर कर यूं बेवजह जीते जाएं मेरी अधूरी ख्वाहिशों में शामिल एक ख्वाहिश यह भी रहा कि चलो अब मर जाए कल मेरे हालातो पर तू तरस खाए इससे तो यही बेहतर है कि तू अगर भूल चुका है मुझे तो फिर तुझे हम भी कभी नजर ना आए ©BIKASH SINGH

 चंद सांसों की गिरफ्त में कैद 
रूह रिहाई की दुआएं मांगे। 

अब क्या करें 
जब तेरे बगैर ये जिंदगी ही 
मुझे रास ना आए 

जो किया था वादा 
तुझसे बिछड़ के खुश रहने का 
अब चाहता हूं ,
इन सब बातों से मुकर जाएं 

आखिर कब तक 
यूं झूठी मुस्कुराहट दिखा कर 
सबको अपना हाल बेहतर बताएं 

और अंदर ही अंदर 
सिमट कर,बिखर कर 
यूं बेवजह जीते जाएं 

मेरी अधूरी ख्वाहिशों में शामिल 
एक ख्वाहिश यह भी रहा 
कि चलो अब मर जाए 

कल मेरे हालातो पर तू तरस खाए 
इससे तो यही बेहतर है 

कि तू अगर भूल चुका है मुझे 
तो फिर तुझे हम भी कभी नजर ना आए

©BIKASH SINGH

चंद सांसों की गिरफ्त में कैद रूह रिहाई की दुआएं मांगे। अब क्या करें जब तेरे बगैर ये जिंदगी ही मुझे रास ना आए जो किया था वादा तुझसे बिछ

36 Love

White हे गौरा के लाल , पधारो आँगन में । भक्त खडे हैं आज , सब देखो आव्हान में ।। लिए पान ओ फूल , सजाए बैठे थाली । करके हैं जयकार , बजाकर हम सब ताली ।।  प्रथम पूज्य हो देव , हमारे तुम ही देवा । करते रहते नित्य , तुम्हारी हम सब सेवा ।। समझ न पाऊँ आज , करूँ मैं कैसे पूजा । राह दिखाओ आप , नही कोई मेरा दूजा ।। मैं बालक नादान , न पूजन अर्चन जानूँ । करो क्षमा सब भूल , आपको भगवन मानूँ ।। करो कष्ट अब दूर, पड़े अब किस अड़चन में । आन पड़े हैं कष्ट , हमारे कुछ जीवन में ।। दर्शन दो गजराज , भक्त के तुम्हीं सहायक । सुना सभी को आप , दियो हो शुभ फल दायक ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#Ganesh_chaturthi #कविता  White हे गौरा के लाल , पधारो आँगन में ।
भक्त खडे हैं आज , सब देखो आव्हान में ।।
लिए पान ओ फूल , सजाए बैठे थाली ।
करके हैं जयकार , बजाकर हम सब ताली ।। 
प्रथम पूज्य हो देव , हमारे तुम ही देवा ।
करते रहते नित्य , तुम्हारी हम सब सेवा ।।
समझ न पाऊँ आज , करूँ मैं कैसे पूजा ।
राह दिखाओ आप , नही कोई मेरा दूजा ।।
मैं बालक नादान , न पूजन अर्चन जानूँ ।
करो क्षमा सब भूल , आपको भगवन मानूँ ।।
करो कष्ट अब दूर, पड़े अब किस अड़चन में ।
आन पड़े हैं कष्ट , हमारे कुछ जीवन में ।।
दर्शन दो गजराज , भक्त के तुम्हीं सहायक ।
सुना सभी को आप , दियो हो शुभ फल दायक ।।


महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#Ganesh_chaturthi हे गौरा के लाल , पधारो आँगन में । भक्त खडे हैं आज , सब देखो आव्हान में ।। लिए पान ओ फूल , सजाए बैठे थाली । करके हैं जयका

13 Love

#AnjaliSinghal #dardshayari #status #Shorts

"एक ऐसी लड़की थी, चोट इश्क़ की खाए बैठी थी; और दीवानी ऐसी कि, दर्द दिल में धड़काए बैठी थी। रोती सिसकती सी आवाज़ में, कुछ गुनगुनाए बैठी थी;

198 View

मरहटा छन्द :- ओ रघुकुल नंदन , माथे चंदन , महिमा बड़ी अपार । सब तेरी लीला , अम्बर नीला , शीतल पवन बयार ।। सब सुनकर आये , ढ़ोल बजाये , करते सब मनुहार। अब अँखियाँ दे दो , दर्शन दे दो , जीवन सफल हमार ।। अब जपते-जपते , रटते-रटते , राधा-राधा नाम । हैं पहुँचे द्वारे , आज तुम्हारे , देखो राधेश्याम ।। अब बाहर आओ , दरस दिखाओ, दे दो कुछ परिणाम । कहती सब सखियां , प्यासी अँखियाँ , दर्शन दो अभिराम ।। हैं पर सुनेहरे  , कहीं न ठहरें , तितली रानी राज । फूलों की बगिया , चूमें कलियाँ , दिन भर का है काज ।। अपनी ही काया , लगती माया , करती हर पल नाज । सबको वह मोहित , करके रोहित , इठलाती है आज ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  मरहटा छन्द :-
ओ रघुकुल नंदन , माथे चंदन , महिमा बड़ी अपार ।
सब तेरी लीला , अम्बर नीला , शीतल पवन बयार ।।
सब सुनकर आये , ढ़ोल बजाये , करते सब मनुहार।
अब अँखियाँ दे दो , दर्शन दे दो , जीवन सफल हमार ।।

अब जपते-जपते , रटते-रटते , राधा-राधा नाम ।
हैं पहुँचे द्वारे , आज तुम्हारे , देखो राधेश्याम ।।
अब बाहर आओ , दरस दिखाओ, दे दो कुछ परिणाम ।
कहती सब सखियां , प्यासी अँखियाँ , दर्शन दो अभिराम ।।

हैं पर सुनेहरे  , कहीं न ठहरें , तितली रानी राज ।
फूलों की बगिया , चूमें कलियाँ , दिन भर का है काज ।।
अपनी ही काया , लगती माया , करती हर पल नाज ।
सबको वह मोहित , करके रोहित , इठलाती है आज ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

मरहटा छन्द :- ओ रघुकुल नंदन , माथे चंदन , महिमा बड़ी अपार । सब तेरी लीला , अम्बर नीला , शीतल पवन बयार ।। सब सुनकर आये , ढ़ोल बजाये , करते सब म

11 Love

White ग़ालिब गैर नहीं है ,अपनों से अपने हैं, बंगाली की बोली ही आज हमारी बोली है । नवीन आंखों में जो नवीन सपने हैं वे ग़ालिब के सपने हैं । गालिब ने खोली गांठ जटिल जीवन की, बात और वह बोली नपीतुली थी, हल्के पान का नाम नहीं था। सुख की आंखों ने दुख देखा और टिटौली की, यों जी भर बहलाया। बेशक दाम नहीं था उनकी अंटी में, दुनिया से काम नहीं था लेकिन उस को सांस सांस पर तौल रहे थे । अपना कहने को क्या था, धन-धान नहीं था सत्य बोलता था जब मुंह खोल रहे थे । ग़ालिब होकर रहे जीत कर दुनिया छोड़ी कवि थे, अक्षर में अक्षर की महिमा जोड़ी। -त्रिलोचन ©gudiya

#sad_shayari #nojotohindi #SAD  White ग़ालिब गैर नहीं है ,अपनों से अपने हैं,
बंगाली की बोली ही आज हमारी बोली है ।

नवीन आंखों में जो नवीन सपने हैं
 वे ग़ालिब  के सपने हैं ।

गालिब ने खोली गांठ जटिल जीवन की, 
बात और वह बोली नपीतुली थी, हल्के पान का नाम नहीं था।

 सुख की आंखों ने दुख देखा और टिटौली की,
 यों जी भर बहलाया।

 बेशक दाम नहीं था उनकी अंटी में, दुनिया से काम नहीं था 
लेकिन उस को सांस सांस पर तौल रहे थे ।

अपना कहने को क्या था, धन-धान नहीं था
 सत्य बोलता था जब मुंह खोल रहे थे ।

ग़ालिब होकर रहे जीत कर दुनिया छोड़ी
 कवि थे, अक्षर में अक्षर की महिमा जोड़ी।
-त्रिलोचन

©gudiya

#sad_shayari #Nojoto #nojotophoto #nojotohindi ग़ालिब गैर नहीं है ,अपनों से अपने हैं, बंगाली की बोली ही आज हमारी बोली है । नव

19 Love

#कविता #love_shayari

#love_shayari फिर अमृत पान खीर खाया है

180 View

चंद सांसों की गिरफ्त में कैद रूह रिहाई की दुआएं मांगे। अब क्या करें जब तेरे बगैर ये जिंदगी ही मुझे रास ना आए जो किया था वादा तुझसे बिछड़ के खुश रहने का अब चाहता हूं , इन सब बातों से मुकर जाएं आखिर कब तक यूं झूठी मुस्कुराहट दिखा कर सबको अपना हाल बेहतर बताएं और अंदर ही अंदर सिमट कर,बिखर कर यूं बेवजह जीते जाएं मेरी अधूरी ख्वाहिशों में शामिल एक ख्वाहिश यह भी रहा कि चलो अब मर जाए कल मेरे हालातो पर तू तरस खाए इससे तो यही बेहतर है कि तू अगर भूल चुका है मुझे तो फिर तुझे हम भी कभी नजर ना आए ©BIKASH SINGH

 चंद सांसों की गिरफ्त में कैद 
रूह रिहाई की दुआएं मांगे। 

अब क्या करें 
जब तेरे बगैर ये जिंदगी ही 
मुझे रास ना आए 

जो किया था वादा 
तुझसे बिछड़ के खुश रहने का 
अब चाहता हूं ,
इन सब बातों से मुकर जाएं 

आखिर कब तक 
यूं झूठी मुस्कुराहट दिखा कर 
सबको अपना हाल बेहतर बताएं 

और अंदर ही अंदर 
सिमट कर,बिखर कर 
यूं बेवजह जीते जाएं 

मेरी अधूरी ख्वाहिशों में शामिल 
एक ख्वाहिश यह भी रहा 
कि चलो अब मर जाए 

कल मेरे हालातो पर तू तरस खाए 
इससे तो यही बेहतर है 

कि तू अगर भूल चुका है मुझे 
तो फिर तुझे हम भी कभी नजर ना आए

©BIKASH SINGH

चंद सांसों की गिरफ्त में कैद रूह रिहाई की दुआएं मांगे। अब क्या करें जब तेरे बगैर ये जिंदगी ही मुझे रास ना आए जो किया था वादा तुझसे बिछ

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White हे गौरा के लाल , पधारो आँगन में । भक्त खडे हैं आज , सब देखो आव्हान में ।। लिए पान ओ फूल , सजाए बैठे थाली । करके हैं जयकार , बजाकर हम सब ताली ।।  प्रथम पूज्य हो देव , हमारे तुम ही देवा । करते रहते नित्य , तुम्हारी हम सब सेवा ।। समझ न पाऊँ आज , करूँ मैं कैसे पूजा । राह दिखाओ आप , नही कोई मेरा दूजा ।। मैं बालक नादान , न पूजन अर्चन जानूँ । करो क्षमा सब भूल , आपको भगवन मानूँ ।। करो कष्ट अब दूर, पड़े अब किस अड़चन में । आन पड़े हैं कष्ट , हमारे कुछ जीवन में ।। दर्शन दो गजराज , भक्त के तुम्हीं सहायक । सुना सभी को आप , दियो हो शुभ फल दायक ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#Ganesh_chaturthi #कविता  White हे गौरा के लाल , पधारो आँगन में ।
भक्त खडे हैं आज , सब देखो आव्हान में ।।
लिए पान ओ फूल , सजाए बैठे थाली ।
करके हैं जयकार , बजाकर हम सब ताली ।। 
प्रथम पूज्य हो देव , हमारे तुम ही देवा ।
करते रहते नित्य , तुम्हारी हम सब सेवा ।।
समझ न पाऊँ आज , करूँ मैं कैसे पूजा ।
राह दिखाओ आप , नही कोई मेरा दूजा ।।
मैं बालक नादान , न पूजन अर्चन जानूँ ।
करो क्षमा सब भूल , आपको भगवन मानूँ ।।
करो कष्ट अब दूर, पड़े अब किस अड़चन में ।
आन पड़े हैं कष्ट , हमारे कुछ जीवन में ।।
दर्शन दो गजराज , भक्त के तुम्हीं सहायक ।
सुना सभी को आप , दियो हो शुभ फल दायक ।।


महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#Ganesh_chaturthi हे गौरा के लाल , पधारो आँगन में । भक्त खडे हैं आज , सब देखो आव्हान में ।। लिए पान ओ फूल , सजाए बैठे थाली । करके हैं जयका

13 Love

#AnjaliSinghal #dardshayari #status #Shorts

"एक ऐसी लड़की थी, चोट इश्क़ की खाए बैठी थी; और दीवानी ऐसी कि, दर्द दिल में धड़काए बैठी थी। रोती सिसकती सी आवाज़ में, कुछ गुनगुनाए बैठी थी;

198 View

मरहटा छन्द :- ओ रघुकुल नंदन , माथे चंदन , महिमा बड़ी अपार । सब तेरी लीला , अम्बर नीला , शीतल पवन बयार ।। सब सुनकर आये , ढ़ोल बजाये , करते सब मनुहार। अब अँखियाँ दे दो , दर्शन दे दो , जीवन सफल हमार ।। अब जपते-जपते , रटते-रटते , राधा-राधा नाम । हैं पहुँचे द्वारे , आज तुम्हारे , देखो राधेश्याम ।। अब बाहर आओ , दरस दिखाओ, दे दो कुछ परिणाम । कहती सब सखियां , प्यासी अँखियाँ , दर्शन दो अभिराम ।। हैं पर सुनेहरे  , कहीं न ठहरें , तितली रानी राज । फूलों की बगिया , चूमें कलियाँ , दिन भर का है काज ।। अपनी ही काया , लगती माया , करती हर पल नाज । सबको वह मोहित , करके रोहित , इठलाती है आज ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  मरहटा छन्द :-
ओ रघुकुल नंदन , माथे चंदन , महिमा बड़ी अपार ।
सब तेरी लीला , अम्बर नीला , शीतल पवन बयार ।।
सब सुनकर आये , ढ़ोल बजाये , करते सब मनुहार।
अब अँखियाँ दे दो , दर्शन दे दो , जीवन सफल हमार ।।

अब जपते-जपते , रटते-रटते , राधा-राधा नाम ।
हैं पहुँचे द्वारे , आज तुम्हारे , देखो राधेश्याम ।।
अब बाहर आओ , दरस दिखाओ, दे दो कुछ परिणाम ।
कहती सब सखियां , प्यासी अँखियाँ , दर्शन दो अभिराम ।।

हैं पर सुनेहरे  , कहीं न ठहरें , तितली रानी राज ।
फूलों की बगिया , चूमें कलियाँ , दिन भर का है काज ।।
अपनी ही काया , लगती माया , करती हर पल नाज ।
सबको वह मोहित , करके रोहित , इठलाती है आज ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

मरहटा छन्द :- ओ रघुकुल नंदन , माथे चंदन , महिमा बड़ी अपार । सब तेरी लीला , अम्बर नीला , शीतल पवन बयार ।। सब सुनकर आये , ढ़ोल बजाये , करते सब म

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