White उठना जरूरी है
बहुत हुआ ग़मो को संजोए रखना,
अश्रु की मोतियों की माला पिरोना,
यादों की बाज़ार में एक दफ़ा तू झांक कर तो देख
बढ़ गए है यूँही सब इधर कदम बढ़ा कर,
कौन है यहां याराना तेरा बता तू जरा,
किधर को थे वो सारे जो अब तलक तेरे थे ?
वक़्त की नज़ाकत है ये तो बातें सारी
यहाँ न कोई अपना न पराया, माया सारी,
पत्थर भी इधर पूजे जाते, उम्मीद जब तलक
सौंप जल को नाचते उन्मुक्त तब तलक
लील ना जाती काया उनकी
मानुष, फिर बिसात क्या है तेरी ?
अब उठना तेरा जरूरी है,
माया की जाल भेदना भी जरूरी है,
पोछ कर अश्क अपने आप ही उठ तू
साइन में जो बोझ है दफ़न कर तू,
दुनिया के बाज़ार में तू अपना है
ग़र तू अपने काम का है,
उठ अब तू,पंखों को समेट कर
की कर्म ही तेरे अपने है, उड़ तू अब.
©Avinash Jha
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