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कौन है देत सहारा धक्का देने के लिए, सभी यहाँ तैयार दुनियादारी के हुए, बहुते लोग शिकार बहुते लोग शिकार, कौन है देत सहारा सको नहीं पहचान, कौन है मीत हमारा कहते गिरिधर राय-मिले न जुबाँका पक्का मददगार दो - एक, बाकी देत हैं धक्का डॉ.गिरिधर राय ©Giridhar Rai

#कविता #good_night  कौन है देत सहारा
धक्का  देने  के   लिए,  सभी   यहाँ  तैयार
दुनियादारी  के   हुए,  बहुते  लोग  शिकार
बहुते  लोग  शिकार,  कौन  है  देत सहारा
सको  नहीं   पहचान,  कौन  है मीत हमारा
कहते गिरिधर राय-मिले न जुबाँका पक्का
मददगार  दो - एक,  बाकी  देत  हैं  धक्का
डॉ.गिरिधर राय

©Giridhar Rai

#good_night गिरधर राय की कुण्डलिया

11 Love

विधा   कुण्डलिया :- सच्चा करते प्रेम तो , गिरधर होते साथ । हाथ न देते हाथ में , रहते तो रघुनाथ ।। रहते तो रघुनाथ , हृदय शीतल कर देते । व्याधि न आती एक , कष्ट सारे हर लेते ।। भवसागर की राह , दिखाते कहकर बच्चा । कर लेते तुम काश , प्रेम इस जग से सच्चा ।। राधा-राधा नाम का , कर ले बन्दे जाप । मिट जाये तेरे सभी , जीवन के संताप ।। जीवन के संताप , हरे सब राधा माई । यह है दृढ़ विश्वास , न झोली खाली आई ।। सही लगन से नाम , जाप जिसने है साधा । उसके ही दुख दूर  , करे माँ मेरी राधा ।। राधा रानी खेलती , थाम कृष्ण का हाथ । सखी सहेली जीव सब , खेलें उनके साथ ।। खेलें उनके साथ ,  निकट यमुना के तट पर । आया जो आनंद ,  सुनायें सखियां कहकर ।। उन दोनो के बीच , न आये कोई बाधा । सखी कृष्ण के साथ , खेलती देखो राधा ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  विधा   कुण्डलिया :-
सच्चा करते प्रेम तो , गिरधर होते साथ ।
हाथ न देते हाथ में , रहते तो रघुनाथ ।।
रहते तो रघुनाथ , हृदय शीतल कर देते ।
व्याधि न आती एक , कष्ट सारे हर लेते ।।
भवसागर की राह , दिखाते कहकर बच्चा ।
कर लेते तुम काश , प्रेम इस जग से सच्चा ।।

राधा-राधा नाम का , कर ले बन्दे जाप ।
मिट जाये तेरे सभी , जीवन के संताप ।।
जीवन के संताप , हरे सब राधा माई ।
यह है दृढ़ विश्वास , न झोली खाली आई ।।
सही लगन से नाम , जाप जिसने है साधा ।
उसके ही दुख दूर  , करे माँ मेरी राधा ।।

राधा रानी खेलती , थाम कृष्ण का हाथ ।
सखी सहेली जीव सब , खेलें उनके साथ ।।
खेलें उनके साथ ,  निकट यमुना के तट पर ।
आया जो आनंद ,  सुनायें सखियां कहकर ।।
उन दोनो के बीच , न आये कोई बाधा ।
सखी कृष्ण के साथ , खेलती देखो राधा ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

विधा   कुण्डलिया :- सच्चा करते प्रेम तो , गिरधर होते साथ । हाथ न देते हाथ में , रहते तो रघुनाथ ।। रहते तो रघुनाथ , हृदय शीतल कर देते । व्याध

13 Love

White मुक्तक :- आज मिलन में पूरी कर दो , गिरधर मेरी साध । वही सलोना श्याम मनोहर , दर्शन दियो अगाध । मैं बालक तुम स्वामी मेरे , हरिजन का हूँ दास - आज शरण में हो जब वंदन , दो बिसरा अपराध ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  White मुक्तक :-

आज मिलन में पूरी कर दो , गिरधर मेरी साध ।
वही सलोना श्याम मनोहर , दर्शन दियो अगाध ।
मैं बालक तुम स्वामी मेरे , हरिजन का हूँ दास -
आज शरण में हो जब वंदन , दो बिसरा अपराध ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

मुक्तक :- आज मिलन में पूरी कर दो , गिरधर मेरी साध । वही सलोना श्याम मनोहर , दर्शन दियो अगाध । मैं बालक तुम स्वामी मेरे , हरिजन का हूँ दा

15 Love

इस उधार नगद के जीवन से जब चैन की साँसें लूँगा गिरधर हर सुख दुख में केवल मैं तुम्हें पुकारूँगा गिरधर, बना के बाती साँसों की मैं तेरी आरती उतारूँगा गिरधर मीरा के भजनों में, संतों की वाणी में मैं, अब तुम्हें तलासुंगा गिरधर, मेरे हृदय में, अंतर्मन में तुम हो केशव आओ, मुझको पास बिठा लो, गले लगा लो साँझ सवेरे, आठों पहर मैं अब से तुम्हें निहारूँगा गिरधर! ©Harishh,,,,,

#भक्ति  इस उधार नगद के जीवन से
जब चैन की साँसें लूँगा गिरधर
हर  सुख  दुख  में  केवल
मैं तुम्हें पुकारूँगा गिरधर,

बना के बाती साँसों की
मैं तेरी आरती उतारूँगा गिरधर
मीरा के भजनों में, संतों की वाणी में
मैं, अब तुम्हें तलासुंगा गिरधर, 

मेरे हृदय में, अंतर्मन में तुम हो केशव
आओ, मुझको पास बिठा लो, गले लगा लो
साँझ सवेरे, आठों पहर
मैं अब से तुम्हें निहारूँगा गिरधर!

©Harishh,,,,,

गिरधर,,,,,

13 Love

मरहटा छन्द :- अब आओ गिरधर , आओ हलधर , आओ मेरे राम । ये नरसंहारी , आत्याचारी , छुपे नरक के धाम ।। ये सब हैं दानव , पीड़ित मानव ,  दो इनको परिणाम । अब मुक्ति दिलाओ , राह दिखाओ , करता तुम्हें प्रणाम ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  मरहटा छन्द :-

अब आओ गिरधर , आओ हलधर , आओ मेरे राम ।
ये नरसंहारी , आत्याचारी , छुपे नरक के धाम ।।
ये सब हैं दानव , पीड़ित मानव ,  दो इनको परिणाम ।
अब मुक्ति दिलाओ , राह दिखाओ , करता तुम्हें प्रणाम ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

मरहटा छन्द :- अब आओ गिरधर , आओ हलधर , आओ मेरे राम । ये नरसंहारी , आत्याचारी , छुपे नरक के धाम ।। ये सब हैं दानव , पीड़ित मानव ,  दो इनको परि

11 Love

कौन है देत सहारा धक्का देने के लिए, सभी यहाँ तैयार दुनियादारी के हुए, बहुते लोग शिकार बहुते लोग शिकार, कौन है देत सहारा सको नहीं पहचान, कौन है मीत हमारा कहते गिरिधर राय-मिले न जुबाँका पक्का मददगार दो - एक, बाकी देत हैं धक्का डॉ.गिरिधर राय ©Giridhar Rai

#कविता #good_night  कौन है देत सहारा
धक्का  देने  के   लिए,  सभी   यहाँ  तैयार
दुनियादारी  के   हुए,  बहुते  लोग  शिकार
बहुते  लोग  शिकार,  कौन  है  देत सहारा
सको  नहीं   पहचान,  कौन  है मीत हमारा
कहते गिरिधर राय-मिले न जुबाँका पक्का
मददगार  दो - एक,  बाकी  देत  हैं  धक्का
डॉ.गिरिधर राय

©Giridhar Rai

#good_night गिरधर राय की कुण्डलिया

11 Love

विधा   कुण्डलिया :- सच्चा करते प्रेम तो , गिरधर होते साथ । हाथ न देते हाथ में , रहते तो रघुनाथ ।। रहते तो रघुनाथ , हृदय शीतल कर देते । व्याधि न आती एक , कष्ट सारे हर लेते ।। भवसागर की राह , दिखाते कहकर बच्चा । कर लेते तुम काश , प्रेम इस जग से सच्चा ।। राधा-राधा नाम का , कर ले बन्दे जाप । मिट जाये तेरे सभी , जीवन के संताप ।। जीवन के संताप , हरे सब राधा माई । यह है दृढ़ विश्वास , न झोली खाली आई ।। सही लगन से नाम , जाप जिसने है साधा । उसके ही दुख दूर  , करे माँ मेरी राधा ।। राधा रानी खेलती , थाम कृष्ण का हाथ । सखी सहेली जीव सब , खेलें उनके साथ ।। खेलें उनके साथ ,  निकट यमुना के तट पर । आया जो आनंद ,  सुनायें सखियां कहकर ।। उन दोनो के बीच , न आये कोई बाधा । सखी कृष्ण के साथ , खेलती देखो राधा ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  विधा   कुण्डलिया :-
सच्चा करते प्रेम तो , गिरधर होते साथ ।
हाथ न देते हाथ में , रहते तो रघुनाथ ।।
रहते तो रघुनाथ , हृदय शीतल कर देते ।
व्याधि न आती एक , कष्ट सारे हर लेते ।।
भवसागर की राह , दिखाते कहकर बच्चा ।
कर लेते तुम काश , प्रेम इस जग से सच्चा ।।

राधा-राधा नाम का , कर ले बन्दे जाप ।
मिट जाये तेरे सभी , जीवन के संताप ।।
जीवन के संताप , हरे सब राधा माई ।
यह है दृढ़ विश्वास , न झोली खाली आई ।।
सही लगन से नाम , जाप जिसने है साधा ।
उसके ही दुख दूर  , करे माँ मेरी राधा ।।

राधा रानी खेलती , थाम कृष्ण का हाथ ।
सखी सहेली जीव सब , खेलें उनके साथ ।।
खेलें उनके साथ ,  निकट यमुना के तट पर ।
आया जो आनंद ,  सुनायें सखियां कहकर ।।
उन दोनो के बीच , न आये कोई बाधा ।
सखी कृष्ण के साथ , खेलती देखो राधा ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

विधा   कुण्डलिया :- सच्चा करते प्रेम तो , गिरधर होते साथ । हाथ न देते हाथ में , रहते तो रघुनाथ ।। रहते तो रघुनाथ , हृदय शीतल कर देते । व्याध

13 Love

White मुक्तक :- आज मिलन में पूरी कर दो , गिरधर मेरी साध । वही सलोना श्याम मनोहर , दर्शन दियो अगाध । मैं बालक तुम स्वामी मेरे , हरिजन का हूँ दास - आज शरण में हो जब वंदन , दो बिसरा अपराध ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  White मुक्तक :-

आज मिलन में पूरी कर दो , गिरधर मेरी साध ।
वही सलोना श्याम मनोहर , दर्शन दियो अगाध ।
मैं बालक तुम स्वामी मेरे , हरिजन का हूँ दास -
आज शरण में हो जब वंदन , दो बिसरा अपराध ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

मुक्तक :- आज मिलन में पूरी कर दो , गिरधर मेरी साध । वही सलोना श्याम मनोहर , दर्शन दियो अगाध । मैं बालक तुम स्वामी मेरे , हरिजन का हूँ दा

15 Love

इस उधार नगद के जीवन से जब चैन की साँसें लूँगा गिरधर हर सुख दुख में केवल मैं तुम्हें पुकारूँगा गिरधर, बना के बाती साँसों की मैं तेरी आरती उतारूँगा गिरधर मीरा के भजनों में, संतों की वाणी में मैं, अब तुम्हें तलासुंगा गिरधर, मेरे हृदय में, अंतर्मन में तुम हो केशव आओ, मुझको पास बिठा लो, गले लगा लो साँझ सवेरे, आठों पहर मैं अब से तुम्हें निहारूँगा गिरधर! ©Harishh,,,,,

#भक्ति  इस उधार नगद के जीवन से
जब चैन की साँसें लूँगा गिरधर
हर  सुख  दुख  में  केवल
मैं तुम्हें पुकारूँगा गिरधर,

बना के बाती साँसों की
मैं तेरी आरती उतारूँगा गिरधर
मीरा के भजनों में, संतों की वाणी में
मैं, अब तुम्हें तलासुंगा गिरधर, 

मेरे हृदय में, अंतर्मन में तुम हो केशव
आओ, मुझको पास बिठा लो, गले लगा लो
साँझ सवेरे, आठों पहर
मैं अब से तुम्हें निहारूँगा गिरधर!

©Harishh,,,,,

गिरधर,,,,,

13 Love

मरहटा छन्द :- अब आओ गिरधर , आओ हलधर , आओ मेरे राम । ये नरसंहारी , आत्याचारी , छुपे नरक के धाम ।। ये सब हैं दानव , पीड़ित मानव ,  दो इनको परिणाम । अब मुक्ति दिलाओ , राह दिखाओ , करता तुम्हें प्रणाम ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  मरहटा छन्द :-

अब आओ गिरधर , आओ हलधर , आओ मेरे राम ।
ये नरसंहारी , आत्याचारी , छुपे नरक के धाम ।।
ये सब हैं दानव , पीड़ित मानव ,  दो इनको परिणाम ।
अब मुक्ति दिलाओ , राह दिखाओ , करता तुम्हें प्रणाम ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

मरहटा छन्द :- अब आओ गिरधर , आओ हलधर , आओ मेरे राम । ये नरसंहारी , आत्याचारी , छुपे नरक के धाम ।। ये सब हैं दानव , पीड़ित मानव ,  दो इनको परि

11 Love

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