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दोहा :- करे सनातन धर्म यह , हर युग का आभार । हर युग की ही भाँति हो , कलयुग की जयकार ।। कलयुग में भी हो रहे , दैवीय चमत्कार । कहीं पान दातून अब , दिखे भक्त उपहार ।। कलयुग में होंगे वही , सुन लो भव से पार । जो कर्मो के संग में , करते प्रभु जयकार ।। कर्मो का पालन करो , मिल जायेंगे राम । तेरे अंदर भी वही , बना रखे हैं धाम ।। रिश्ते हैं अनमोल ये , करो नही तुम मोल । रिश्ते मीठे बन पड़े , अगर मधुर तू बोल ।। आटो बाइक में नही, करें यहाँ जो  फर्क । मिलें उन्हें यमराज जी , ले जाने को नर्क ।। जीवन से मत हार कर , बैठो आज निराश । कर्मो से ही सुन यहाँ , होता सदा प्रकाश ।। जो भी सुत सुनती नहीं , मातु-पिता की बात । वे ही पाते हैं सदा, सुनो जगत में घात ।। मातु-पिता की बात जो , सुने अगर औलाद । तो पछतावा क्यों रहे , फिर गलती के बाद ।। मातु-पिता हर से कहे,  प्रखर जोड़ कर हाथ । अपनी खातिर भी जिओ , रह के दोनों साथ ।। मातु-पिता गुरुदेव का , करता नित सम्मान । जिनकी इच्छा से बना , मैं अच्छा इंसान ।। तीनों दिखते हरि सदृश , मातु-पिता गुरुदेव । वह ही जीवन के सुनो , मेरे बने त्रिदेव ।। मातु-पिता के बाद ही , मानूँ मैं संसार । पहले उनका ही करूँ , व्यक्त सदा आभार ।। मातु-पिता क्यों सामने, क्यों खोजूँ भगवान । उनकी मैं सेवा करूँ , स्वतः बढ़े अभिमान ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  दोहा :-
करे सनातन धर्म यह , हर युग का आभार ।
हर युग की ही भाँति हो , कलयुग की जयकार ।।
कलयुग में भी हो रहे , दैवीय चमत्कार ।
कहीं पान दातून अब , दिखे भक्त उपहार ।।
कलयुग में होंगे वही , सुन लो भव से पार ।
जो कर्मो के संग में , करते प्रभु जयकार ।।
कर्मो का पालन करो , मिल जायेंगे राम ।
तेरे अंदर भी वही , बना रखे हैं धाम ।।
रिश्ते हैं अनमोल ये , करो नही तुम मोल ।
रिश्ते मीठे बन पड़े , अगर मधुर तू बोल ।।
आटो बाइक में नही, करें यहाँ जो  फर्क ।
मिलें उन्हें यमराज जी , ले जाने को नर्क ।।
जीवन से मत हार कर , बैठो आज निराश ।
कर्मो से ही सुन यहाँ , होता सदा प्रकाश ।।
जो भी सुत सुनती नहीं , मातु-पिता की बात ।
वे ही पाते हैं सदा, सुनो जगत में घात ।।
मातु-पिता की बात जो , सुने अगर औलाद ।
तो पछतावा क्यों रहे , फिर गलती के बाद ।।
मातु-पिता हर से कहे,  प्रखर जोड़ कर हाथ ।
अपनी खातिर भी जिओ , रह के दोनों साथ ।।
मातु-पिता गुरुदेव का , करता नित सम्मान ।
जिनकी इच्छा से बना , मैं अच्छा इंसान ।।
तीनों दिखते हरि सदृश , मातु-पिता गुरुदेव ।
वह ही जीवन के सुनो , मेरे बने त्रिदेव ।।
मातु-पिता के बाद ही , मानूँ मैं संसार ।
पहले उनका ही करूँ , व्यक्त सदा आभार ।।
मातु-पिता क्यों सामने, क्यों खोजूँ भगवान ।
उनकी मैं सेवा करूँ , स्वतः बढ़े अभिमान ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

दोहा :- करे सनातन धर्म यह , हर युग का आभार । हर युग की ही भाँति हो , कलयुग की जयकार ।। कलयुग में भी हो रहे , दैवीय चमत्कार । कहीं पान दातून

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#मोटिवेशनल #गांव  🏞
मेरा #गांव अब उदास रहता है....!!
🏕

मेरा #गांव अब उदास रहता है.. ✍️ लड़के जितने भी थे मेरे गांव में। जो बैठते थे दोपहर को आम की छांव में। बड़ी रौनक हुआ करती थी जिनसे घर में

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#कविता #somnathMandir #mahadev #Somnath #Hindi #Hindu  मस्तक शोभित जिसके चंद्र हैं
जटाओं में विराजित जिसके गंग हैं,
आभूषण जिसका सर्प, मुंड माल हैं 
स्थल उसका कैलाश पर्वत जों विशाल हैं
वस्त्र जिसका सिंह छाल हैं, 
मुठ्ठी में जिसके तीनों काल हैं, 
वहीं नीलकंठ वहीं महाकाल हैं, 
काशी में विश्वनाथ तों 
सौराष्ट्र में वो ही "सोमनाथ" हैं।

©Nitish Kumar Mishra "योद्धा युग"

मस्तक शोभित जिसके चंद्र हैं जटाओं में विराजित जिसके गंग हैं, आभूषण जिसका सर्प, मुंड माल हैं स्थल उसका कैलाश पर्वत जों विशाल हैं वस्त्र जिसक

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एक दूसरे से मिलने की चाह रखना , हमारे चाहने से क्या खाक होता है यह तो खुदा रचता है कब ,कहां ,कैसे.., किसे- किससे मिलाना है,. हम तीनों का मिलना इत्तेफाक होता है।। ©Gyansagar Chaudhari

#dost♥️ #Quotes #Friend #Yaari #Dosti  एक दूसरे से मिलने की चाह रखना ,
हमारे चाहने से क्या खाक होता है 
यह तो खुदा रचता है कब ,कहां ,कैसे..,
 किसे- किससे मिलाना है,.
हम तीनों का मिलना इत्तेफाक होता है।।

©Gyansagar Chaudhari

एक दूसरे से मिलने की चाह रखना , हमारे चाहने से क्या खाक होता है यह तो खुदा रचता है कब ,कहां ,कैसे.., किसे- किससे मिलाना है,. हम तीनों का म

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#कॉमेडी #कविता #शायरी #भक्ति #AlKabir_Islamic #SaintRampalJi  White हज़रत मुहम्मद जी ने भी पाप कर्म दंड झेला!
पुस्तक- जीवनी हज़रत मुहम्मद (सल्लाहु अलैहि वसल्लम के पृष्ठ 46, 51-52, 64, 307-315) में प्रमाण है कि हज़रत मुहम्मद जी ने बचपन में यतीमी का दुःख देखा। उनके तीनों पुत्रों की मृत्यु हो गई तथा स्वयं हज़रत मुहम्मद जी की भी 63 वर्ष की उम्र में असहाय बीमारी से तड़फ तड़फ कर मृत्यु हुई। पाप कर्म दंड तो सिर्फ अल्लाह कबीर की सच्ची इबादत करने से ही समाप्त हो सकतें है।
#AlKabir_Islamic
#SaintRampalJi

©ARTI DEVI(Modern Mira Bai)

#CAT #love_shayari #लव #शायरी #कविता #viral #Love #कॉमेडी हज़रत मुहम्मद जी ने भी पाप कर्म दंड झेला! पुस्तक- जीवनी हज़रत मुहम्मद (सल्लाहु अल

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दोहा :- करे सनातन धर्म यह , हर युग का आभार । हर युग की ही भाँति हो , कलयुग की जयकार ।। कलयुग में भी हो रहे , दैवीय चमत्कार । कहीं पान दातून अब , दिखे भक्त उपहार ।। कलयुग में होंगे वही , सुन लो भव से पार । जो कर्मो के संग में , करते प्रभु जयकार ।। कर्मो का पालन करो , मिल जायेंगे राम । तेरे अंदर भी वही , बना रखे हैं धाम ।। रिश्ते हैं अनमोल ये , करो नही तुम मोल । रिश्ते मीठे बन पड़े , अगर मधुर तू बोल ।। आटो बाइक में नही, करें यहाँ जो  फर्क । मिलें उन्हें यमराज जी , ले जाने को नर्क ।। जीवन से मत हार कर , बैठो आज निराश । कर्मो से ही सुन यहाँ , होता सदा प्रकाश ।। जो भी सुत सुनती नहीं , मातु-पिता की बात । वे ही पाते हैं सदा, सुनो जगत में घात ।। मातु-पिता की बात जो , सुने अगर औलाद । तो पछतावा क्यों रहे , फिर गलती के बाद ।। मातु-पिता हर से कहे,  प्रखर जोड़ कर हाथ । अपनी खातिर भी जिओ , रह के दोनों साथ ।। मातु-पिता गुरुदेव का , करता नित सम्मान । जिनकी इच्छा से बना , मैं अच्छा इंसान ।। तीनों दिखते हरि सदृश , मातु-पिता गुरुदेव । वह ही जीवन के सुनो , मेरे बने त्रिदेव ।। मातु-पिता के बाद ही , मानूँ मैं संसार । पहले उनका ही करूँ , व्यक्त सदा आभार ।। मातु-पिता क्यों सामने, क्यों खोजूँ भगवान । उनकी मैं सेवा करूँ , स्वतः बढ़े अभिमान ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#कविता  दोहा :-
करे सनातन धर्म यह , हर युग का आभार ।
हर युग की ही भाँति हो , कलयुग की जयकार ।।
कलयुग में भी हो रहे , दैवीय चमत्कार ।
कहीं पान दातून अब , दिखे भक्त उपहार ।।
कलयुग में होंगे वही , सुन लो भव से पार ।
जो कर्मो के संग में , करते प्रभु जयकार ।।
कर्मो का पालन करो , मिल जायेंगे राम ।
तेरे अंदर भी वही , बना रखे हैं धाम ।।
रिश्ते हैं अनमोल ये , करो नही तुम मोल ।
रिश्ते मीठे बन पड़े , अगर मधुर तू बोल ।।
आटो बाइक में नही, करें यहाँ जो  फर्क ।
मिलें उन्हें यमराज जी , ले जाने को नर्क ।।
जीवन से मत हार कर , बैठो आज निराश ।
कर्मो से ही सुन यहाँ , होता सदा प्रकाश ।।
जो भी सुत सुनती नहीं , मातु-पिता की बात ।
वे ही पाते हैं सदा, सुनो जगत में घात ।।
मातु-पिता की बात जो , सुने अगर औलाद ।
तो पछतावा क्यों रहे , फिर गलती के बाद ।।
मातु-पिता हर से कहे,  प्रखर जोड़ कर हाथ ।
अपनी खातिर भी जिओ , रह के दोनों साथ ।।
मातु-पिता गुरुदेव का , करता नित सम्मान ।
जिनकी इच्छा से बना , मैं अच्छा इंसान ।।
तीनों दिखते हरि सदृश , मातु-पिता गुरुदेव ।
वह ही जीवन के सुनो , मेरे बने त्रिदेव ।।
मातु-पिता के बाद ही , मानूँ मैं संसार ।
पहले उनका ही करूँ , व्यक्त सदा आभार ।।
मातु-पिता क्यों सामने, क्यों खोजूँ भगवान ।
उनकी मैं सेवा करूँ , स्वतः बढ़े अभिमान ।।

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

दोहा :- करे सनातन धर्म यह , हर युग का आभार । हर युग की ही भाँति हो , कलयुग की जयकार ।। कलयुग में भी हो रहे , दैवीय चमत्कार । कहीं पान दातून

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#मोटिवेशनल #गांव  🏞
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मेरा #गांव अब उदास रहता है.. ✍️ लड़के जितने भी थे मेरे गांव में। जो बैठते थे दोपहर को आम की छांव में। बड़ी रौनक हुआ करती थी जिनसे घर में

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#कविता #somnathMandir #mahadev #Somnath #Hindi #Hindu  मस्तक शोभित जिसके चंद्र हैं
जटाओं में विराजित जिसके गंग हैं,
आभूषण जिसका सर्प, मुंड माल हैं 
स्थल उसका कैलाश पर्वत जों विशाल हैं
वस्त्र जिसका सिंह छाल हैं, 
मुठ्ठी में जिसके तीनों काल हैं, 
वहीं नीलकंठ वहीं महाकाल हैं, 
काशी में विश्वनाथ तों 
सौराष्ट्र में वो ही "सोमनाथ" हैं।

©Nitish Kumar Mishra "योद्धा युग"

मस्तक शोभित जिसके चंद्र हैं जटाओं में विराजित जिसके गंग हैं, आभूषण जिसका सर्प, मुंड माल हैं स्थल उसका कैलाश पर्वत जों विशाल हैं वस्त्र जिसक

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एक दूसरे से मिलने की चाह रखना , हमारे चाहने से क्या खाक होता है यह तो खुदा रचता है कब ,कहां ,कैसे.., किसे- किससे मिलाना है,. हम तीनों का मिलना इत्तेफाक होता है।। ©Gyansagar Chaudhari

#dost♥️ #Quotes #Friend #Yaari #Dosti  एक दूसरे से मिलने की चाह रखना ,
हमारे चाहने से क्या खाक होता है 
यह तो खुदा रचता है कब ,कहां ,कैसे..,
 किसे- किससे मिलाना है,.
हम तीनों का मिलना इत्तेफाक होता है।।

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#कॉमेडी #कविता #शायरी #भक्ति #AlKabir_Islamic #SaintRampalJi  White हज़रत मुहम्मद जी ने भी पाप कर्म दंड झेला!
पुस्तक- जीवनी हज़रत मुहम्मद (सल्लाहु अलैहि वसल्लम के पृष्ठ 46, 51-52, 64, 307-315) में प्रमाण है कि हज़रत मुहम्मद जी ने बचपन में यतीमी का दुःख देखा। उनके तीनों पुत्रों की मृत्यु हो गई तथा स्वयं हज़रत मुहम्मद जी की भी 63 वर्ष की उम्र में असहाय बीमारी से तड़फ तड़फ कर मृत्यु हुई। पाप कर्म दंड तो सिर्फ अल्लाह कबीर की सच्ची इबादत करने से ही समाप्त हो सकतें है।
#AlKabir_Islamic
#SaintRampalJi

©ARTI DEVI(Modern Mira Bai)

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