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गीता के अनुसार मनुष्य के दुःख का कारण क्या है? यदि भगवद गीता को देखें तो हम पाते हैं कि संसार के दुखों का प्रमुख कारण आत्मा के स्वरूप के विषय में हमारा अज्ञान है। हम स्वजनों की मृत्यु की आशंका से ही भयभीत हो जाते हैं। हमने जो भी अर्जित किया या पाया है, उसकी हानि की शंका भी हमारी चेतना को कभी पूर्णतया स्वछंद नहीं होने देती। भगवद गीता के मुताबिक, मनुष्य के दुखों का प्रमुख कारण आत्मा के स्वरूप के बारे में अज्ञानता है. इसके अलावा, मनुष्य के दुखों के कुछ और कारण ये हैं: हमने जो भी अर्जित किया या पाया है, उसकी हानि की शंका हमारी चेतना को कभी पूर्णतया स्वच्छंद नहीं होने देती. मनुष्य में श्रेष्ठ गुणों का अभाव होता है. मनुष्य का शत्रुतापूर्ण और अमानवीय स्वभाव दुनिया को उदास और निराशाजनक बना देता है. अधिकांश मनुष्य इस बात का परिप्रेक्ष्य खो चुके हैं कि यह जीवन क्या है. उनकी मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया अस्तित्वगत प्रक्रिया से कहीं अधिक बड़ी हो गई है. भगवद गीता के मुताबिक, मनुष्य को अपने विवेक, परिश्रम, बुद्धि और उद्यम पर संदेह नहीं करना चाहिए. उसे सदैव सत्य और स्वधर्म के पक्ष में रहना चाहिए. ©person

 गीता के अनुसार मनुष्य के दुःख का कारण क्या है?


यदि भगवद गीता को देखें तो हम पाते हैं कि संसार के दुखों का प्रमुख कारण आत्मा के स्वरूप के विषय में हमारा अज्ञान है। हम स्वजनों की मृत्यु की आशंका से ही भयभीत हो जाते हैं। हमने जो भी अर्जित किया या पाया है, उसकी हानि की शंका भी हमारी चेतना को कभी पूर्णतया स्वछंद नहीं होने देती।

भगवद गीता के मुताबिक, मनुष्य के दुखों का प्रमुख कारण आत्मा के स्वरूप के बारे में अज्ञानता है. इसके अलावा, मनुष्य के दुखों के कुछ और कारण ये हैं: 
 
हमने जो भी अर्जित किया या पाया है, उसकी हानि की शंका हमारी चेतना को कभी पूर्णतया स्वच्छंद नहीं होने देती. 
 
मनुष्य में श्रेष्ठ गुणों का अभाव होता है. 
 
मनुष्य का शत्रुतापूर्ण और अमानवीय स्वभाव दुनिया को उदास और निराशाजनक बना देता है. 
 
अधिकांश मनुष्य इस बात का परिप्रेक्ष्य खो चुके हैं कि यह जीवन क्या है. 
 
उनकी मनोवैज्ञानिक प्रक्रिया अस्तित्वगत प्रक्रिया से कहीं अधिक बड़ी हो गई है. 
 
भगवद गीता के मुताबिक, मनुष्य को अपने विवेक, परिश्रम, बुद्धि और उद्यम पर संदेह नहीं करना चाहिए. उसे सदैव सत्य और स्वधर्म के पक्ष में रहना चाहिए.

©person

गीता के अनुसार मनुष्य के दुःख का कारण क्या है? यदि भगवद गीता को देखें तो हम पाते हैं कि संसार के दुखों का प्रमुख कारण आत्मा के स्वरूप के वि

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बाल अधिकार संरक्षण आयोग के अध्यक्ष ने वन्यजीव प्रभावित क्षेत्र का किया भ्रमण बहराइच 31 अगस्त। मा. अध्यक्ष (राज्यमंत्री स्तर), उ.प्र. राज्य

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bharat quotes सन सत्तावन में उमड़ी थी जो,सैंतालीस में जाकर सफ़ल हुई गोरों की काले दिल की सब,करतूतें तब असफल हुई जब एक एक रणबांकुर करने को,अपना सर्वस्व न्योछावर कूद पड़े तब अंग्रेजी हुकूमत के तख्तों के,पावदान सब टूट पड़े लाला सुभाष और तिलक की बातें ,जनमानस में गूंज पड़ी अरुणा,सावित्री और चेन्नमा ,भी इस रण में कूद पड़ी जलियांवाला केवल एक बाग नहीं ,वीरों की अमर निशानी हैं बचपन से सुन रहे है हम जो,वो लक्ष्मी बाई की अमर कहानी हैं आजाद,भगत, सुखदेव राजगुरु ,थे सब आजादी के दीवाने बिस्मिल,हमीद के बलिदानों को,हैं कौन यहां जो ना जाने इनके त्याग ही का प्रतिफल है यह,आज़ादी जो हमने पाया है स्वच्छंद हिमालय है खड़ा बुलंद, हम पर भारत मां के आंचल की छाया है अंकुर तिवारी ©Ankur tiwari

#Motivational  bharat quotes  सन सत्तावन में उमड़ी थी जो,सैंतालीस में जाकर सफ़ल हुई 
गोरों की काले दिल की सब,करतूतें तब असफल हुई 
जब एक एक रणबांकुर करने को,अपना सर्वस्व न्योछावर कूद पड़े 
तब अंग्रेजी हुकूमत के तख्तों के,पावदान सब टूट पड़े 
लाला सुभाष और तिलक की बातें ,जनमानस में गूंज पड़ी 
अरुणा,सावित्री और चेन्नमा ,भी इस रण में कूद पड़ी 
जलियांवाला केवल एक बाग नहीं ,वीरों की अमर निशानी हैं 
बचपन से सुन रहे है हम जो,वो लक्ष्मी बाई की अमर कहानी हैं 
आजाद,भगत, सुखदेव राजगुरु ,थे सब आजादी के दीवाने
बिस्मिल,हमीद के बलिदानों को,हैं कौन यहां जो ना जाने 
इनके त्याग ही का प्रतिफल है यह,आज़ादी जो हमने पाया है 
स्वच्छंद हिमालय है खड़ा बुलंद, हम पर भारत मां के आंचल की छाया है
अंकुर तिवारी

©Ankur tiwari

सन सत्तावन में उमड़ी थी जो सैंतालीस में जाकर सफ़ल हुई गोरों की काले दिल की सब करतूतें तब असफल हुई जब एक एक रणबांकुर करने को अपना सर्वस्व न्

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लाला सुभाष और तिलक की बातें ,जनमानस में गूंज पड़ी 
अरुणा,सावित्री और चेन्नमा ,भी इस रण में कूद पड़ी 
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आजाद,भगत, सुखदेव राजगुरु ,थे सब आजादी के दीवाने
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स्वच्छंद हिमालय है खड़ा बुलंद, हम पर भारत मां के आंचल की छाया है
अंकुर तिवारी

©Ankur tiwari

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