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New poem on nature for class 3 Status, Photo, Video

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White हम middle class लडको की life ..... कहा आसान होती है जनाब...... जो हम है नहीं वो बना दिए जाते है हमसे पूछे बिना ही हमारे किरदार हमे थमा दिए जाते है सपनो के पीछे भागने का शोक हमे भी होता है पर जिम्मेदारियों से कंधे लाद दिए जाते है भावनाओं को दबाना तो हमे बचपन से सिखाया जाता है लड़के रोते नहीं ,कमजोर हो क्या कहकर डराया जाता है कशमकश में जिंदगी की ऐसे उलझ जाते है कभी कभी अपना खास दिन भी भूल जाते है किसी खास मौके पर न दे पाए बीबी बच्चो को उपहार तो बेवजह ही स्वार्थी और बेपरवाह ठहरा दिए जाते है सुकून तो हमे बस अपने दोस्तो और प्रेम के साथ ही मिलता है जहां बिना तर्क के हम जैसे है वैसे अपना लिए जाते है । ©seema patidar

 White हम  middle class लडको की life .....
कहा आसान होती है जनाब......
जो हम है नहीं वो बना दिए जाते है 
हमसे पूछे बिना ही हमारे किरदार हमे थमा दिए जाते है
सपनो के पीछे भागने का शोक हमे भी होता है 
पर जिम्मेदारियों से कंधे लाद दिए जाते है
भावनाओं को दबाना तो हमे बचपन से सिखाया जाता है
लड़के रोते नहीं ,कमजोर हो क्या कहकर डराया जाता है
कशमकश में जिंदगी की ऐसे उलझ जाते है 
कभी कभी अपना खास दिन भी भूल जाते है
किसी खास मौके पर न दे पाए बीबी बच्चो को उपहार 
तो बेवजह ही स्वार्थी और बेपरवाह ठहरा दिए जाते है
सुकून तो हमे बस अपने दोस्तो और प्रेम के साथ ही मिलता है
जहां बिना तर्क के हम जैसे है वैसे अपना लिए जाते है ।

©seema patidar

middle class.....

11 Love

#Motivational

For class 10th and 12th

351 View

White ।।सरहद के पार।। रातभर टपकती रही, हर दिशाओं में बहकती रही, न मिला ठिकाना,श्याम के जलधर में गरजती रही। सांस लेने की फुर्सत नही उसे,प्रवात चुप है कोने में, बहती गंगा स्वं वेग से,नदीओं में तेज उफनती रही। सरहदें लांघने लगी है वृष्टि, अब पुष्पदों की बारी है, विंहगम है मज्जन जहां का,सौंदर्य से गमकती रही। धरती से चलकर आशमान से मोतियां बरसने लगी है, बनाकर ठिकाना दविज, दिवाकर में चहँकती रही। प्यासी धरती सींच रही उदक को अपनी अधरों से, फूलों की बगीयां से धरा के आंगन में महकती रही। मौलिक रचना ।। संतोष शर्मा।। कुशीनगर (उत्तर प्रदेश) दिनांक-06/07/2024 ©santosh sharma

#Nature  White ।।सरहद के पार।।

रातभर टपकती रही, हर दिशाओं में बहकती रही,
न मिला ठिकाना,श्याम के जलधर में गरजती रही।

सांस लेने की फुर्सत नही उसे,प्रवात चुप है कोने में,
बहती गंगा स्वं वेग से,नदीओं में तेज उफनती रही।

सरहदें लांघने लगी है वृष्टि, अब पुष्पदों की बारी है,
विंहगम है मज्जन जहां का,सौंदर्य से गमकती रही।

धरती से चलकर आशमान से मोतियां बरसने लगी है,
बनाकर  ठिकाना दविज, दिवाकर में चहँकती रही।

प्यासी धरती सींच रही उदक  को अपनी अधरों से,
फूलों की बगीयां से धरा के आंगन में महकती रही।

                               मौलिक रचना
                             ।। संतोष शर्मा।।
                        कुशीनगर (उत्तर प्रदेश)
                         दिनांक-06/07/2024

©santosh sharma

#Nature poem

11 Love

#Videos

Sangeet class

144 View

#hotelpanchvati #class

White The woodpecker came in sight After years of living, Between two tall trees, He just kept on bouncing Gentle and soft wood, He didn't want He flew to a window Old, lifeless and gaunt He pecked once, No-one opened He pecked twice, The page did not turn He peeked inside, There didn't live anyone He sat for few minutes As if waiting for someone How heart melting was this! Alas! No-one witnessed It'll forever be a mystery, This emotions he expressed. ©Anagha Ukaskar

#rajdhani_night #woodpecker #Nature #poem  White The woodpecker came in sight 
After years of living,
Between two tall trees,
He just kept on bouncing

Gentle and soft wood,
He didn't want
He flew to a window
Old, lifeless and gaunt

He pecked once,
No-one opened 
He pecked twice, 
The page did not turn

He peeked inside,
There didn't live anyone 
He sat for few minutes 
As if waiting for someone 

How heart melting was this!
Alas! No-one witnessed 
It'll forever be a mystery, 
This emotions he expressed.

©Anagha Ukaskar

White हम middle class लडको की life ..... कहा आसान होती है जनाब...... जो हम है नहीं वो बना दिए जाते है हमसे पूछे बिना ही हमारे किरदार हमे थमा दिए जाते है सपनो के पीछे भागने का शोक हमे भी होता है पर जिम्मेदारियों से कंधे लाद दिए जाते है भावनाओं को दबाना तो हमे बचपन से सिखाया जाता है लड़के रोते नहीं ,कमजोर हो क्या कहकर डराया जाता है कशमकश में जिंदगी की ऐसे उलझ जाते है कभी कभी अपना खास दिन भी भूल जाते है किसी खास मौके पर न दे पाए बीबी बच्चो को उपहार तो बेवजह ही स्वार्थी और बेपरवाह ठहरा दिए जाते है सुकून तो हमे बस अपने दोस्तो और प्रेम के साथ ही मिलता है जहां बिना तर्क के हम जैसे है वैसे अपना लिए जाते है । ©seema patidar

 White हम  middle class लडको की life .....
कहा आसान होती है जनाब......
जो हम है नहीं वो बना दिए जाते है 
हमसे पूछे बिना ही हमारे किरदार हमे थमा दिए जाते है
सपनो के पीछे भागने का शोक हमे भी होता है 
पर जिम्मेदारियों से कंधे लाद दिए जाते है
भावनाओं को दबाना तो हमे बचपन से सिखाया जाता है
लड़के रोते नहीं ,कमजोर हो क्या कहकर डराया जाता है
कशमकश में जिंदगी की ऐसे उलझ जाते है 
कभी कभी अपना खास दिन भी भूल जाते है
किसी खास मौके पर न दे पाए बीबी बच्चो को उपहार 
तो बेवजह ही स्वार्थी और बेपरवाह ठहरा दिए जाते है
सुकून तो हमे बस अपने दोस्तो और प्रेम के साथ ही मिलता है
जहां बिना तर्क के हम जैसे है वैसे अपना लिए जाते है ।

©seema patidar

middle class.....

11 Love

#Motivational

For class 10th and 12th

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White ।।सरहद के पार।। रातभर टपकती रही, हर दिशाओं में बहकती रही, न मिला ठिकाना,श्याम के जलधर में गरजती रही। सांस लेने की फुर्सत नही उसे,प्रवात चुप है कोने में, बहती गंगा स्वं वेग से,नदीओं में तेज उफनती रही। सरहदें लांघने लगी है वृष्टि, अब पुष्पदों की बारी है, विंहगम है मज्जन जहां का,सौंदर्य से गमकती रही। धरती से चलकर आशमान से मोतियां बरसने लगी है, बनाकर ठिकाना दविज, दिवाकर में चहँकती रही। प्यासी धरती सींच रही उदक को अपनी अधरों से, फूलों की बगीयां से धरा के आंगन में महकती रही। मौलिक रचना ।। संतोष शर्मा।। कुशीनगर (उत्तर प्रदेश) दिनांक-06/07/2024 ©santosh sharma

#Nature  White ।।सरहद के पार।।

रातभर टपकती रही, हर दिशाओं में बहकती रही,
न मिला ठिकाना,श्याम के जलधर में गरजती रही।

सांस लेने की फुर्सत नही उसे,प्रवात चुप है कोने में,
बहती गंगा स्वं वेग से,नदीओं में तेज उफनती रही।

सरहदें लांघने लगी है वृष्टि, अब पुष्पदों की बारी है,
विंहगम है मज्जन जहां का,सौंदर्य से गमकती रही।

धरती से चलकर आशमान से मोतियां बरसने लगी है,
बनाकर  ठिकाना दविज, दिवाकर में चहँकती रही।

प्यासी धरती सींच रही उदक  को अपनी अधरों से,
फूलों की बगीयां से धरा के आंगन में महकती रही।

                               मौलिक रचना
                             ।। संतोष शर्मा।।
                        कुशीनगर (उत्तर प्रदेश)
                         दिनांक-06/07/2024

©santosh sharma

#Nature poem

11 Love

#Videos

Sangeet class

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#hotelpanchvati #class

White The woodpecker came in sight After years of living, Between two tall trees, He just kept on bouncing Gentle and soft wood, He didn't want He flew to a window Old, lifeless and gaunt He pecked once, No-one opened He pecked twice, The page did not turn He peeked inside, There didn't live anyone He sat for few minutes As if waiting for someone How heart melting was this! Alas! No-one witnessed It'll forever be a mystery, This emotions he expressed. ©Anagha Ukaskar

#rajdhani_night #woodpecker #Nature #poem  White The woodpecker came in sight 
After years of living,
Between two tall trees,
He just kept on bouncing

Gentle and soft wood,
He didn't want
He flew to a window
Old, lifeless and gaunt

He pecked once,
No-one opened 
He pecked twice, 
The page did not turn

He peeked inside,
There didn't live anyone 
He sat for few minutes 
As if waiting for someone 

How heart melting was this!
Alas! No-one witnessed 
It'll forever be a mystery, 
This emotions he expressed.

©Anagha Ukaskar
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