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#hindi_shayari #hindi_poetry #MohitRockF44 #poeatry  सच में तुम बहुत सुंदर लगती थी

सहज थी तुम  तो सुंदर लगती थी
सरल थी तुम तो  सुंदर लगती थी

मुझे तेरी बाह्य सुंदरता से क्या लेना देना
निश्चल निर्मल थी तुम  तो सुंदर लगती थी

मेरे उर को छूती थी कोमल भावनाएं तेरी
हॄदय से जीती थी तुम  तो सुंदर लगती थी

रूप- लावण्य, शैल- श्रृंगार में प्रीति  नहीं थी मेरी
मेरी वेदनाओं को पीती थी तुम  तो सुंदर लगती थी

अल्हड़ नदी की कलकल धार सी थी तुम तो सुंदर लगती थी
गिरते मेघदूत की गीत मल्हार सी थी तुम  तो सुंदर लगती थी

अतिशय विशाल हॄदय की स्वामिनी थी तुम तो सुंदर लगती थी
निश्चल निष्काम प्रेम की कामिनी थी तुम   तो सुंदर लगती थी

सहज थी तुम 
सरल थी तुम
मेरे दिल की धड़कन थी तुम
मुझसे प्यार करती थी तो सुंदर लगती थी

©MoHiTRoCk F44

#MohitRockF44 #poeatry #hindi_poetry #hindi_shayari poetry on love @vineetapanchal Santosh Narwar Aligarh @Kshitija @Niaz (Harf) Andy Man

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ग़ज़ल :- नाम तेरा सदा गुनगुनाता रहा । मन ही मन सोचकर मुस्कराता रहा ।। जब कभी ख्वाब में आप आये मेरे । रात फिर सारी  घूँघट उठाता रहा ।। क्या हुआ मुश्किलों से जो रोटी मिली । प्रेम से तो निवाला खिलाता रहा ।। बद नज़र है जमाने की सारी नज़र । हाथ से उसकी सूरत छुपाता रहा । शब न आयी कभी ज़िंदगी में मेरे । नूर उसका अँधेरा मिटाता रहा ।। देख लो आज भी उसका कोमल हृदय  । मन को मेरे मयूरा बनाता रहा ।। छेड़ती होंगी सखियाँ ये कहकर उसे । नैन कैसे प्रखर कल लडाता रहा ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#शायरी  ग़ज़ल :-
नाम तेरा सदा गुनगुनाता रहा ।
मन ही मन सोचकर मुस्कराता रहा ।।

जब कभी ख्वाब में आप आये मेरे ।
रात फिर सारी  घूँघट उठाता रहा ।।

क्या हुआ मुश्किलों से जो रोटी मिली ।
प्रेम से तो निवाला खिलाता रहा ।।

बद नज़र है जमाने की सारी नज़र ।
हाथ से उसकी सूरत छुपाता रहा ।

शब न आयी कभी ज़िंदगी में मेरे ।
नूर उसका अँधेरा मिटाता रहा ।।

देख लो आज भी उसका कोमल हृदय  ।
मन को मेरे मयूरा बनाता रहा ।।

छेड़ती होंगी सखियाँ ये कहकर उसे ।
नैन कैसे प्रखर कल लडाता रहा ।।
महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल :- नाम तेरा सदा गुनगुनाता रहा । मन ही मन सोचकर मुस्कराता रहा ।। जब कभी ख्वाब में आप आये मेरे । रात फिर सारी  घूँघट उठाता रहा ।। क्या ह

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#hindi_shayari #hindi_poetry #MohitRockF44 #poeatry  सच में तुम बहुत सुंदर लगती थी

सहज थी तुम  तो सुंदर लगती थी
सरल थी तुम तो  सुंदर लगती थी

मुझे तेरी बाह्य सुंदरता से क्या लेना देना
निश्चल निर्मल थी तुम  तो सुंदर लगती थी

मेरे उर को छूती थी कोमल भावनाएं तेरी
हॄदय से जीती थी तुम  तो सुंदर लगती थी

रूप- लावण्य, शैल- श्रृंगार में प्रीति  नहीं थी मेरी
मेरी वेदनाओं को पीती थी तुम  तो सुंदर लगती थी

अल्हड़ नदी की कलकल धार सी थी तुम तो सुंदर लगती थी
गिरते मेघदूत की गीत मल्हार सी थी तुम  तो सुंदर लगती थी

अतिशय विशाल हॄदय की स्वामिनी थी तुम तो सुंदर लगती थी
निश्चल निष्काम प्रेम की कामिनी थी तुम   तो सुंदर लगती थी

सहज थी तुम 
सरल थी तुम
मेरे दिल की धड़कन थी तुम
मुझसे प्यार करती थी तो सुंदर लगती थी

©MoHiTRoCk F44

#MohitRockF44 #poeatry #hindi_poetry #hindi_shayari poetry on love @vineetapanchal Santosh Narwar Aligarh @Kshitija @Niaz (Harf) Andy Man

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ग़ज़ल :- नाम तेरा सदा गुनगुनाता रहा । मन ही मन सोचकर मुस्कराता रहा ।। जब कभी ख्वाब में आप आये मेरे । रात फिर सारी  घूँघट उठाता रहा ।। क्या हुआ मुश्किलों से जो रोटी मिली । प्रेम से तो निवाला खिलाता रहा ।। बद नज़र है जमाने की सारी नज़र । हाथ से उसकी सूरत छुपाता रहा । शब न आयी कभी ज़िंदगी में मेरे । नूर उसका अँधेरा मिटाता रहा ।। देख लो आज भी उसका कोमल हृदय  । मन को मेरे मयूरा बनाता रहा ।। छेड़ती होंगी सखियाँ ये कहकर उसे । नैन कैसे प्रखर कल लडाता रहा ।। महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#शायरी  ग़ज़ल :-
नाम तेरा सदा गुनगुनाता रहा ।
मन ही मन सोचकर मुस्कराता रहा ।।

जब कभी ख्वाब में आप आये मेरे ।
रात फिर सारी  घूँघट उठाता रहा ।।

क्या हुआ मुश्किलों से जो रोटी मिली ।
प्रेम से तो निवाला खिलाता रहा ।।

बद नज़र है जमाने की सारी नज़र ।
हाथ से उसकी सूरत छुपाता रहा ।

शब न आयी कभी ज़िंदगी में मेरे ।
नूर उसका अँधेरा मिटाता रहा ।।

देख लो आज भी उसका कोमल हृदय  ।
मन को मेरे मयूरा बनाता रहा ।।

छेड़ती होंगी सखियाँ ये कहकर उसे ।
नैन कैसे प्रखर कल लडाता रहा ।।
महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल :- नाम तेरा सदा गुनगुनाता रहा । मन ही मन सोचकर मुस्कराता रहा ।। जब कभी ख्वाब में आप आये मेरे । रात फिर सारी  घूँघट उठाता रहा ।। क्या ह

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