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New सांझ सवेरे Status, Photo, Video

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हम कोई ज़िक्र नही चाहते पर लोग शुरुआत कर देते हैं दिल दुखता है जिससे हमारा लोग वही बात कर देते हैं हम कोशिश करते हैं नए सवेरे की लोग दो पल

54,990 View

#कविता  White साँझ उतरी है ज़मीं पर, सुबह की लाली लिए,
खुशबुएँ फैलीं पहर में, पूजा की थाली लिए।

कुछ रीती सी है ज़िन्दगी, कुछ गुनगुनाते स्वप्न हैं,
चाँदनी बिखरी ज़मीं पर, रात मतवाली लिए।

मशरूफ़ हैं वो फिर कहीं, झूठा बहाना ओढ़कर,
जज़्बात फिर ढलने लगे हैं, ऑंखों में पानी लिए।

दहलीज पर फुर्सत से हम, थककर खड़े थे रात भर,
तुम सुबह बिखरे आ गए, फिर हाथ को खाली लिए।

गुजरेगा फिर ये वक्त भी, आएँगी शामें गुनगुनी,
गालों को मेरे चूमेगा, फिर हाथों में बाली लिए।

ओढूँगी तेरी प्रीत को, आगोश में छुप जाऊँगी,
फिर दिन सुहाने आएँगे, साथ खुशहाली लिए।

और बनके मेरा तू मुकद्दर, साथ मेरे चल पड़ा,
नज़रें झुकी हैं फिर हया से, गालों पर लाली लिए।।

🍁🍁🍁

©Neel

सांझ 🍁

279 View

#कविता

काव्य महारथी संध्या श्रीवास्तव "सांझ", छतरपुर, मध्यप्रदेश हिंदी कविता कविता कविता कोश प्रेरणादायी कविता हिंदी हिंदी दिवस पर कविता

153 View

#GoldenHour  सांझ के आंचल में, जब सूरज ढलता है, 
धरती पर सोने की चादर सा फैलता है। 
आसमान के रंगों में, सुनहरी लहरें खिलती हैं, 
प्रकृति की गोद में, मानो स्वर्णधारा बहती है।

©Nirankar Trivedi

सांझ के आंचल में, जब सूरज ढलता है, धरती पर सोने की चादर सा फैलता है। आसमान के रंगों में, सुनहरी लहरें खिलती हैं, प्रकृति की गोद में, मानो स्

207 View

हम कोई ज़िक्र नही चाहते पर लोग शुरुआत कर देते हैं दिल दुखता है जिससे हमारा लोग वही बात कर देते हैं हम कोशिश करते हैं नए सवेरे की लोग दो पल

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#कविता  White साँझ उतरी है ज़मीं पर, सुबह की लाली लिए,
खुशबुएँ फैलीं पहर में, पूजा की थाली लिए।

कुछ रीती सी है ज़िन्दगी, कुछ गुनगुनाते स्वप्न हैं,
चाँदनी बिखरी ज़मीं पर, रात मतवाली लिए।

मशरूफ़ हैं वो फिर कहीं, झूठा बहाना ओढ़कर,
जज़्बात फिर ढलने लगे हैं, ऑंखों में पानी लिए।

दहलीज पर फुर्सत से हम, थककर खड़े थे रात भर,
तुम सुबह बिखरे आ गए, फिर हाथ को खाली लिए।

गुजरेगा फिर ये वक्त भी, आएँगी शामें गुनगुनी,
गालों को मेरे चूमेगा, फिर हाथों में बाली लिए।

ओढूँगी तेरी प्रीत को, आगोश में छुप जाऊँगी,
फिर दिन सुहाने आएँगे, साथ खुशहाली लिए।

और बनके मेरा तू मुकद्दर, साथ मेरे चल पड़ा,
नज़रें झुकी हैं फिर हया से, गालों पर लाली लिए।।

🍁🍁🍁

©Neel

सांझ 🍁

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#कविता

काव्य महारथी संध्या श्रीवास्तव "सांझ", छतरपुर, मध्यप्रदेश हिंदी कविता कविता कविता कोश प्रेरणादायी कविता हिंदी हिंदी दिवस पर कविता

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#GoldenHour  सांझ के आंचल में, जब सूरज ढलता है, 
धरती पर सोने की चादर सा फैलता है। 
आसमान के रंगों में, सुनहरी लहरें खिलती हैं, 
प्रकृति की गोद में, मानो स्वर्णधारा बहती है।

©Nirankar Trivedi

सांझ के आंचल में, जब सूरज ढलता है, धरती पर सोने की चादर सा फैलता है। आसमान के रंगों में, सुनहरी लहरें खिलती हैं, प्रकृति की गोद में, मानो स्

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