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इस संसार में एक इंसान भिखारी हैं क्योंकि हर चीज हम लोग भगवान से मानते हैं खुशी और प्रशंसा और धन संपदा सब चीज हम लोग भगवान से ही मांगते हैं हमारा इच्छा का पात्र कभी नहीं भरता हैं और हम हमेशा भगवान से विनती करते रहते हैं प्रार्थना करते रहते हैं एक भिखारी के माफीक उनसे ही सब चीज मांगते हैं सबसे बड़े भिखारी मनुष्य हैं सब कुछ होने के बाद भी कुछ नहीं होता हैं हमने अपने कर्म से पुण्य को अर्जित करना चाहिए ताकि हमारे शरीर के अंतिम घड़ी के बाद हमारी आत्मा को पुण्य और प्रभु के चरणों में दर्शन की प्राप्ति हो ©person

#Bhakti  इस संसार में 
एक इंसान भिखारी हैं 
क्योंकि हर चीज हम लोग भगवान से मानते हैं 
खुशी और प्रशंसा और धन संपदा सब चीज हम लोग भगवान से ही मांगते हैं 
हमारा इच्छा का पात्र कभी नहीं भरता हैं 
और हम हमेशा भगवान से विनती करते रहते हैं प्रार्थना करते रहते हैं एक भिखारी के माफीक उनसे ही सब चीज मांगते हैं 
सबसे बड़े भिखारी मनुष्य हैं सब कुछ होने के बाद भी कुछ नहीं होता हैं 
हमने अपने कर्म से पुण्य को अर्जित करना चाहिए ताकि हमारे शरीर के अंतिम घड़ी के बाद हमारी आत्मा को पुण्य और प्रभु के चरणों में दर्शन की प्राप्ति हो

©person

इस संसार में एक इंसान भिखारी हैं क्योंकि हर चीज हम लोग भगवान से मानते हैं खुशी और प्रशंसा और धन संपदा सब चीज हम लोग भगवान से ही मांगते है

13 Love

White ग़ज़ल :- इश्क़ की छाई अब खुमारी है  रात करवट भरी गुजारी है  सबने बोला बड़ी बिमारी है माँ ने फिर भी नज़र उतारी है  फूल आयेंगे एक दिन सुंदर  बागबाँ ने करी तैयारी है  चाँद कुछ भी न आसमां में अब  उससे प्यारी जमीं हमारी है  कैसे करता गिला रकीबों से  हाथ उनके दिखी कटारी है  जुल्म़ सहना समाज के हँसकर  आज इंसान की लाचारी है  लोग कहते हैं राहबर जिसको  वो हक़ीक़त में इक शिकारी है लाज़ आती नहीं प्रखर उसको  ऐसा लगता बड़ा भिखारी है  महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#शायरी  White ग़ज़ल :-
इश्क़ की छाई अब खुमारी है 
रात करवट भरी गुजारी है 
सबने बोला बड़ी बिमारी है
माँ ने फिर भी नज़र उतारी है 
फूल आयेंगे एक दिन सुंदर 
बागबाँ ने करी तैयारी है 
चाँद कुछ भी न आसमां में अब 
उससे प्यारी जमीं हमारी है 
कैसे करता गिला रकीबों से 
हाथ उनके दिखी कटारी है 
जुल्म़ सहना समाज के हँसकर 
आज इंसान की लाचारी है 
लोग कहते हैं राहबर जिसको 
वो हक़ीक़त में इक शिकारी है
लाज़ आती नहीं प्रखर उसको 
ऐसा लगता बड़ा भिखारी है 

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल :- इश्क़ की छाई अब खुमारी है  रात करवट भरी गुजारी है  सबने बोला बड़ी बिमारी है माँ ने फिर भी नज़र उतारी है  फूल आयेंगे एक दिन सुंदर  बागबाँ

15 Love

इस संसार में एक इंसान भिखारी हैं क्योंकि हर चीज हम लोग भगवान से मानते हैं खुशी और प्रशंसा और धन संपदा सब चीज हम लोग भगवान से ही मांगते हैं हमारा इच्छा का पात्र कभी नहीं भरता हैं और हम हमेशा भगवान से विनती करते रहते हैं प्रार्थना करते रहते हैं एक भिखारी के माफीक उनसे ही सब चीज मांगते हैं सबसे बड़े भिखारी मनुष्य हैं सब कुछ होने के बाद भी कुछ नहीं होता हैं हमने अपने कर्म से पुण्य को अर्जित करना चाहिए ताकि हमारे शरीर के अंतिम घड़ी के बाद हमारी आत्मा को पुण्य और प्रभु के चरणों में दर्शन की प्राप्ति हो ©person

#Bhakti  इस संसार में 
एक इंसान भिखारी हैं 
क्योंकि हर चीज हम लोग भगवान से मानते हैं 
खुशी और प्रशंसा और धन संपदा सब चीज हम लोग भगवान से ही मांगते हैं 
हमारा इच्छा का पात्र कभी नहीं भरता हैं 
और हम हमेशा भगवान से विनती करते रहते हैं प्रार्थना करते रहते हैं एक भिखारी के माफीक उनसे ही सब चीज मांगते हैं 
सबसे बड़े भिखारी मनुष्य हैं सब कुछ होने के बाद भी कुछ नहीं होता हैं 
हमने अपने कर्म से पुण्य को अर्जित करना चाहिए ताकि हमारे शरीर के अंतिम घड़ी के बाद हमारी आत्मा को पुण्य और प्रभु के चरणों में दर्शन की प्राप्ति हो

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इस संसार में एक इंसान भिखारी हैं क्योंकि हर चीज हम लोग भगवान से मानते हैं खुशी और प्रशंसा और धन संपदा सब चीज हम लोग भगवान से ही मांगते है

13 Love

White ग़ज़ल :- इश्क़ की छाई अब खुमारी है  रात करवट भरी गुजारी है  सबने बोला बड़ी बिमारी है माँ ने फिर भी नज़र उतारी है  फूल आयेंगे एक दिन सुंदर  बागबाँ ने करी तैयारी है  चाँद कुछ भी न आसमां में अब  उससे प्यारी जमीं हमारी है  कैसे करता गिला रकीबों से  हाथ उनके दिखी कटारी है  जुल्म़ सहना समाज के हँसकर  आज इंसान की लाचारी है  लोग कहते हैं राहबर जिसको  वो हक़ीक़त में इक शिकारी है लाज़ आती नहीं प्रखर उसको  ऐसा लगता बड़ा भिखारी है  महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

#शायरी  White ग़ज़ल :-
इश्क़ की छाई अब खुमारी है 
रात करवट भरी गुजारी है 
सबने बोला बड़ी बिमारी है
माँ ने फिर भी नज़र उतारी है 
फूल आयेंगे एक दिन सुंदर 
बागबाँ ने करी तैयारी है 
चाँद कुछ भी न आसमां में अब 
उससे प्यारी जमीं हमारी है 
कैसे करता गिला रकीबों से 
हाथ उनके दिखी कटारी है 
जुल्म़ सहना समाज के हँसकर 
आज इंसान की लाचारी है 
लोग कहते हैं राहबर जिसको 
वो हक़ीक़त में इक शिकारी है
लाज़ आती नहीं प्रखर उसको 
ऐसा लगता बड़ा भिखारी है 

महेन्द्र सिंह प्रखर

©MAHENDRA SINGH PRAKHAR

ग़ज़ल :- इश्क़ की छाई अब खुमारी है  रात करवट भरी गुजारी है  सबने बोला बड़ी बिमारी है माँ ने फिर भी नज़र उतारी है  फूल आयेंगे एक दिन सुंदर  बागबाँ

15 Love

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