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New छेत्रफल की दृष्टि से Status, Photo, Video

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#मेरी_रुह© #कविता #gone  कफ़स से निकली रुह

#gone कफ़स से निकली रुह की है तड़प चंद साँसों से यूँ बिछड़ने की है तड़प..!! #मेरी_रुह©

126 View

White अंजाम से अंजान थे गुनाह करनेवाले सजा अफसोस की बड़ी थी , रब की सजा से ज्यादा.... ©gaTTubaba

#World_Photography_Day #शायरी  White अंजाम से अंजान थे गुनाह करनेवाले 
सजा अफसोस की बड़ी थी , रब की सजा से ज्यादा....

©gaTTubaba

#World_Photography_Day अंजाम से अंजान थे गुनाह करनेवाले सजा अफसोस की बड़ी थी , रब की सजा से ज्यादा....

19 Love

#कॉमेडी

'कॉमेडी'मुझे इश्क की चाबी से

117 View

#वीडियो

प्रधानों के साथ डीएम की हुई मीटिंग ग्रामीणों से की अपील

99 View

#वीडियो

गांव से घर की और

117 View

#कविता  White तृप्ति की कलम से
************************************†******
जाने वाला चला गया,क्यों बहते आँसू आँखों से
यादों में सब सिमट गया,क्यों झरते पत्ते शाखों से।

जाने क्या-क्या संग ले गया, जाने वाला क्या जाने
कभी हँसाये, कभी रुलाये , अपनी मीठी बातों से।

तेरी यादें, तेरी बातें,  पल -पल याद दिलाती हैं
बोझ बढ़ा इन यादों का तो,दफनाया इन हाथों से।

जो होता अच्छा होता,बस मन को दिलासा देते हैं
मन ही जाने मन की पीड़ा, ना बिसराया यादों से।
स्वरचित
तृप्ति अग्निहोत्री
लखीमपुर खीरी

©tripti agnihotri

तृप्ति की कलम से

144 View

#मेरी_रुह© #कविता #gone  कफ़स से निकली रुह

#gone कफ़स से निकली रुह की है तड़प चंद साँसों से यूँ बिछड़ने की है तड़प..!! #मेरी_रुह©

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White अंजाम से अंजान थे गुनाह करनेवाले सजा अफसोस की बड़ी थी , रब की सजा से ज्यादा.... ©gaTTubaba

#World_Photography_Day #शायरी  White अंजाम से अंजान थे गुनाह करनेवाले 
सजा अफसोस की बड़ी थी , रब की सजा से ज्यादा....

©gaTTubaba

#World_Photography_Day अंजाम से अंजान थे गुनाह करनेवाले सजा अफसोस की बड़ी थी , रब की सजा से ज्यादा....

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#कॉमेडी

'कॉमेडी'मुझे इश्क की चाबी से

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#वीडियो

प्रधानों के साथ डीएम की हुई मीटिंग ग्रामीणों से की अपील

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#वीडियो

गांव से घर की और

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#कविता  White तृप्ति की कलम से
************************************†******
जाने वाला चला गया,क्यों बहते आँसू आँखों से
यादों में सब सिमट गया,क्यों झरते पत्ते शाखों से।

जाने क्या-क्या संग ले गया, जाने वाला क्या जाने
कभी हँसाये, कभी रुलाये , अपनी मीठी बातों से।

तेरी यादें, तेरी बातें,  पल -पल याद दिलाती हैं
बोझ बढ़ा इन यादों का तो,दफनाया इन हाथों से।

जो होता अच्छा होता,बस मन को दिलासा देते हैं
मन ही जाने मन की पीड़ा, ना बिसराया यादों से।
स्वरचित
तृप्ति अग्निहोत्री
लखीमपुर खीरी

©tripti agnihotri

तृप्ति की कलम से

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