White "जिंदगी भर की जद्दोजहद, बस एक सफर की बात है,
अंत में सबके हिस्से में, एक ही कफ़न की बात है।
राहों में कांटे चुनते रहे, फूलों की आस में,
अंत में तो सबकी मंज़िल, वही श्मशान है।
मिट्टी से उठे हैं, मिट्टी में मिल जाएंगे,
जो सोने की ललक में थे, वो भी सो जाएंगे।
इंसान था, खुदा बनने की ख्वाहिश रही,
हसरतें थीं बुलंद, पर ज्यादा देर ठहर न सकी।
जिस जिस्म को संजोया, वो भी खाक हो जाएगी,
जिस दौलत पे फख्र था, वो यहीं रह जाएगी।
खाली हाथ आए थे, खाली हाथ जाएंगे,
ये जीवन का सफर, यूं ही खत्म हो जाएगा।
रंग-बिरंगी दुनियादारी, वो शोहरत, वो शान,
अंत में सब लुट जाएगा, रह जाएगा बस श्मशान।
धुंआ बनके उड़ जाएगा सब, हवाओं में कहीं,
वक्त की वो कड़वी सच्चाई, बस राख कहलाई जाएगी।
छोड़ जाएंगे यहां अपने निशाँ जो हमने बनाए,
लेकिन उन्हीं लहरों में वो भी मिट जाएंगे।
अभी वक्त है संभल जाओ, ये दौलत-ओ-शौहरत झूठ है,
अंत में बस प्यार का इक दिया, राह रौशन कर जाएगा।"
©नवनीत ठाकुर
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