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#भक्ति

🙏🕉️ जय बाबा बटेश्वर नाथ 🕉️🙏 आज बाबा बटेश्वर नाथ का संध्याकाल आरती दिव्य विशेष श्रंगार दर्शन🔱 दिनांक 07/11/2024 दिन (गुरुवार) 🔱🙏🙏🙏🕉️🕉️🕉️

189 View

White जो तुम मुझको मिलते तो मैं इतराती जो मैं तुमको मिलती तो तुम भी इतराते यही वजह है की हम एक दूसरे को नही मिले । ©Writer

#06nov2024 #SAD  White जो तुम मुझको मिलते तो मैं इतराती 
जो मैं तुमको मिलती तो तुम भी इतराते 
यही वजह है की हम एक दूसरे को नही मिले ।

©Writer

🥀🍁🥀 #06nov2024 #07:59am

31 Love

#भक्ति

जय बाबा बटेश्वर नाथ 🙏 आज बाबा बटेश्वर नाथ का संध्याकाल आरती दिव्य विशेष श्रंगार दर्शन दिनांक 07/10/2024 दिन (सोमवार)🌺🌺

144 View

White घर की छत और बचपन, वो यादों का आसमान, जहाँ उड़ते थे सपने, जैसे पतंगों के रंगीन सामान। छत पर बैठकर देखना, सूरज का ढलता रंग, वो छोटी-छोटी बातें, जो दिल को करतीं तंग। बारिश की बूँदों में, छत पर नाचते पांव, माँ की पुकारें भी तब, सुनाई नहीं देतीं, मानो खो जाएँ। रात में तारे गिनना, और चाँद से बातें करना, उस छत पर बैठकर, दुनिया को भूल जाना। छत पर खेलते खेल, वो हँसी और शोर, बचपन की वो छत ही थी, जो करती थी दिल को चोर। आज भी जब छत पर जाऊँ, वही अहसास जगता है, बचपन का वो मासूमपन, फिर से दिल में बसता है। ©"सीमा"अमन सिंह

#banarasi_Chhora  White घर की छत और बचपन, वो यादों का आसमान,
जहाँ उड़ते थे सपने, जैसे पतंगों के रंगीन सामान।

छत पर बैठकर देखना, सूरज का ढलता रंग,
वो छोटी-छोटी बातें, जो दिल को करतीं तंग।

बारिश की बूँदों में, छत पर नाचते पांव,
माँ की पुकारें भी तब, सुनाई नहीं देतीं, मानो खो जाएँ।

रात में तारे गिनना, और चाँद से बातें करना,
उस छत पर बैठकर, दुनिया को भूल जाना।

छत पर खेलते खेल, वो हँसी और शोर,
बचपन की वो छत ही थी, जो करती थी दिल को चोर।

आज भी जब छत पर जाऊँ, वही अहसास जगता है,
बचपन का वो मासूमपन, फिर से दिल में बसता है।

©"सीमा"अमन सिंह

#banarasi_Chhora Date:- 07/10/2024

25 Love

#भक्ति

जय बाबा बटेश्वर नाथ 🙏 आज बाबा बटेश्वर नाथ का संध्याकाल आरती दिव्य विशेष श्रंगार दर्शन दिनांक 07/9/2024 🌺🌺

162 View

#love_shayari  White SOMETHING I LOOK AT-273
BY-SMRUTI RANJAN MOHANTY

Hope
You read my poems 
If you don't read, who will?
Who else will understand 
My emotions and feelings?
Who else will fathom 
The depth and intensity of my love 
The way you can?

Hope
You read my poems 
If you do not 
Who will read my poems?
Why shall I write 
For whom shall I write?

Hope
You reciprocate my emotion 
If not you who else will read me 
Read my pulse and perceptions 
On whose heart my poem will land
From whom I will get the feedback 
Who will be my  poetry 
My perennial source of joy and inspiration 

Hope
To see you on my pages 
In your absence 
They look so dull and lifeless
Like a flower without colour and fragrance 

Grace my pages 
They are dying to meet you once again 
Touch me, touch my lines 
Your touch of class 
Will let them come out of the grave.

Smruti Ranjan Mohanty

©Smruti Ranjan Mohanty

#love_shayari SOMETHING I LOOK AT-273 BY-SMRUTI RANJAN MOHANTY Hope You read my poems If you don't read, who will? Who else will understan

180 View

#भक्ति

🙏🕉️ जय बाबा बटेश्वर नाथ 🕉️🙏 आज बाबा बटेश्वर नाथ का संध्याकाल आरती दिव्य विशेष श्रंगार दर्शन🔱 दिनांक 07/11/2024 दिन (गुरुवार) 🔱🙏🙏🙏🕉️🕉️🕉️

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White जो तुम मुझको मिलते तो मैं इतराती जो मैं तुमको मिलती तो तुम भी इतराते यही वजह है की हम एक दूसरे को नही मिले । ©Writer

#06nov2024 #SAD  White जो तुम मुझको मिलते तो मैं इतराती 
जो मैं तुमको मिलती तो तुम भी इतराते 
यही वजह है की हम एक दूसरे को नही मिले ।

©Writer

🥀🍁🥀 #06nov2024 #07:59am

31 Love

#भक्ति

जय बाबा बटेश्वर नाथ 🙏 आज बाबा बटेश्वर नाथ का संध्याकाल आरती दिव्य विशेष श्रंगार दर्शन दिनांक 07/10/2024 दिन (सोमवार)🌺🌺

144 View

White घर की छत और बचपन, वो यादों का आसमान, जहाँ उड़ते थे सपने, जैसे पतंगों के रंगीन सामान। छत पर बैठकर देखना, सूरज का ढलता रंग, वो छोटी-छोटी बातें, जो दिल को करतीं तंग। बारिश की बूँदों में, छत पर नाचते पांव, माँ की पुकारें भी तब, सुनाई नहीं देतीं, मानो खो जाएँ। रात में तारे गिनना, और चाँद से बातें करना, उस छत पर बैठकर, दुनिया को भूल जाना। छत पर खेलते खेल, वो हँसी और शोर, बचपन की वो छत ही थी, जो करती थी दिल को चोर। आज भी जब छत पर जाऊँ, वही अहसास जगता है, बचपन का वो मासूमपन, फिर से दिल में बसता है। ©"सीमा"अमन सिंह

#banarasi_Chhora  White घर की छत और बचपन, वो यादों का आसमान,
जहाँ उड़ते थे सपने, जैसे पतंगों के रंगीन सामान।

छत पर बैठकर देखना, सूरज का ढलता रंग,
वो छोटी-छोटी बातें, जो दिल को करतीं तंग।

बारिश की बूँदों में, छत पर नाचते पांव,
माँ की पुकारें भी तब, सुनाई नहीं देतीं, मानो खो जाएँ।

रात में तारे गिनना, और चाँद से बातें करना,
उस छत पर बैठकर, दुनिया को भूल जाना।

छत पर खेलते खेल, वो हँसी और शोर,
बचपन की वो छत ही थी, जो करती थी दिल को चोर।

आज भी जब छत पर जाऊँ, वही अहसास जगता है,
बचपन का वो मासूमपन, फिर से दिल में बसता है।

©"सीमा"अमन सिंह

#banarasi_Chhora Date:- 07/10/2024

25 Love

#भक्ति

जय बाबा बटेश्वर नाथ 🙏 आज बाबा बटेश्वर नाथ का संध्याकाल आरती दिव्य विशेष श्रंगार दर्शन दिनांक 07/9/2024 🌺🌺

162 View

#love_shayari  White SOMETHING I LOOK AT-273
BY-SMRUTI RANJAN MOHANTY

Hope
You read my poems 
If you don't read, who will?
Who else will understand 
My emotions and feelings?
Who else will fathom 
The depth and intensity of my love 
The way you can?

Hope
You read my poems 
If you do not 
Who will read my poems?
Why shall I write 
For whom shall I write?

Hope
You reciprocate my emotion 
If not you who else will read me 
Read my pulse and perceptions 
On whose heart my poem will land
From whom I will get the feedback 
Who will be my  poetry 
My perennial source of joy and inspiration 

Hope
To see you on my pages 
In your absence 
They look so dull and lifeless
Like a flower without colour and fragrance 

Grace my pages 
They are dying to meet you once again 
Touch me, touch my lines 
Your touch of class 
Will let them come out of the grave.

Smruti Ranjan Mohanty

©Smruti Ranjan Mohanty

#love_shayari SOMETHING I LOOK AT-273 BY-SMRUTI RANJAN MOHANTY Hope You read my poems If you don't read, who will? Who else will understan

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