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White गये गुजर दिन जवॉ हुस्न ए कफस मे। मिली मुक्ति बुढापे के दिवस मे।। परचम आजादी का कहॉ लगाए हम। यों ही गुजरी जिन्दगी,व्यर्थ के बहस मे।। सुख दुख का उत्सव होते रहे संग उनके। अब वो नही तो कैसे हो उत्सव नये बरस मे।। हर पल मे यादें रहती दिल के पटल पर। क्या करे कोई उहापोह के नर्वस मे।। ऐसे ही गुजरते रहते हर नया साल हर साल मनाते उत्सव जीवन जोश मे। स्वरचित। ©रघुराम

#शायरी #love_qoutes  White गये गुजर दिन जवॉ हुस्न ए कफस मे।
मिली मुक्ति बुढापे के दिवस मे।।
परचम आजादी का कहॉ लगाए हम।
यों ही गुजरी जिन्दगी,व्यर्थ के बहस मे।।
सुख दुख का उत्सव होते रहे संग उनके।
अब वो नही तो कैसे हो उत्सव नये बरस मे।।
हर पल मे यादें रहती दिल के पटल पर।
क्या करे कोई उहापोह के नर्वस मे।।
ऐसे ही गुजरते रहते हर नया साल
हर साल मनाते उत्सव जीवन जोश मे।

स्वरचित।

©रघुराम

#love_qoutes जीवन उत्सव

11 Love

#Aai

*📚 आदिमाया 📚* *🚩 नवरात्र उत्सव 🚩* 🌳 VIJUDADA 🌳 #Aai

99 View

#भक्ति

गणपति उत्सव

369 View

#वीडियो

रंग गुलाल के साथ मनाया गया गणेश जी का उत्सव

108 View

सावन डमरू घनाक्षरी (अमात्रिक छन्द) सरसत उपवन , हरषत जन जन , बरसत जब घन , गरज गरज कर । लख कर जलधर , हरषत हलधर , हरषत जलचर , नभचर थलचर । परत चरन जब , बहनन तब तब , बरसत नवरस , मनहर घर घर। सकल जगत जय , जय जय उचरत ,जपत कहत सब , बम बम हर हर। ©अखिलेश त्रिपाठी 'केतन'

#रक्षाबंधन #भक्ति #शिवजी #सावन  सावन
डमरू घनाक्षरी (अमात्रिक छन्द)

सरसत उपवन , हरषत जन जन , बरसत जब घन , गरज गरज कर ।
लख कर जलधर  , हरषत हलधर , हरषत जलचर , नभचर थलचर ।
परत चरन जब , बहनन तब तब , बरसत नवरस , मनहर घर घर।
सकल जगत जय , जय जय उचरत ,जपत कहत सब , बम बम हर हर।

©अखिलेश त्रिपाठी 'केतन'
 कंहा गया
वो सावन। 
पेड़ की टहनी पर डाल कर झूला
अकेले ही झूला, झूला हमने
न डर, न खोफ़ था, बेफिक्री थी। 
आज डर है, 
मेरी पैदाईश, मेरे पालन का, 
क्या झूलूं, कंहा झूलू
अब, कौन से सावन मे, 
अब, हर नज़र ललचाई, 
हर मन, हवस समाई, 
मुझे सिर्फ 'सामान' जानता है
हवस मिटाने का मकान मानता है

©arvind bhanwra ambala. India

कंहा गया वो सावन

144 View

White गये गुजर दिन जवॉ हुस्न ए कफस मे। मिली मुक्ति बुढापे के दिवस मे।। परचम आजादी का कहॉ लगाए हम। यों ही गुजरी जिन्दगी,व्यर्थ के बहस मे।। सुख दुख का उत्सव होते रहे संग उनके। अब वो नही तो कैसे हो उत्सव नये बरस मे।। हर पल मे यादें रहती दिल के पटल पर। क्या करे कोई उहापोह के नर्वस मे।। ऐसे ही गुजरते रहते हर नया साल हर साल मनाते उत्सव जीवन जोश मे। स्वरचित। ©रघुराम

#शायरी #love_qoutes  White गये गुजर दिन जवॉ हुस्न ए कफस मे।
मिली मुक्ति बुढापे के दिवस मे।।
परचम आजादी का कहॉ लगाए हम।
यों ही गुजरी जिन्दगी,व्यर्थ के बहस मे।।
सुख दुख का उत्सव होते रहे संग उनके।
अब वो नही तो कैसे हो उत्सव नये बरस मे।।
हर पल मे यादें रहती दिल के पटल पर।
क्या करे कोई उहापोह के नर्वस मे।।
ऐसे ही गुजरते रहते हर नया साल
हर साल मनाते उत्सव जीवन जोश मे।

स्वरचित।

©रघुराम

#love_qoutes जीवन उत्सव

11 Love

#Aai

*📚 आदिमाया 📚* *🚩 नवरात्र उत्सव 🚩* 🌳 VIJUDADA 🌳 #Aai

99 View

#भक्ति

गणपति उत्सव

369 View

#वीडियो

रंग गुलाल के साथ मनाया गया गणेश जी का उत्सव

108 View

सावन डमरू घनाक्षरी (अमात्रिक छन्द) सरसत उपवन , हरषत जन जन , बरसत जब घन , गरज गरज कर । लख कर जलधर , हरषत हलधर , हरषत जलचर , नभचर थलचर । परत चरन जब , बहनन तब तब , बरसत नवरस , मनहर घर घर। सकल जगत जय , जय जय उचरत ,जपत कहत सब , बम बम हर हर। ©अखिलेश त्रिपाठी 'केतन'

#रक्षाबंधन #भक्ति #शिवजी #सावन  सावन
डमरू घनाक्षरी (अमात्रिक छन्द)

सरसत उपवन , हरषत जन जन , बरसत जब घन , गरज गरज कर ।
लख कर जलधर  , हरषत हलधर , हरषत जलचर , नभचर थलचर ।
परत चरन जब , बहनन तब तब , बरसत नवरस , मनहर घर घर।
सकल जगत जय , जय जय उचरत ,जपत कहत सब , बम बम हर हर।

©अखिलेश त्रिपाठी 'केतन'
 कंहा गया
वो सावन। 
पेड़ की टहनी पर डाल कर झूला
अकेले ही झूला, झूला हमने
न डर, न खोफ़ था, बेफिक्री थी। 
आज डर है, 
मेरी पैदाईश, मेरे पालन का, 
क्या झूलूं, कंहा झूलू
अब, कौन से सावन मे, 
अब, हर नज़र ललचाई, 
हर मन, हवस समाई, 
मुझे सिर्फ 'सामान' जानता है
हवस मिटाने का मकान मानता है

©arvind bhanwra ambala. India

कंहा गया वो सावन

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