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New सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का बचपन Status, Photo, Video

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बचपन की यादें किस्से बीते बचपन के आज अर्से बाद पता नहीं क्यों याद आ गए,, वो खेल-खिलौने कागज़ के,मिट्टी के बर्तन, बेवजह क्यूँ याद आ गए,,, वो बेपरवाह बदमाशियां,अठखेलियां, शरारतें सारी,, ‌टूटी फूटी,रंगबिरंगी चूड़ियां प्यारी,, ‌माटी के घरौंदे में घर-घर का खेला,, ‌वो तीज़ त्योहार, गणगौर का मैला,,, ‌वो कुल्फ़ी की चुस्कियों से जुबां की लाली,, ‌मदारी के डमरू पे बजती वो ताली,, ‌अनोखे वो दिन वो बातें पुरानी पता नहीं ‌ क्यों याद आ गए,,, ‌किस्से बीते बचपन के आज अर्से बाद पता नहीं क्यों याद आ गए,,,,,,, ‌सावन के झूलों में घण्टों लटकना,, ‌वो बारिश की बूंदों में छम-छम रपटना,,, ‌फ़टे कपड़ों में भी खुशियां समेटे, ‌वो रेहड़ी से केलों के गुच्छे झपटना,, ‌था जिंदादिल अब से वो बचपन का मौसम, ‌अब तो हर सांस पे लगता है राशन,, ‌चोट खाके भी हँसने के किस्से पता नही क्यों याद आ गए,,, ‌किस्से बीते बचपन के आज अर्से बाद पता नहीं क्यों याद आ गए,,,,,,,,,,, राकेश सोनगरा, सरदारशहर ©Rakesh Songara

#कोट्स #बचपन  बचपन की यादें  किस्से बीते बचपन के आज अर्से बाद पता नहीं क्यों याद आ गए,,
वो खेल-खिलौने कागज़ के,मिट्टी के बर्तन,
बेवजह क्यूँ याद आ गए,,,
वो बेपरवाह बदमाशियां,अठखेलियां, शरारतें सारी,,
‌टूटी फूटी,रंगबिरंगी चूड़ियां प्यारी,,
‌माटी के घरौंदे में घर-घर का खेला,,
‌वो तीज़ त्योहार, गणगौर का मैला,,,
‌वो कुल्फ़ी की चुस्कियों से जुबां की लाली,,
‌मदारी के डमरू पे बजती वो ताली,,
‌अनोखे वो दिन वो बातें पुरानी पता नहीं
‌ क्यों याद आ गए,,,
‌किस्से बीते बचपन के आज अर्से बाद पता नहीं क्यों याद आ गए,,,,,,,
‌सावन के झूलों में घण्टों लटकना,,
‌वो बारिश की बूंदों में छम-छम रपटना,,,
‌फ़टे कपड़ों में भी खुशियां समेटे,
‌वो रेहड़ी से केलों के गुच्छे झपटना,,
‌था जिंदादिल अब से वो बचपन का मौसम,
‌अब तो  हर सांस पे लगता है राशन,,
‌चोट खाके भी हँसने के किस्से पता नही क्यों याद आ गए,,,
‌किस्से बीते बचपन के आज अर्से बाद पता नहीं क्यों याद आ गए,,,,,,,,,,,
             राकेश सोनगरा, सरदारशहर

©Rakesh Songara

White मेरा बचपन मुझसे दो बार छीना गया ,पहली दफा तब जब मेरा दाखिला माँ को गोद से हटाकर स्कूल में हुआ और दूसरी दफा तब जब तुमने मेरा साथ छोड़ा..। ©Sunil Raniawala

#बचपन #SAD  White मेरा बचपन मुझसे दो बार छीना गया ,पहली दफा तब जब मेरा दाखिला माँ को गोद से हटाकर स्कूल में हुआ
और दूसरी दफा तब जब तुमने मेरा साथ छोड़ा..।

©Sunil Raniawala
#विचार  बचपन कितना हसीन होता है जिसमें तन,मन दिमाग सांसारिक बंधनों से मुक्त होता है बस! स्वतंत्र रूप से अपने क्रिया कलापों को आनंद से करना।

©Satish Kumar Meena

बचपन

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White नींद तो बचपन में आती थी अब तो थककर सो जाते हैं ©Dinesh Sharma Jind Haryana

#कोट्स  White नींद तो बचपन में आती थी अब तो थककर सो जाते हैं

©Dinesh Sharma Jind Haryana

# बचपन

10 Love

#विचार

बचपन

144 View

White वो बचपन की बातें जवानी के साथ पुरानी हो गई। जब आई जवानी तो बचपन की बातें फिर से ज़ुबानी हो गई। ©jayprakash kumar nirala

#बचपन_की_यादें #कविता #बचपन  White वो बचपन की बातें जवानी के साथ पुरानी हो गई।
जब आई जवानी तो बचपन की बातें फिर से ज़ुबानी हो गई।

©jayprakash kumar nirala

बचपन की यादें किस्से बीते बचपन के आज अर्से बाद पता नहीं क्यों याद आ गए,, वो खेल-खिलौने कागज़ के,मिट्टी के बर्तन, बेवजह क्यूँ याद आ गए,,, वो बेपरवाह बदमाशियां,अठखेलियां, शरारतें सारी,, ‌टूटी फूटी,रंगबिरंगी चूड़ियां प्यारी,, ‌माटी के घरौंदे में घर-घर का खेला,, ‌वो तीज़ त्योहार, गणगौर का मैला,,, ‌वो कुल्फ़ी की चुस्कियों से जुबां की लाली,, ‌मदारी के डमरू पे बजती वो ताली,, ‌अनोखे वो दिन वो बातें पुरानी पता नहीं ‌ क्यों याद आ गए,,, ‌किस्से बीते बचपन के आज अर्से बाद पता नहीं क्यों याद आ गए,,,,,,, ‌सावन के झूलों में घण्टों लटकना,, ‌वो बारिश की बूंदों में छम-छम रपटना,,, ‌फ़टे कपड़ों में भी खुशियां समेटे, ‌वो रेहड़ी से केलों के गुच्छे झपटना,, ‌था जिंदादिल अब से वो बचपन का मौसम, ‌अब तो हर सांस पे लगता है राशन,, ‌चोट खाके भी हँसने के किस्से पता नही क्यों याद आ गए,,, ‌किस्से बीते बचपन के आज अर्से बाद पता नहीं क्यों याद आ गए,,,,,,,,,,, राकेश सोनगरा, सरदारशहर ©Rakesh Songara

#कोट्स #बचपन  बचपन की यादें  किस्से बीते बचपन के आज अर्से बाद पता नहीं क्यों याद आ गए,,
वो खेल-खिलौने कागज़ के,मिट्टी के बर्तन,
बेवजह क्यूँ याद आ गए,,,
वो बेपरवाह बदमाशियां,अठखेलियां, शरारतें सारी,,
‌टूटी फूटी,रंगबिरंगी चूड़ियां प्यारी,,
‌माटी के घरौंदे में घर-घर का खेला,,
‌वो तीज़ त्योहार, गणगौर का मैला,,,
‌वो कुल्फ़ी की चुस्कियों से जुबां की लाली,,
‌मदारी के डमरू पे बजती वो ताली,,
‌अनोखे वो दिन वो बातें पुरानी पता नहीं
‌ क्यों याद आ गए,,,
‌किस्से बीते बचपन के आज अर्से बाद पता नहीं क्यों याद आ गए,,,,,,,
‌सावन के झूलों में घण्टों लटकना,,
‌वो बारिश की बूंदों में छम-छम रपटना,,,
‌फ़टे कपड़ों में भी खुशियां समेटे,
‌वो रेहड़ी से केलों के गुच्छे झपटना,,
‌था जिंदादिल अब से वो बचपन का मौसम,
‌अब तो  हर सांस पे लगता है राशन,,
‌चोट खाके भी हँसने के किस्से पता नही क्यों याद आ गए,,,
‌किस्से बीते बचपन के आज अर्से बाद पता नहीं क्यों याद आ गए,,,,,,,,,,,
             राकेश सोनगरा, सरदारशहर

©Rakesh Songara

White मेरा बचपन मुझसे दो बार छीना गया ,पहली दफा तब जब मेरा दाखिला माँ को गोद से हटाकर स्कूल में हुआ और दूसरी दफा तब जब तुमने मेरा साथ छोड़ा..। ©Sunil Raniawala

#बचपन #SAD  White मेरा बचपन मुझसे दो बार छीना गया ,पहली दफा तब जब मेरा दाखिला माँ को गोद से हटाकर स्कूल में हुआ
और दूसरी दफा तब जब तुमने मेरा साथ छोड़ा..।

©Sunil Raniawala
#विचार  बचपन कितना हसीन होता है जिसमें तन,मन दिमाग सांसारिक बंधनों से मुक्त होता है बस! स्वतंत्र रूप से अपने क्रिया कलापों को आनंद से करना।

©Satish Kumar Meena

बचपन

117 View

White नींद तो बचपन में आती थी अब तो थककर सो जाते हैं ©Dinesh Sharma Jind Haryana

#कोट्स  White नींद तो बचपन में आती थी अब तो थककर सो जाते हैं

©Dinesh Sharma Jind Haryana

# बचपन

10 Love

#विचार

बचपन

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White वो बचपन की बातें जवानी के साथ पुरानी हो गई। जब आई जवानी तो बचपन की बातें फिर से ज़ुबानी हो गई। ©jayprakash kumar nirala

#बचपन_की_यादें #कविता #बचपन  White वो बचपन की बातें जवानी के साथ पुरानी हो गई।
जब आई जवानी तो बचपन की बातें फिर से ज़ुबानी हो गई।

©jayprakash kumar nirala
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