White (शराब)
खुल चुकी सभी डोरियों को कसना सिखाती है ,,बोतल ,,यूंही बेवजह बातो बातो में रसना सिखाती है ,,बोतल ।।
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खामोशी से देखा था कभी ,,दिन में अनेकों रंग बदलते उसको ,,,अब तन्हाई में मुझे खूब हसाती है बोतल।।
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बाद उसके खून ए दिन बिखर आया है पन्नो पर ,, खुद को करके खाली,, महफ़िल ए रग ए जां ,,में बसना सिखाती है बोतल ।।
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रुसवाइयों का सूखा उभर आए न चेहरे पर ,,भीगी पलकों को बेमौसम बरसना सिखाती है बोतल ।।
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हर एक अल्फाज को जहर ,जहर कहते है सभी ,,तंजिया खुद पे हसकर ,बेलिहाजन डसना सिखाती है बोतल ।।
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बेसबर कहते है मयखाने के हकीम मुझको ,,आज यहां तो कल वहां,,यूंही मयखाने दर मयखाने मुझसे हिजरत करवाती है बोतल ।।
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मैं लिखता नही था कभी ,,पर मेरे फरेब का शुक्रिया ,,हर शाम दिखाकर मुझे मेरा अक्स खुद में ,,ना जाने क्या क्या मुझसे लिखवाती है बोतल ।।
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इसकी संगत में मैं इस दर्जा मगन रहता हूं,,गम मिटाने के सभी तर्ज सिखाती है बोतल ।।
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रूखे सूखे ख्याल बर्बाद करते है जेहन को मेरे ,,,दिल को यादों में धड़कते रहना सिखाती है बोतल ।
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दिलफेंक आशिको की बर्बाद महफिलों में ,,मेरे सुलगते कलेजे को ठंडक पहुंचाती है बोतल ।।
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हर सुबह मेरी आंख मेरे बिस्तर पर ही खुलती है ,,जाने कैसे मयखाने से घर तक मुझे लाती है बोतल ,,लोग कहते है के छोड़ दो राणा ,,अब मैं कैसे कहूं मेरा कितना साथ निभाती है बोतल ।।
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©#शून्य राणा
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