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New पुतली का अंत Status, Photo, Video

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White क्योंकि. मै ही इस जगत का नियंता हू जगत का आदि और जगत का अंत भी हू इसलिए हर प्रान्नी के अधिकार और कर्तव्य मै ही नियंत्रित करता हू मै ही तय करता हू ©Parasram Arora

 White क्योंकि. मै ही इस 
जगत का नियंता हू 
जगत का आदि और 
जगत का अंत भी हू

इसलिए हर प्रान्नी के  
अधिकार और कर्तव्य 
 मै ही नियंत्रित करता 
हू  मै ही तय करता हू

©Parasram Arora

मै ही आदि मै ही अंत

14 Love

#शायरी #shayri #share #Like

और एफआईआर मेरा समझ जाना ही कहानी का अंत था....💔❤️‍🩹 #shayri #Nojoto #Like #share हिंदी शायरी शायरी शायरी दर्द शेरो शायरी

135 View

इंतजार हैं मुझे ज़िंदगी के आखिरी पन्ने का , सुना हैं अंत मे सब ठीक हो जाता हैं..! ©Mahesh Chekhaliya

#GoldenHour #SAD  इंतजार हैं मुझे ज़िंदगी के आखिरी पन्ने का
, सुना हैं अंत मे सब ठीक हो जाता हैं..!

©Mahesh Chekhaliya

#GoldenHour इंतजार हैं मुझे ज़िंदगी के आखिरी पन्ने का, सुना हैं अंत मे सब ठीक हो जाता हैं..!

13 Love

White ग्रीष्म में झुलसी नायिका ढूंढे वर्षा का संग वर्षा में मदहोश, फिर, शरद शिशिर के संग कभी रुचे हेमन्त किन्तु मिलते नहीं हैं कंत कंत बसंत मिलैं तभी हो अहंकार का अंत ©Shiv Narayan Saxena

#GoodMorning  White ग्रीष्म में झुलसी नायिका ढूंढे वर्षा का संग
वर्षा में मदहोश, फिर, शरद शिशिर के संग
कभी रुचे हेमन्त किन्तु मिलते नहीं हैं कंत
कंत बसंत मिलैं तभी हो अहंकार का अंत

©Shiv Narayan Saxena

#GoodMorning अहंकार का अंत.....

14 Love

#शायरी #अंत #पाप #का

White शीर्षक: सफर का अंत जीवन सहज नहीं रहा अब मेरा सांसों पर छा रहा काल का अंधेरा अनमना सा रहता अब तन मेरा दिल की गलियों में सन्नाटा गहरा चाह नहीं कुछ, मन भी अब बहरा कुछ नहीं किया हासिल, सब बिखरा जजर्र होती काया पर अब मृत्यु का ही पहेरा अस्त होता सूर्य भूल जाता दिया हुआ सवेरा बोझिल होती आंखों में दर्द का नहीं रहता कतरा सत्य की धुरी पर मूल्यांकित होता प्राणी का चेहरा समय विदा का जब आता, मौन मुखर होता गहरा "कमल" चिंतन के हर दरवाजे पर प्रभु नाम ही उभरा ✍️ कमल भंसाली ©Kamal bhansali

 White शीर्षक: सफर का अंत

जीवन सहज नहीं रहा अब मेरा
सांसों पर छा रहा काल का अंधेरा

अनमना सा रहता अब तन मेरा
दिल की गलियों में सन्नाटा गहरा

चाह नहीं कुछ, मन भी अब बहरा
कुछ नहीं किया हासिल, सब बिखरा

जजर्र होती काया पर अब मृत्यु का ही पहेरा 
अस्त होता सूर्य भूल जाता दिया हुआ सवेरा

बोझिल होती आंखों में दर्द का नहीं रहता कतरा
सत्य की धुरी पर मूल्यांकित होता प्राणी का चेहरा

समय विदा का जब आता, मौन मुखर होता गहरा
"कमल" चिंतन के हर दरवाजे पर प्रभु नाम ही उभरा
✍️ कमल भंसाली

©Kamal bhansali

# सफर का अंत # कमल

13 Love

White क्योंकि. मै ही इस जगत का नियंता हू जगत का आदि और जगत का अंत भी हू इसलिए हर प्रान्नी के अधिकार और कर्तव्य मै ही नियंत्रित करता हू मै ही तय करता हू ©Parasram Arora

 White क्योंकि. मै ही इस 
जगत का नियंता हू 
जगत का आदि और 
जगत का अंत भी हू

इसलिए हर प्रान्नी के  
अधिकार और कर्तव्य 
 मै ही नियंत्रित करता 
हू  मै ही तय करता हू

©Parasram Arora

मै ही आदि मै ही अंत

14 Love

#शायरी #shayri #share #Like

और एफआईआर मेरा समझ जाना ही कहानी का अंत था....💔❤️‍🩹 #shayri #Nojoto #Like #share हिंदी शायरी शायरी शायरी दर्द शेरो शायरी

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इंतजार हैं मुझे ज़िंदगी के आखिरी पन्ने का , सुना हैं अंत मे सब ठीक हो जाता हैं..! ©Mahesh Chekhaliya

#GoldenHour #SAD  इंतजार हैं मुझे ज़िंदगी के आखिरी पन्ने का
, सुना हैं अंत मे सब ठीक हो जाता हैं..!

©Mahesh Chekhaliya

#GoldenHour इंतजार हैं मुझे ज़िंदगी के आखिरी पन्ने का, सुना हैं अंत मे सब ठीक हो जाता हैं..!

13 Love

White ग्रीष्म में झुलसी नायिका ढूंढे वर्षा का संग वर्षा में मदहोश, फिर, शरद शिशिर के संग कभी रुचे हेमन्त किन्तु मिलते नहीं हैं कंत कंत बसंत मिलैं तभी हो अहंकार का अंत ©Shiv Narayan Saxena

#GoodMorning  White ग्रीष्म में झुलसी नायिका ढूंढे वर्षा का संग
वर्षा में मदहोश, फिर, शरद शिशिर के संग
कभी रुचे हेमन्त किन्तु मिलते नहीं हैं कंत
कंत बसंत मिलैं तभी हो अहंकार का अंत

©Shiv Narayan Saxena

#GoodMorning अहंकार का अंत.....

14 Love

#शायरी #अंत #पाप #का

White शीर्षक: सफर का अंत जीवन सहज नहीं रहा अब मेरा सांसों पर छा रहा काल का अंधेरा अनमना सा रहता अब तन मेरा दिल की गलियों में सन्नाटा गहरा चाह नहीं कुछ, मन भी अब बहरा कुछ नहीं किया हासिल, सब बिखरा जजर्र होती काया पर अब मृत्यु का ही पहेरा अस्त होता सूर्य भूल जाता दिया हुआ सवेरा बोझिल होती आंखों में दर्द का नहीं रहता कतरा सत्य की धुरी पर मूल्यांकित होता प्राणी का चेहरा समय विदा का जब आता, मौन मुखर होता गहरा "कमल" चिंतन के हर दरवाजे पर प्रभु नाम ही उभरा ✍️ कमल भंसाली ©Kamal bhansali

 White शीर्षक: सफर का अंत

जीवन सहज नहीं रहा अब मेरा
सांसों पर छा रहा काल का अंधेरा

अनमना सा रहता अब तन मेरा
दिल की गलियों में सन्नाटा गहरा

चाह नहीं कुछ, मन भी अब बहरा
कुछ नहीं किया हासिल, सब बिखरा

जजर्र होती काया पर अब मृत्यु का ही पहेरा 
अस्त होता सूर्य भूल जाता दिया हुआ सवेरा

बोझिल होती आंखों में दर्द का नहीं रहता कतरा
सत्य की धुरी पर मूल्यांकित होता प्राणी का चेहरा

समय विदा का जब आता, मौन मुखर होता गहरा
"कमल" चिंतन के हर दरवाजे पर प्रभु नाम ही उभरा
✍️ कमल भंसाली

©Kamal bhansali

# सफर का अंत # कमल

13 Love

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