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New स्वतःला फालतू समजण्याची गोष्ट Status, Photo, Video

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#विचार #love_shayari  White आज़ मैंने एक बच्चे को बाहर जाते हुए और पीछे मुड़-मुड़ कर देखते हुए देखा, तो मुझे अपने बचपन की बात याद आई। मैंने सोचा, इसे साझा कर दूं, क्योंकि हो सकता है कि आपने भी ऐसा किया हो। जब हम बचपन में अंधेरे से डरते थे, और हमें रात को किसी काम से बाहर भेजा जाता था, या फिर किसी पड़ोसी के घर पर खेलते-खेलते देर हो जाती थी और अंधेरा छा जाने के कारण डर लगने लगता था, लेकिन घर भी तो जाना था।

तो हम अपने ताऊजी, मां, काकी, या दादी से कहते थे कि "घर छोड़ कर आ जाओ।" और वे कहते, "हां, चलो छोड़ आते हैं।" जब घर का मोड़ आता तो वे कहते, "अब चल जा," लेकिन डर तो लग रहा होता था। तो हम कहते, "आप यहीं रुकना," और वे बोलते, "मैं यहीं हूँ, तेरा नाम बोलते रहूंगा।"

जब तक वे हमारा नाम लेते रहते थे और जब तक हम घर नहीं पहुंच जाते थे, हमें यह विश्वास होता था कि वे हमारे साथ ही हैं, भले ही वे घर लौट चुके होते। लेकिन जब तक हमारा दरवाजा नहीं खुलता था, तब तक डर लगता था कि कोई हमें पीछे से पकड़ न ले। और जैसे ही दरवाज़ा खुलता, हम फटाफट घर के अंदर भाग जाते थे।

फिर, जब घर के अंधेरे में चबूतरे से पानी लाने के लिए कहा जाता था, तो हम बच्चों में डर के कारण यह कहते, "नहीं, पहले तू जा, पहले तू जा।" एक-दूसरे को "डरपोक" भी कहते थे, लेकिन सभी डरते थे। पर जाना तो उसी को होता था, जिसे मम्मी-पापा कहते थे। वह डर के मारे कहता, "आप चलो मेरे साथ," और वे कहते, "नहीं, तुम जाओ, तुम तो मेरे बहादुर बच्चे हो। मैं तुम्हारा नाम पुकारूंगा।" और फिर जब वह पानी लेकर आता, तो वे कहते, "देखो, डर नहीं लगा न?"

लेकिन सच कहूं तो डर जरूर लगता था। पर यही ट्रिक हम दूसरे पर आजमाते थे। आज देखो, हम और हमारे बच्चे क्या डरेंगे, वे तो डर को ही डरा देंगे! 😂 बातें बहुत ज्यादा हो गई हैं, कुछ को फालतू भी लग सकती हैं, लेकिन हमारे बचपन में हर घर में हर बच्चे के साथ यही होता था। अब आपकी प्रतिक्रिया देने की बारी है। क्या आपके साथ भी यही हुआ 

ChatGPT can make

©Chandrawati Murlidhar Gaur Sharma

कैप्शन में पढ़े 🤳 आज़ मैंने एक बच्चे को बाहर जाते हुए और पीछे मुड़-मुड़ कर देखते हुए देखा, तो मुझे अपने बचपन की बात याद आई। मैंने सोचा, इसे

171 View

#मोटिवेशनल #happy_independence_day  White {Bolo Ji Radhey Radhey}
लोगों को जरूरत से ज्यादा इज्जत 
व सम्मान देने से, आपको फालतू 
समझने लगते हैं, यह उन लोगों की
छोटी मानसिकता को दर्षाता हैं।

©N S Yadav GoldMine

#happy_independence_day {Bolo Ji Radhey Radhey} लोगों को जरूरत से ज्यादा इज्जत व सम्मान देने से, आपको फालतू समझने लगते हैं, यह उन लोगों की

144 View

#मोटिवेशनल #love_shayari  White {Bolo Ji Radhey Radhey}
जो बधजीव भगवान श्री कृष्ण जी 
का मन से चिंतन नही करता, और 
यदि किस्मत से अवसर मिलता 
भी है, तो वह कीमती समय 
फालतू बातों में गवा देता है।।

आप सब को सभी पोस्ट, विचार,
 समाज के हाल-चाल, भगवान 
व देश के बारे में बराबर मिलती 
रहे, तो आप N S Yadav aur 
N S Yadav GoldMine ko
 facebook पर लाईक करे, 
आप सबका धन्यवाद।।

©N S Yadav GoldMine

#love_shayari {Bolo Ji Radhey Radhey} जो बधजीव भगवान श्री कृष्ण जी का मन से चिंतन नही करता, और यदि किस्मत से अवसर मिलता भी है, तो वह कीमत

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#विचार #love_shayari  White आज़ मैंने एक बच्चे को बाहर जाते हुए और पीछे मुड़-मुड़ कर देखते हुए देखा, तो मुझे अपने बचपन की बात याद आई। मैंने सोचा, इसे साझा कर दूं, क्योंकि हो सकता है कि आपने भी ऐसा किया हो। जब हम बचपन में अंधेरे से डरते थे, और हमें रात को किसी काम से बाहर भेजा जाता था, या फिर किसी पड़ोसी के घर पर खेलते-खेलते देर हो जाती थी और अंधेरा छा जाने के कारण डर लगने लगता था, लेकिन घर भी तो जाना था।

तो हम अपने ताऊजी, मां, काकी, या दादी से कहते थे कि "घर छोड़ कर आ जाओ।" और वे कहते, "हां, चलो छोड़ आते हैं।" जब घर का मोड़ आता तो वे कहते, "अब चल जा," लेकिन डर तो लग रहा होता था। तो हम कहते, "आप यहीं रुकना," और वे बोलते, "मैं यहीं हूँ, तेरा नाम बोलते रहूंगा।"

जब तक वे हमारा नाम लेते रहते थे और जब तक हम घर नहीं पहुंच जाते थे, हमें यह विश्वास होता था कि वे हमारे साथ ही हैं, भले ही वे घर लौट चुके होते। लेकिन जब तक हमारा दरवाजा नहीं खुलता था, तब तक डर लगता था कि कोई हमें पीछे से पकड़ न ले। और जैसे ही दरवाज़ा खुलता, हम फटाफट घर के अंदर भाग जाते थे।

फिर, जब घर के अंधेरे में चबूतरे से पानी लाने के लिए कहा जाता था, तो हम बच्चों में डर के कारण यह कहते, "नहीं, पहले तू जा, पहले तू जा।" एक-दूसरे को "डरपोक" भी कहते थे, लेकिन सभी डरते थे। पर जाना तो उसी को होता था, जिसे मम्मी-पापा कहते थे। वह डर के मारे कहता, "आप चलो मेरे साथ," और वे कहते, "नहीं, तुम जाओ, तुम तो मेरे बहादुर बच्चे हो। मैं तुम्हारा नाम पुकारूंगा।" और फिर जब वह पानी लेकर आता, तो वे कहते, "देखो, डर नहीं लगा न?"

लेकिन सच कहूं तो डर जरूर लगता था। पर यही ट्रिक हम दूसरे पर आजमाते थे। आज देखो, हम और हमारे बच्चे क्या डरेंगे, वे तो डर को ही डरा देंगे! 😂 बातें बहुत ज्यादा हो गई हैं, कुछ को फालतू भी लग सकती हैं, लेकिन हमारे बचपन में हर घर में हर बच्चे के साथ यही होता था। अब आपकी प्रतिक्रिया देने की बारी है। क्या आपके साथ भी यही हुआ 

ChatGPT can make

©Chandrawati Murlidhar Gaur Sharma

कैप्शन में पढ़े 🤳 आज़ मैंने एक बच्चे को बाहर जाते हुए और पीछे मुड़-मुड़ कर देखते हुए देखा, तो मुझे अपने बचपन की बात याद आई। मैंने सोचा, इसे

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#मोटिवेशनल #happy_independence_day  White {Bolo Ji Radhey Radhey}
लोगों को जरूरत से ज्यादा इज्जत 
व सम्मान देने से, आपको फालतू 
समझने लगते हैं, यह उन लोगों की
छोटी मानसिकता को दर्षाता हैं।

©N S Yadav GoldMine

#happy_independence_day {Bolo Ji Radhey Radhey} लोगों को जरूरत से ज्यादा इज्जत व सम्मान देने से, आपको फालतू समझने लगते हैं, यह उन लोगों की

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#मोटिवेशनल #love_shayari  White {Bolo Ji Radhey Radhey}
जो बधजीव भगवान श्री कृष्ण जी 
का मन से चिंतन नही करता, और 
यदि किस्मत से अवसर मिलता 
भी है, तो वह कीमती समय 
फालतू बातों में गवा देता है।।

आप सब को सभी पोस्ट, विचार,
 समाज के हाल-चाल, भगवान 
व देश के बारे में बराबर मिलती 
रहे, तो आप N S Yadav aur 
N S Yadav GoldMine ko
 facebook पर लाईक करे, 
आप सबका धन्यवाद।।

©N S Yadav GoldMine

#love_shayari {Bolo Ji Radhey Radhey} जो बधजीव भगवान श्री कृष्ण जी का मन से चिंतन नही करता, और यदि किस्मत से अवसर मिलता भी है, तो वह कीमत

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