इजाजत हो तो फिर से तेरी सूनी मांग भर दूँ क्या
जो बाकी है मेरी जिंदगी सारि तेरे नाम कर दूं क्या
तेरे पतझड़ से जीवन को सावन की मल्हार दे दूं क्या
तेरी सुनी कलाइयों को चूड़ियों का बाजार दे दूँ क्या
तेरी पाकीज़गी पर उठाते है सवाल कुछ लोग यहां
तू कहे तो इनको को में तेरे दिल का हाल दे दूं क्या
तेरे बेजुबां दर्दो की कहानी भला कौन समझेगा यहां
गर इजाजत हो तो तेरे दर्दो को जरा सी चाल दे दूं क्या
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