आ अब गांव चलते हैं लह लहराते उपजों में झूमतें हैं पुवाल दरख्त पर बैठतें हैं मकसद ए रोटी से रूठ भनुगा बन इर्द-गिर्द में चलते हैं । आ अब गांव चलते हैं चमचमाती.
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