मै मजदूर हूं,वजह यही है, मै मशहूर न हुआ,
लगा रहा न
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कभी , मेहनत के अनुसार पैसें नहीं मिलते !! वे मजदूरी करते , और लोग मजबूरी समझते !! r!nkal Bhardwaj......✍️♥️

 कभी , मेहनत के अनुसार पैसें नहीं मिलते !!
वे  मजदूरी करते  , और लोग मजबूरी समझते !!
r!nkal Bhardwaj......✍️♥️

voice of ♥️ " मजदूर दिवस "

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हमारी दास्ताँ किससे छुपी हैं पसीना माथे पे है लहू एड़ियों से बहता नंगा सिर हमारा सूर्य का ताप सहता गरीबी से नहीं डरते हम तो अमीरी से दुखी है हमारी दास्ताँ किससे छुपी हैं रोटियाँ सुखी हुई खायी पेट आधा सा भरा है हम इमारत को बनाते सामान मेरा रोड पे धरा है कौन सुनता हैं ओठों की चुप्पी हैं हमारी दास्ताँ किससे छुपी हैं

#श्रमिक #कविता #मजदूर #Labourday #labour  हमारी दास्ताँ किससे छुपी हैं 

पसीना माथे पे है 
लहू एड़ियों से बहता 
नंगा सिर हमारा 
सूर्य का ताप सहता 
गरीबी से नहीं डरते 
हम तो अमीरी से दुखी है 
हमारी दास्ताँ किससे छुपी हैं 

रोटियाँ सुखी हुई खायी 
पेट आधा सा भरा है 
हम इमारत को बनाते 
सामान मेरा रोड पे धरा है 
कौन सुनता हैं ओठों की चुप्पी हैं 
हमारी दास्ताँ किससे छुपी हैं

मैं मजदूर हु। मैं खुद बेघर भले ही हु पर मुझे ख़ुशी है कि मेरे बनाए घर मे तुम सुरक्षित हो। किसी मौसम की परवाह न कि थी तुम्हारा घर बनाते वक्त चिलमिलाती धूप,कड़कती ठंड,भरी बरसात,सब सहे तुम्हारा घर बनाते वक़्त दो वक्त का खाना भी नही दे पाता था मैं अपने बच्चों को तुम्हारा घर बनाते वक़्त। इंतज़ार करते मेरे आने का सो जाते थे अक्सर देर हो जाती थी घर लौटते वक्त। साहब तुम्हारा घर बनाते वक्त।। mitthu

#Happy  मैं मजदूर हु।
मैं खुद बेघर भले ही हु
पर मुझे ख़ुशी है कि मेरे बनाए घर मे तुम सुरक्षित हो।
किसी मौसम की परवाह न कि थी तुम्हारा घर बनाते वक्त 
चिलमिलाती धूप,कड़कती ठंड,भरी बरसात,सब सहे तुम्हारा घर बनाते वक़्त
दो वक्त का खाना भी नही दे पाता था मैं अपने बच्चों को तुम्हारा घर बनाते वक़्त।
इंतज़ार करते मेरे आने का सो जाते थे अक्सर देर हो जाती थी घर लौटते वक्त।
साहब तुम्हारा घर बनाते वक्त।।
mitthu

#Happy labor day..

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मजदूर है मजबूर नही हम हम ही हर देश की शान हैं कर्म ही पहचान हमारी मेहनत हमारी शान हैं

 मजदूर है मजबूर  
नही हम
हम ही हर देश की शान हैं
कर्म ही पहचान हमारी
मेहनत हमारी शान हैं

मजदूर

13 Love

चाहे जेठ की अंगारे बरसाती चिलचिलाती दोपहरी हो, चाहे सावन की प्रलयकारी घटाये। चाहे खून को बर्फ सी जमा देने वाली माघ, मेरी मांसपेशियां फौलादी है। मेहनत मशक्कत से ना घबराने, शर्माने वाला, मैं एक मजदूर हूं मजबूर मजदूर।

#majburmajdur #nojotonews #nojotoapp  चाहे जेठ की अंगारे बरसाती चिलचिलाती दोपहरी हो,
चाहे सावन की प्रलयकारी घटाये। 
चाहे खून को बर्फ सी जमा देने वाली माघ,
मेरी मांसपेशियां फौलादी है।
मेहनत मशक्कत से ना घबराने, शर्माने वाला,
मैं एक मजदूर हूं मजबूर  मजदूर।

चाहे जेठ की अंगारे बरसाती चिलचिलाती दोपहरी हो, चाहे सावन की प्रलयकारी घटाये। चाहे खून को बर्फ सी जमा देने वाली माघ, मेरी मांसपेशियां फौलादी है। मेहनत मशक्कत से ना घबराने, शर्माने वाला, मैं एक मजदूर हूं मजबूर मजदूर।

#majburmajdur #nojotonews #nojotoapp  चाहे जेठ की अंगारे बरसाती चिलचिलाती दोपहरी हो,
चाहे सावन की प्रलयकारी घटाये। 
चाहे खून को बर्फ सी जमा देने वाली माघ,
मेरी मांसपेशियां फौलादी है।
मेहनत मशक्कत से ना घबराने, शर्माने वाला,
मैं एक मजदूर हूं मजबूर  मजदूर।
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