Lafz-e-dil दुआ है मेरी सदा वो चहरा शादाब ही लगे उनके मौजुद होने से महफिल ग़ुलज़ारी लगे चटक न हो कुछ फिर भी सादगी ही अदा लगे झुकी नज़र मुस्कुराता चहरा उनकी हया.
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