मैं जो यूँ दीवाना हुआ, वो भी यूँ ही दीवानी हुई
मैं जो यूँ पागल हुआ, फिर शुरू इक कहानी हुई
मैं जो यूँ दीवाना हुआ, वो भी यूँ ही दीवानी हुई
कल शाम मिलते ही उसने चेहरा मेरा पढ़ लिया
मैं तो चुप ही रहा देखकर, आँख पानी पानी हुई
मैं जो यूँ दीवाना हुआ, वो भी यूँ ही दीवानी हुई
मिलते ही उसने कल हमें यूँ बाँहों में भर लिया
इत्र सा महक मैं उठा, शर्ट पर जो उसकी निशानी हुई
मैं जो यूँ दीवाना हुआ, वो भी यूँ ही दीवानी हुई
नींद ओझल रही रात में, चित्र मन में था यूँ भरा
ख्वाब़ आँखों में थे कई, सर्द रात फिर यूँ सुहानी हुई
मैं जो यूँ दीवाना हुआ, वो भी यूँ ही दीवानी हुई
~ सूर्यांश
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