पामाल हो ना जाएं कहीं जी हुज़ूर में हाकिम सुरूर में हैं मुलाज़िम गुरूर में। हैरत है कायनात के मुंसिफ को ना दिखा अंतर कुसूरवार में और बेकुसूर में । कल रात एक.
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