"प्रकृति से प्यार करो" कहीं कबूतर, कहीं कौआ, कहीं चिड़िया, ना जाने कौन-कौन से पक्षी मर रहे हैं। ये इंसानों का किया धरा है, जो अब पक्षी भुगत रहे हैं। नितदिन प्र.
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