कभी मां की तरह समझाना कभी पिता के जैसे डांटना कभी बहन बन सताना कभी भाई बन रूलाना ऐ दोस्त आज तू बोहोत याद आया मेरी आंखों के अश्क पर रोने वाला, आज मेरी आंखें नम ह.
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