नाथ कहो शिवनाथ कहो तुम, बमबम भोलेशंकर प्यारे। गङ्गजटाधर चन्द्र सुशोभित, सर्प सजाये तन में सारे।। हाथ त्रिशूल सुसज्जित डमरू, नन्दी बैल चढ़े त्रिपुरारे। भक्तन को म.
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