वो लफज़ भी क्या लफ्ज़ हुआ, जो तेरे दिल को ना छुआ ! वो इश्क भी क्या इश्क हुआ ,जो तेरे दिल को ना महसूस हुआ ! वो इज़हार भी क्या इज़हार हुआ ,जिसमें तेरा जिक्र ना.
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