वो चंद अल्फाज़ जो तेरी सांसों से महसूस किए थे हमने आज भी वादियां उन्हें किश्तों में दोहराती हैं..... ये अनकहे अल्फाज़ आज भी फिजाओं को महकाती हैं..... दूरियों म.
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